आज़मगढ़:नवजात शिशुओं का संकटमोचन बना एसएनसीयू

नवजात शिशुओं का संकटमोचन बना एसएनसीयू
• नवजात शिशुओं की जान बचाने में है अहम भूमिका
• तीन वर्ष में 1816 मासूमों की बचा चुका है जान
• नवजात शिशुओं का गहन चिकित्सा कक्ष में होता है मुफ्त इलाज
आजमगढ़, 24 फरवरी 2022
जिला महिला चिकित्सालय में तीन वर्ष में 1816 नवजात भर्ती होकर स्वस्थ हो चुके हैं। वर्ष 2019 में 606 बच्चे, वर्ष 2020 में 881 बच्चे और वर्ष 2021 में 529 बच्चे एसएनसीयू में भर्ती हुए थे। यह कहना है जिला महिला चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक (एसआईसी) एवं वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मंजुला सिंह का।
डॉ सिंह ने बताया कि नवजात शिशुओं के इलाज के लिए सिक न्यूबार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) एक आधुनिक व्यवस्था है। यह विशेष वार्ड एक माह तक के उन बच्चों के लिए बनाया गया है जो समय से पहले पैदा हुये हों अथवा कम वजन के हों या जिन बच्चों को सांस लेने में समस्या होती हो। इस तरह की समस्या होने पर अगर समय से एसएनसीयू में नवजात को लायेंगे तो नवजात की जान को बचाया जा सकता है।
जिला महिला चिकित्सालय के एसएनसीयू के प्रभारी शिशु एवं बालरोग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. यूबी चौहान ने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय में स्थित “सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट” (एसएनसीयू) की शुरुआत एक जनवरी 2010 को हुई थी। यहाँ पर नवजात शिशुओं के 12 बेड हैं। आक्सीजन की हर बेड पर 24 घंटे व्यवस्था है। इस समय यहाँ 12 नवजात भर्ती हैं। चिकित्सालय में हर रोज कोई न कोई माता-पिता अपने नवजात को लेकर आते हैं और यहां के चिकित्सक संकट में पड़े उनके बच्चे की जान बचाते हैं।
इस क्रम में भोपतपुर निवासी 25 वर्षीय सीता ने बताया कि चार दिन पहले हमारे बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। यहाँ भर्ती कराया। दो दिन बच्चे को मशीन में रखा गया तथा दवा के साथ पूरा इलाज निःशुल्क हुआ। आज हमारा बच्चा पूरी तरह से ठीक है।
कुंजी जहानाबाद निवासी 24 वर्षीय पूजा ने कहा कि एक हफ्ते पहले हमारे बच्चे को उल्टी होने के साथ सांस लेने में समस्या हो रही थी। आशा के द्वारा जानकारी हुई। बच्चे को यहाँ भर्ती कराया। यहाँ पर दवाएं मिली और इलाज हुआ। कल से बच्चा बिल्कुल ठीक है। आठ दिनों तक चले उपचार के बाद बच्चे की जान बच गई वह भी बिना खर्च के।
क्या है एसएनसीयू –
एक माह तक के बच्चों को नीला, पीला या निमोनिया जैसी बीमारियां होने पर उनका निःशुल्क इलाज किया जाता है। यहां बच्चों के लिए चौबीस घंटे आक्सीजन की व्यवस्था उपलब्ध है। यही नहीं मौसम के अनुसार उनके लिए वातावरण ठंडा व गर्म रखने की भी व्यवस्था है। यहां रेडिएंट वार्मर (बच्चों को गर्म रखने के लिए), फोटो थैरेपी (पीलिया पीड़ित बच्चों के लिए), एक्यूवेटर (कम वजन वाले बच्चों के लिए), ऐसी व हीटर भी लगे हैं।
इन रोगों का होता है उपचार-
प्री मेच्योर बेबी, न्यूमोनिया, जांडिस, श्वांस संबंधित बीमारियां, कमजोर व कुपोषित बच्चे।

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