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ज्ञान, तप और शौर्य की त्रिवेणी है भगवान परशुराम – कुन्दन
चन्द्रमा ऋषि आश्रम स्थित परशुराम मंदिर में जुटे भक्त, गूंज उठा जय परशुराम
आजमगढ़। शुद्ध, जागृत बुद्धि से सुशोभित और युद्ध के मैदान में कुशल भगवान परशुराम की जयंती अखिल भारतवर्षीय ब्राह्यण सभा के तत्वावधान में चन्द्रमा ऋषि आश्रम स्थित परशुराम मंदिर में धूमधाम के साथ मनाई गई। मुख्य अतिथि एडीएम प्रशासन अनिल मिश्र सहित उपस्थित जनों द्वारा परशुराम के प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण कर उन्हें आत्मसात करने का संकल्प लिया।
जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री पंडित सुभाष चन्द्र तिवारी कुन्दन ने कहा कि भगवान परशुराम ज्ञान, तप और शौर्य की त्रिवेणी है। भगवान विष्णु के अवेशावतार परशुराम जी सतयुग और त्रेतायुग के संधि काल में अक्षय तृतीया तिथि को अतरित हुए थे। उन्हें न्याय का देवता माना जाता है। उस समय अत्याचारी सहस्रार्जुन सहित अनेक विधर्मी शासकों का विनाश करके उन्होंने पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की और समाज में व्याप्त आंतक और भय को समाप्त किया। वर्तमान परिवेश में हमें इनके जन्म काल से ही सीख लेने की जरूरत है।अखिल भारतीय ब्राह्यण एकता परिषद् के मंडल अध्यक्ष अरूण पाठक ने कहाकि महान तपस्वी परशुराम जी को शिवजी ने मृत्युलोक के कल्याणार्थ परशु प्रदान किया था। वे अजर-अमर है। उनका जीवन समाज के लिए अनुकरणीय है। आंगतुकों के प्रति आभार मंदिर के मंहत बमबम गिरी ने किया। अध्यक्षता ब्राह्यण सभा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष अनिल कुमार पांडेय व संचालन संजय कुमार पांडेय ने किया।
बैठक में परशुराम सेना के अध्यक्ष संजय दुबे, रामप्रकाश तिवारी, सुनीता उपाध्याय, वेदप्रकाश पांडेय, सौरभ उपाध्याय, अशोक तिवारी, भोला त्रिपाठी, वंशीधर पाठक, संजय पुजारी, अश्वनी त्रिपाठी, दामोदर चौबे, राकेश मणि त्रिपाठी, अनिल कुमार तिवारी, जगदम्बा उपाध्याय, जितेन्द्र तिवारी, सतीश तिवारी, मनोज पांडेय, शुभम उपाध्याय, पुनीता उपाध्याय, विजयलक्ष्मी उपाध्याय, शिवसेवक दूबे, कृष्णा तिवारी, नवीन पाठक, अवनीश पांडेय, अभय तिवारी, अजय कुमार पांडेय, युगांत उपाध्याय, अंगद उपाध्याय सहित भारी संख्या में भक्तजन मौजूद रहे।