आज़मगढ़: प्रोबेशन विभाग ने रुकवाई एक और नाबालिग लड़की की शादी

रिर्पोट पदमाकर पाठक

प्रोबेशन विभाग ने रुकवाई एक और नाबालिग लड़की की शादी

टीम ने काउंसलिंग कर परिजनों को 18 वर्ष होने तक शादी ना करने के लिए किया प्रेरित
महिलायें टोल फ्री नंबर 181 पर करें शिकायत दर्ज।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से संचालित बाल कल्याण समिति, महिला शक्ति केंद्र और वन स्टाप सेंटर बालक, बालिकाओं और महिलाओं के लिए मददगार साबित हो रही है। समिति और केंद्र का उद्देश्य हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं 18 वर्ष से कम आयु के बालक व बालिकाओं को एक ही छत के नीचे सहयोग प्रदान कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में फिर से वापस लाना है। जिला प्रोबेशन अधिकारी बीएल यादव ने बताया की पीड़ित महिलाओं, बालक और बालिकाओं को चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त और स्वावलंबी बनाना है। अगर किसी महिला के साथ मारपीट, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न या अन्य कोई घटना होती है समिति और केन्द्रों के माध्यम से पीड़ित को न्याय दिलाया जाता है।इसी क्रम में समिति और केंद्र के सफल प्रयास से दो जुलाई को थाना मेहनगर अंतर्गत निवासी 16 वर्षीय एक नाबालिक लड़की विनीता (काल्पनिक नाम) की शादी को रुकवाया गया। जिसमें लड़के सोहन (काल्पनिक नाम ) की उम्र 18 वर्ष से कम थी। जिसे 3 जुलाई को बाल कल्याण समिति के सामने उपस्थित कराते हुये, बालक, बालिका और उनके माता-पिता की अलग-अलग काउन्सलिंग कर बालक और बालिका को उनके घर वालों को सौंप दिया गया।इसे पुलिस विभाग, बाल कल्याण समिति, महिला शक्ति केंद्र, सखी वन स्टॉप सेंटर तथा चाइल्ड लाइन के संयुक्त प्रयासों से रोका गया था। इस सम्पूर्ण घटनाक्रम में जिला समन्वयक अन्नू सिंह, स्टाफ नर्स पिंकी सिंह, काउंसलर शिवानी त्रिपाठी, चाइल्ड लाइन मैनेजर प्रतीक्षा राय तथा केस वर्कर रंजना मिश्रा का अतुलनीय योगदान था। बाल कल्याण समिति में उपस्थित के समय कार्यवायी के दौरान स्टैम्प पेपर पर लिखवाया गया कि जब तक लड़की की उम्र 18 वर्ष और लडके कि उम्र 21 वर्ष नहीं हो जाती है, तब तक शादी नहीं करना है। इसका कड़ाई से पालन अवश्य किया जाये।बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रजनीश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रत्येक जिले में एक बाल कल्याण समिति होती है। जिसका गठन अधिनियम की धारा 27 की उपधारा एक के अनुसार, राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। समिति को सुचारू रूप से चलाने के लिए राज्य सरकार आवश्यक संरचना, मानव एवं वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराती है।
महिला शक्ति केंद्र की महिला कल्याण अधिकारी प्रीति उपाध्याय ने बताया कि अगर किसी भी महिला के साथ मारपीट, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, बाल विवाह या अन्य कोई मामला संज्ञान में आता है, तो केंद्र के माध्यम से त्वरित कार्यवायी करते हुये पीड़ित को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जाती है।सखी वन स्टॉप सेंटर की मैनेजर सरिता पाल ने बताया कि महिलाओं एवं बेटियों को स्वावलंबी एवं सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र द्वारा विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में मिशन शक्ति के तहत जिले में काम करने वाली “सखी वन स्टॉप सेंटर” की इकाई से बहुत सी महिलाओं और परिवारों को लाभ मिल चुका है। बालक, बालिकाएं और महिलाएं किसी भी तरह की असुविधा होने पर टोल फ्री नंबर 181 पर तत्काल संपर्क कर सकती हैं।

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