आज़मगढ़ : आरबीएसके का प्रयास बच्चों में छाया उल्लास

रिर्पोट पदमाकर पाठक

आरबीएसके का प्रयास बच्चों में छाया उल्लास

आरबीएसके के सहयोग से विकास और अंजली के चेहरे खिले।

आजमगढ़।मजबूत राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से बच्चों को स्वस्थ व बीमारी रहित रखने हेतु भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य बीमारी को प्रारंभिक अवस्था में चिन्हित कर समुचित उपचार उपलब्ध कराना है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आईएन तिवारी का ने बताया कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत 4-डी जैसे जन्मजात दोष/विकार, अभाव (कमियां), बीमारी और दिव्यांगता सहित विकास में देरी जैसी बच्चों में पायी जाने वाली कमियों को चिन्हित कर निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।प्रत्येक वर्ष देश में जन्म लेने वाले 100 बच्चों में से छः से सात फीसदी बच्चे जन्म विकार संबंधी समस्या से ग्रस्त होते हैं।कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके सिंह ने बताया कि अप्रैल माह में आंगनबाड़ी केंद्र के 12425 बच्चों के परीक्षण में 787 रोगी, 21138 स्कूल के बच्चों के परीक्षण में 1431 रोगी पाये गए थे। जिसमें दवा से 1534, आपरेशन से चार, काउन्सलिंग से चार, डेंटल कैरी के 732, आँख के 291 तथा सीवियर एनीमिया के 120 ठीक हुये थे। मई माह में आंगनबाड़ी केंद्र के 16104 बच्चों के परीक्षण में 852 रोगी, 21138 स्कूल के परीक्षण में 1143 रोगी पाये गए थे। जिसमें दवा से 1816, आपरेशन से चार, काउन्सलिंग से तीन, डेंटल कैरी के 587, आँख के 406 तथा सीवियर एनीमिया के 112 ठीक हुये थे।आजमगढ़ जनपद में वर्ष 2012-13 से ही 0-18 वर्ष तक के बच्चों के लिए संचालित कार्यक्रम में प्रत्येक ब्लाक स्तर पर दो मेडिकल टीमों का गठन किया गया है जिसमें दो चिकित्सक (एक महिला चिकित्सक अनिवार्य) पैरा मेडिकल (नेत्र सहायक, दंत विज्ञानी सहायक, फिजियोथेरपिस्ट), एएनएम अथवा स्टाफ नर्स तैनात हैं।यह टीमें पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार वर्ष में एक बार परिषदीय व वित्तीय सहायता प्राप्त विद्यालयों व दो बार आँगनबाड़ी केन्द्रों पर जाकर बच्चों का पूर्ण स्वास्थ्य परीक्षण/ स्वास्थ्य शिक्षा कर बीमार बच्चों को चिन्हित कर उनका रेफरल कार्ड बनाते हैं।डीईआईसी के मैनेजर डॉ आरिफ़ जमाल ने बताया कि जनपद स्तर पर नेत्र रोग, दंत रोग, चर्म रोग, नाक, कान, गला रोग, अस्थि रोग, कुपोषण, कटे होंठ व तालू, मुड़े हुए पैर के पंजे आदि का इलाज सुचारू रूप से चल रहा है। मंडलीय जिला चिकित्सालय आजमगढ़ स्थित पोषण पुर्नवास केंद्र व मिरेकल फीट क्लीनिक के सहयोग ने नया आयाम दिया है जबकि स्माईल ट्रेन से इलाज संबद्धता ने सैकड़ो बच्चों व उनके परिजनों को मुस्कान दी है।आरबीएसके की टीम ने तंरवा ब्लॉक अंतर्गत आँगनबाड़ी केंद्र मऊ परासी में सात मई को स्वास्थ्य परीक्षण किया था जिसमें मऊ परासी निवासी छोटूराम ने बताया कि हमारे दो वर्षीय पुत्र विकास की जांच हुई थी।जांच में विकास का स्वास्थ्य स्तर कुपोषित श्रेणी में आया था।डॉ की सलाह पर विकास को नौ तारीख से 16 तारीख तक पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया था।वहाँ से आने के बाद विकास अब बिलकुल ठीक है। सभी इलाज निःशुल्क हुआ है। तकिया बकिया गाँव निवासी सुनील ने बताया कि हमारी नौ वर्षीय पुत्री अंजली को पिछले महीने कान बहने की शिकायत थी।आरबीएसके की टीम ने जांच किया था। जांच के बाद जरूरी दवा दी थी। अब अंजली को कोई समस्या नहीं है।

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