शिब्ली नेशनल कालेज प्रोफेसर का निधन
आजमगढ़| शिब्ली नेशनल कालेज 11मई स्वर्गीय डॉ. हकीम-उद-दीन और डॉ. खालिद नियाज़ी की दुखद मौत की भरपाई भी न हो पाई थी कि आज, 11 मई को शिब्ली नेशनल कॉलेज के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आलमगीर अली अहमद का निधन हो गया। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली। आलमगीर अली अहमद ने 1993 में कॉलेज में ज्वाइन किया था और अभी भी उनका रिटायरमेंट 2028 में होना था। वह एक योग्य शिक्षक थे। हिंदी भाषा और साहित्य पर उनकी अच्छी पकड़ थी। उन्होंने मलिक मोहम्मद जायसी की पुस्तक पद्मावत पर शोध कार्य किया था। वह मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में तीन साल के लिए हैदराबाद की कार्यकारी परिषद के सदस्य भी थे और हिंदी भाषा और साहित्य से संबंधित अन्य संगठनों के सदस्य भी थे।
डॉ.आलमगीर की अचानक मृत्यु से शिब्ली कॉलेज को एक असाधारण नुकसान हुआ है। अल्लाह उनकी मानवीय कमियों को माफ कर सकता है और उनके अच्छे कामों को स्वीकार करते हुए उन्हें स्वर्ग में एक उच्च पद प्रदान करें और उनके निधन से शिबली कॉलेज को जो नुकसान हुआ उसकी शीघ्र भारपाई करे। यह बातें शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. अलाउद्दीन खान ने अपने शोक संदेश में कहा। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सलमान अंसारी ने दिवंगत के व्यक्तित्व और चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक महीने में, हमने तीन उत्कृष्ट खो दिए हैं, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं है। हिंदी विभगाध्यक्ष डॉ. अल्ताफ अहमद, डॉ.सादउज़ज़फ़र और डॉ. शफ़क़त अलाउद्दीन ने मरहूम के साथ बिताए पलों को याद किया और उनके दुख-दर्द को व्यक्त किया। डॉ.खालिद, डॉ. मोहि-उद-दीन आजाद, डॉ. अफज़ल अहमद, सरफराज नवाज और अन्य लोगों ने भी मरहूम पर अपने विचार व्यक्त किए और अल्लाह से मरहूम के लिए मगफिरत की प्रार्थना की गयी |