नहीं भराया गया आदर्श जलाशयों में पानी
जिम्मेदारों को कही बरसात के पानी का तो नहीं——–
बाराबंकी
इसे विकास खंड के अधिकारियों की हठ धर्मिता कहा जाए या उनका उपेक्षा पूर्ण रवैया कि शासन के शख्त आदेशों के बावजूद भी जनपद के आदर्श जलाशयों में अब तक पानी भराए जाने कि कोई कवायद नहीं शुरू की गई है पशु पक्षी एक एक बूंद पानी के लिए तड़प तड़प कर मरने को विवश हो रहे हैं । कही अधिकारियों को बरसात के पानी का तो नहीं इन्तिजार है कि पानी बरसे और तालाब स्वतः भर जाएं जिसे लेकर लोगों के मध्य में तरह-तरह की जन चर्चाएं हो रही हैं ।
जनपद की विभिन्न ग्राम पंचायतों में काफी अर्सा पूर्व पिकनिक स्पॉट की तर्ज पर मनरेगा योजना के तहत करीब एक दशक पूर्व विकसित किए गए आदर्श जलाशय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं जिसका आलम यह है कि तालाबों के जल विहीन होने के कारण पशु-पक्षी तथा अन्य जंगली जानवर एक एक बूंद पानी के लिए तड़प तड़प कर मरने को विवश हो रहे हैं जब यही तालाब जल से आप्लावित होते थे तो जल मुर्गियां बगुले तथा अन्य विचरण करने वाले जंगली जानवर इन्हीं जलाशयों में स्नान करके पक्षी गोता लगा करके इस मृदु जल को पी करके परम संतुष्टि प्राप्त करते थे अब तो स्थिति आ गई है यह तालाब खुद एक एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं ।
इन आदर्श जलाशयों को विकसित किए जाने का यह उद्देश्य था कि इनके चारों ओर कटीले तारों की बैरिकेटिंग करके छायादार वृक्ष व बैठने के लिए सीमेंटेड सीटें बनाई जाएंगी जिससे खेतों में हाड़ तोड़ मेहनत करने के बाद किसान फुर्सत के क्षणों में इन स्थानों पर बैठकर अपनी थकान को मिटाते हुए तालाब की छटा को देख कर के मंत्रमुग्ध हो जाएंगे साथ ही साथ विचरण करने वाले पशु पक्षी भी गर्मी के मौसम से व्याकुल होकर के इन्हीं जलाशयों के मृदु जल को पी करके व स्नान करके अपनी थकान को दूर करके राहत महसूस करेंगे अब तो स्थिति यह आ गई है कि देखरेख के अभाव में तालाबों की वैरिकेटिग गेट आदि सब टूट चुके हैं जिससे आम आदमी से लेकर पशु पक्षियों तक को इन तालाबों से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है ।
जिले की विकासखंड सिरौलीगौसपुर को ही ले लिया जाए तो यहां की ग्राम पंचायतों में खुर्दमऊ किन्तूर महमूदाबाद ऊटवा खजुरी मोहरिया श्यामनगर बरौलिया दरिगापुर बरदरी मरकामऊ अकबरपुर मुस्काबाद खजुरिहा भवानीपुर ददरौली औलिया लालपुर रामपुर भवानीपुर जैसी 33 ग्राम पंचायतों में करीब 1 दर्शक पूर्व 5 से 10 लाख रुपए की लागत से आदर्श जलाशयों के चारों ओर बैठने के लिए बेन्च पेड़ इन्जन बोरिग तालाब का गंदा पानी निकालने के लिए आउटलेट व इनलेट बनाए गए थे जो देखरेख में अपने अस्तित्व को तरस रहे हैं बैठने के लिए बनाई गई बेन्चे टूट कर के बिखर गए जिससे शासन की यह मंशा कहीं भी फलीभूत होती नहीं दिखाई दे रही है ।
अब सवाल यह उठता है की पड़ रही भीषण गर्मी के बीच आखिर जल विहीन तालाबों में पानी क्यों नहीं कराया गया कहीं अधिकारियों को बरसात के पानी का इंतिजार तो नहीं है कि पानी बरसे और तालाब स्वतः जल से परिपूर्ण हो जाएं इसका उत्तर तो विकास खंड के जिम्मेदार अधिकारी ही दे सकते हैं ।