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: छुट्टा जानवरों की मुसीबत बने कंटीले तार
कोटवा धाम बाराबंकी
विकासखंड दरियाबाद के अंतर्गत आवारा पशुओं को कटीले तारो से काफी मुसीबतो का सामना करना पड़ रहा है जो आये दिन कटीले तारो से कटकर घायल हो जाते हैं
किसानों ने अपने खेतों के चारों तरफ कंटीले और ब्लेट वाले तार बांध रखे हैं जिससे जानवर कट कर जख्मी हो जाते हैं साथ ही साथ यहां तक कि कीड़े पड़ जाते हैं न तो उनकी दवा इलाज हो पाती है न ही उनका घाव ठीक होता है आखिर में उनको मौत की जंग लड़ना पड़ रहा है दरियाबाद विकासखंड क्षेत्र के अंतर्गत रोहिल्ला नगर अकबरपुर सैदखानपुर कोटवा धाम खजुरी अद्रा अमनिया पुर जैसे गांवों में झुंड का झुंड बनाकर आवारा पशु अपनी पेट की भूख मिटाने के चक्कर में किसानो के खेत कूद जाते हैं जिससे आवारा पशु घायल हो जाते हैं
ग्राम पंचायतों में अभी तक तो पकड़ के जानवरों को गौशाला पहुंचाया जाता था लेकिन जितने पशु गौशाला में है उससे ज्यादा बाहर जख्मी हो रहे जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे पा रहे है ।
पर्यावरण का मानव जीवन पर , पड़ता है व्यापक प्रभाव
बाराबंकी
प्रदूषण राष्ट्र की एक विकराल समस्या बन चुकी है जिसका पर्यावरण के साथ-साथ मानव जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है बढ़ रहे प्रदूषण के चलते मानव से लेकर पशु पक्षियों के जीवन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ पर्यावरण है दूषित पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को प्रदूषण कहा जाता है जिसमें हवा पानी मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना है जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ता है जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचता है जिसका प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से सभी प्राणियों पर पड़ता है जिस का आलम यह है कि आज हमें कोई भी वस्तु शुद्ध रूप में नहीं प्राप्त होती है न तो स्वच्छ हवा मिल पाती है और न ही पीने का शुद्ध पानी , प्राकृतिक संपदाओं का अंधाधुंध दोहन बनो की कटान के चलते मानव शुद्ध आक्सीजन के लिए तरस रहा है ।
यहां पर यह अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आज संपूर्ण पर्यावरण ही दूषित हो चुका है वाद्य यंत्रों व वाहनों के कान फोड़ने वाले हार्नो के बजने से कान के पर्दे फटने लगते हैं गाड़ियों के धुएं तथा प्लास्टिक पराली आदि के जलने से वायु प्रदूषण फैलता है वही पॉलिथीन के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति जहां दिन प्रति दिन क्षीण होती जा रही वही पालतू पशु पॉलिथीन को खा करके असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं
सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी पॉलिथीन पर पूर्ण रूप से अंकुश नहीं लग पाया है पर्यावरण का ही असर है कि घर के आंगन में ची ची चू चू का राग सुनाने वाली गौरैया व वातावरण में मृत जानवरों का मांस भक्षण करने वाले गिद्धो की प्रजातियां भी धीरे-धीरे विलुप्त हो गई हैं वहीं वनों की अंधाधुंध कटान के चलते मानव को न तो स्वच्छ आक्सीजन मिल पाती है और न ही मानसूनी वर्षा समय पर हो पाती है यह पर्यावरण के लिए शुभ संकेत नहीं है जिसका मानव के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ ही साथ प्राकृतिक संतुलन की स्थिति भी डावाडोल होती जा रही है ।
इसके लिए दोषी कौन है ? विचार करने पर ज्ञात हो जायेगा कि कहीं न कहीं से हम स्वयं दोषी है इस समस्या से निजात पाने के लिए मानव को अपनी सोच बदलना होगा साथ ही साथ वनों की अंधाधुंध कटान पॉलिथीन के प्रयोग पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाना होगा तभी इस समस्या के निदान के साथ ही साथ ऐसे भारत निर्माण का सपना साकार हो पाएगा जहां पर चारों ओर खुशहाली होगी ।
राम नाम का उच्चारण ही मोक्ष का साधन ; नीलेन्द्र बख्श दास
बाराबंकी
सत्य के पथ पर चल कर ही मानव मोक्ष प्राप्त कर सकता है ।
यह बात बडी गददी के महन्त नीलेन्द्र बक्श दास ने अपने आवास पर सत्यनामी सम्प्रदाय के श्रद्वालुओं को उपदेशित करते हुये कही । उन्होंने कहा कि नाम ही राम है और राम ही सत्यनाम है।किन्तु संसार के जितने नाम हैं सब उसी के नाम हैं।
उन्होंने कहा कि राम नाम सत्य निराकार अलख निरंजन ऊं हंस अगम अगोचर अविनाशी है।वह जर्रे जर्रे चर अचर सभी प्राणिंयो के अंतर घट मे स्वांसो के रूप रमा हुये होने के कारण राम कहा गया है ।राम ही अखिल विश्व ब्रह्माड के रचायिता महानायक सत्पुरूष है और वह ही सत्यनाम हैं।
श्री समर्थ साहेब जगजीवन दास बडे बाबा के बताये हुये सत्य के पथ का सभी सत्यनामी जन अनुशरण करके मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करे