बरेली: शराब, गांजा, चरस, स्मैक, मोर्फिन, कोको पत्ती, ताड़ी, अफीम, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन न करें : जिला मद्य निषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी

शराब, गांजा, चरस, स्मैक, मोर्फिन, कोको पत्ती, ताड़ी, अफीम, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन न करें : जिला मद्य निषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : जिला मद्यनिषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि भारतीय समाज में सबसे अधिक संख्या युवा वर्ग किसी भी देश के विकास का एक महत्वपूर्ण अंग माने जाते है। वर्तमान में हमारे देश के युवा एक बहुत बड़ी समस्या यानि नशा से जूझ रहे है। उन्होंने कहा कि नशाखोरी में डूबा हुआ व्यक्ति अनेक समस्याओं का सामना करने की अपेक्षा समस्याओं को भुलाने के लिए नशे का सहारा लेता है, जिसकी वजह से वह अपने व अपने परिवार के विनाश के साथ-साथ संपूर्ण समाज के विनाश का भी कारण बनता है। उन्होंने कहा कि नशाखोरी की चपेट में आने वाला युवावर्ग इस तरह जाल में फंसता है । कि उसकी सोचने समझने की क्षमता भी नष्ट हो जाती है। जिससे वे अपने जीवन के लिए कोई भी निर्णय नहीं ले पाता है। उन्होंने कहा कि नशा करने के लिए वे अनेक मादक पदार्थों का जैसे-शराब, गांजा, चरस, स्मैक, मोर्फिन, कोको पत्ती, ताड़ी, अफीम, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन करने लगता है। नशाखोरी से व्यक्ति अनेक ऐसे गलत कार्यों को करने लगता है जो समाज के खिलाफ होते है । नशे के कारण आर्थिक हानि, सड़क दुर्घटना, हत्या, बलात्कार, घरेलू व सामाजिक झगडे़, स्वास्थ्य की हानि, व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा, बच्चों की शिक्षा एवं संस्कार आदि में नशे का कुप्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में लगभग सभी वर्ग छोटे-छोटे बच्चे, यहॉ तक की महिलाएं भी नशे की बुरी स्थिति में पाई जाती है। नशा मुक्ति के लिए एक आदर्श वाक्य दारू-विस्की छोड़कर कर, लो धर्मध्यान, वरना फिर पछताओगे, हो न सकेगा कल्याण। उन्होंने कहा कि नशा एक गंभीर समस्या है और वर्तमान में यह सोचना आवश्यक है । कि आखिर ऐसा क्या कारण है जिसकी वजह से व्यक्ति नशे की चपेट में आ रहा है । और आखिर क्यों हमको नशा मुक्त दिवस व तम्बाकू मुक्त दिवस आदि मनाने की आवश्यकता पड रही है? इसका प्रमुख कारण आधुनिकता हो सकती है क्योंकि लोग पश्चिमी देशों की प्रथाओं को ज्यादा प्राथमिकता देने लगे है। जिस प्रकार पश्चिमी देशों में रहने वाले लोग खुले आम मादक पदार्थों का सेवन करते है ठीक उसी तरह भारत देश के लोग भी उनकी सभ्यता में मिलना चाहते है। उन्होंने कहा कि नशाखेरी का एक प्रमुख कारण सिनेमा, विदेशी चैनल व अश्लील चैनलों आदि भी है क्योंकि जैसा मानव देखता है । वैसा बन जाता जाता है। इसके अलावा बेरोजगारी, असुरक्ष, पारिवारिक माहौल जो हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और व्यक्ति की संगति ये सभी वजह नशाखेरी का कारण बनते है।
जिला मद्यनिषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी ने नशा मुक्ति के लिए सुझाव बताया कि वर्तमान में नशाखोरी अत्यंत सोचनीय विषय है और किस तरह इस बुराई को समाज से जड़ से उखाड़ के फेका जा सकें? नशा से मुक्ति पाने के लिए सरकार को नशाबंदी कानून कड़ाई से लागू करके मादक पदार्थों में प्रतिबंध लगाना चाहिए और मादक पदार्थों में लिप्त व्यवसाय को कड़ा दण्ड देने का प्रावधान करना चाहिए, अभिभावकों एवं शिक्षकों को छात्रों को इस विषय में जागरूक करना चाहिए। यदि आज समाज का हर व्यक्ति नशाखोरी के विरूद्ध खडे़ होकर संपूर्ण समाज को नशा से मुक्ति दिलाने का प्रयास करेंगा तो अवश्य ही इस विपदा से छुटकारा पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नशा एक ऐसी बुराई है जिसकी वजह से व्यक्ति अपना अनमोल जीवन से पहले ही खो देता है, नशा करने से व्यक्ति अपने शारीरिक व मानसिक संतुलन को नियंत्रित नहीं कर पाता, जिससे उसका सामाजिक एवं आर्थिक जीवन भी बुरी तरह प्रभावित होता है। नशे का कुप्रभाव आज विश्व के हर देश में देखा जा रहा है। जिसकी वजह से हर वर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध यानि नशा मुक्ति दिवस और 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मादक पदार्थों और तंबाकू के सेवन पर रोक लगाना और लोगों को इसके कुप्रभावों के लिए जागरूक करना है।
नशा चाहे जैसा हो, होता है बेकार, शरीर खत्म कर, बीमारी लाकर कर देता है लाचार ।
   

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