बिहार:भगवान महावीर के पूर्व 27 जन्मों की यात्रा का सुंदर वर्णन एवं साध्वी वृंद द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रस्तुति

भगवान महावीर के पूर्व 27 जन्मों की यात्रा का सुंदर वर्णन एवं साध्वी वृंद द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रस्तुति

अररिया संवाददाता

फारबिसगंज (अररिया)श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या डॉक्टर साध्वी श्री पीयूष प्रभा जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व की धर्म आराधना में अनेकानेक श्रद्धालु जन उपस्थित हो रहे हैं। नमस्कार महामंत्र का अखंड जाप में तेरापंथ सभा ,महिला मंडल, तेयुप और कन्या मंडल सहभागी बन रहे हैं। साध्वी श्री पीयूष प्रभा जी द्वारा भगवान महावीर के पूर्व 27 जन्मों की यात्रा का सुंदर वर्णन एवं साध्वी वृंद द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रस्तुति हो रही है।इस महापर्व के तीसरे दिन सामायिक की आराधना की गई ।अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशानुसार फारबिसगंज तेरापंथ युवक परिषद के तत्वाधान में साध्वी जी ने अभिनव सामायिक का प्रयोग करवाया। तेयुप अध्यक्ष आलोक सेठिया के साथ सदस्य ललित डागा ,राकेश सेठिया व विकास बेगानी ने विजय गीत का संगान किया। अभिनव सामायिक के अंतर्गत अ सि आ उ सा का जप ,ध्यान व भक्तामर स्त्रोत का स्वाध्याय करवाया गया। भगवान महावीर के चौथे भव की चर्चा की गई।तत्पश्चात आचार्य श्री भिक्षु द्वारा रचित मर्यादा वली का वाचन किया। कुछ बहनों ने तेला तप का प्रत्याख्यान किया ।साध्वी श्री ने आज के दिन प्रतिक्रमण एवं ज्यादा से ज्यादा सामायिक करने की प्रेरणा दी ।साथ ही कल 7 तारीख से शुरू हो रहे पचरंगी तप अनुष्ठान में सहभागी बनने की प्रेरणा दी गई। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन सभा अध्यक्ष निर्मल मराठी ने किया ।कार्यक्रम का संयोजन साध्वी दीप्तियशा ने किया।
जैन धर्म में सामायिक का बहुत महत्व माना गया है सामायिक यानी समता की साधना। सामायिक 48 मिनट एक मुहूर्त काल के लिए की जाती है जिसमें व्यक्ति जीवन की इस भागम भाग दौड़ वाली जिंदगी से दूर सामायिक काल में सर्व सावथ कारी प्रवृत्तियों का त्याग करके अपनी आत्मा में रमण करता है। सावथकारी प्रवृत्ति यानि पापकारी प्रवृत्ति का त्याग ।सामायिक काल में व्यक्ति सामाजिक कार्यों को छोड़कर आत्म शुद्धि के कार्य यानि स्वाध्याय जप,माला मौन आदि करता है।प्राचीन काल में पुनिया श्रावक के द्वारा सामायिक की सुंदर रोचक कथा से भी सामायिक के महत्व को जाना जा सकता है।सामायिक के द्वारा पूर्व भवों के और इस भव के अशुभ कर्मों को क्षय किया जा सकता है।सामायिक व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव भी ला सकती है।कषायो से मुक्ति पाने के लिए सामायिक की साधना अत्यंत जरूरी है।

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