आज़मगढ़:खबर पढ़ने से पहले आपसे एक ईमानदार सवाल मनरेगा की मजदूरी पर पहला हक प्रधान का या काम करने वाले उस मजदूर का जवाब सोच समझ कर दीजिएगा

*आजमगढ़ बिजेंन्द्र सिंह की खास रिपोर्ट:

*खबर पढ़ने से पहले आपसे एक ईमानदार सवाल मनरेगा की मजदूरी पर पहला हक प्रधान का या काम करने वाले उस मजदूर का जवाब सोच समझ कर दीजिएगा

उसने अपना हक मांगा तो मिले उसे लात और घूंसे,मां का इतना कसूर कि उसने अपने बेटे का हक मांग लिया। प्रधान और उसके गुर्गे तो आग बबूला हो गए तूने कैसे मांग लिया तेरी हिम्मत कैसे हुई पैसे पहले मैं निकाल लूंगा फिर अपनी मर्जी से तुझे दूंगा।

अजमतगढ़ ब्लॉक के ग्राम सभा
जमीन छिड़ी के मनरेगा मजदूर ने जब यह बातें कहीं तो हमें जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि ऐसे मामले पहले भी बहुत आए और इसमें सच्चाई भी है पर यकीन कौन करेगा मजदूर आखिर मजदूर ही तो होता है, आखिर उसकी औकात ही कितनी है प्रधान जी के सामने।

अभी नए प्रधानों के कार्यकाल को 180 दीन भी नहीं हुए, प्रधानों की हाथ की सफाई सामने आने लगी हैं। सरकार द्वारा मनरेगा मजदूरों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रयास तो किया गया लेकिन असल में वह बहुत कारगर होता नहीं दिख रहा। ग्राम प्रधानों द्वारा मजदूरों के खातों में पैसे भेजवा कर उनसे( AEPS) आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम के जरिए अंगूठा लगवा कर पैसे निकाल लिए जाते हैं। इस तरह के प्रकरण अक्सर प्रकाश में आते हैं। हालांकि मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह बात भी कहना चाहता हूं इसके पीछे सिर्फ प्रधान ही दोषी नहीं है अगर सरकार ईमानदारी से जांच करवा दे तो आपको कितने ऐसे मनरेगा मजदूर मिलेंगे जो असल में मजदूरी करते ही नहीं है बस उनका नाम चलता है, उनको भी कुछ मिल जाता है और प्रधान जी को भी पर जो हकीकत में जमीन पर काम कर रहा है वह तो अपना हक मांगेगा ही पर ऐसे मामले शिकायत के अभाव में या मजदूरों को डरा धमका कर या बहला-फुसलाकर लालच देकर मामले को शांत करा दिया जाता है । ऐसा ही एक ताजा मामला आजमगढ़ जिले के अजमतगढ़ ब्लॉक के ग्राम सभा की छिड़ी
जमीन छिड़ी से प्रकाश में आया है। जहाँ मनरेगा में कार्यरत विनोद प्रजापति ने बृहस्पतिवार को पुलिस अधीक्षक आजमगढ़ सहित कई उच्च अधिकारियों को शिकायती प्रार्थना पत्र देकर बताया कि मैंने मनरेगा में कार्य किया जिसका पैसा मेरे बैंक अकाउंट में आया। जिसको लेने के लिए गांव के प्रधान दीपचंद गौंड़ व उनके सहयोगी भाई गुलाब गौंड़ मेरे घर आए और मुझसे कहने लगे कि अंगूठा लगाकर पैसा निकाल लो। और हमें दे दो नहीं तो तुम्हारे और तुम्हारे परिवार की खैर नहीं होगी। जब मैंने इस बात का विरोध किया। तो मुझे व मेरी माँ को प्रधान दीपचंद गौड़ और उनके सहयोगियों ने मारा पीटा और जबरदस्ती मेरे पैसे निकलवा लिए। और उसके बाद भी दोबारा मारने की धमकी दे रहे हैं।
वही पीड़ित का कहना है कि मामले को दबाने के लिए प्रधान व उनके सहयोगियों द्वारा हमें अभी भी रोज धमकियां दी जा रही है।

हालांकि यह बात भी हमें जानना जरूरी है, मनरेगा में मजदूरी करने वाले लोगों को पैसे घनत्व मीटर के काम के हिसाब से मिलते हैं, *इसलिए एक प्रश्न मेरे मन में उठता है, कि क्या जब कोई भी काम होता है तो कार्यस्थल पर वीडियोग्राफी कराई जाती है???

इसके दो फायदे एक तो काम करने वाला मजदूर चिन्हित होगा, और फर्जीवाड़ा पर लगाम लगेगी, दूसरा सरकारी धन का दुरुपयोग पर रोक लगेगी।

वही इस संबंध में आरोपी प्रधान से कुछ मीडिया कर्मियों द्वारा बात की गई तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।
उनका फोन लगातार बंद आ रहा था।

यह पूरी खबर पीड़ित द्वारा लगाए गए आरोप पर आधारित है।
प्रधान का पक्ष अभी तक नहीं आ पाया है जिसका हम सभी को इंतजार है।

इस प्रकरण में ईमानदारी से जांच कराकर दूध का दूध और पानी का पानी करके मामले का पटाक्षेप होना चाहिए।

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