बिहार:मस्तिष्क ज्वर: बेहतर प्रबंधन से बचायी जा सकती है रोगग्रस्त बच्चे की जान

मस्तिष्क ज्वर: बेहतर प्रबंधन से बचायी जा सकती है रोगग्रस्त बच्चे की जान

-स्वास्थ्य अधिकारियों को मस्तिष्क ज्वर नियंत्रण से संबंधित जरूरी प्रशिक्षण दिया गया
-अत्यधिक गर्मी व नमीयुक्त मौसम में रोग का खतरा अधिक, छोटे उम्र के बच्चे होते हैं प्रभावित

अररिया, 23 मार्च।

मस्तिष्क ज्वर एक गंभीर बीमारी है। जो अत्यधिक गर्मी व नमीयुक्त मौसम में फैलता है। ये बीमारी 01 से 15 साल तक के बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है। उचित देख-रेख व इलाज के अभाव में इससे बच्चे की जान भी जा सकती है। गर्मी का मौसम शुरू हो चुका है। लिहाजा जिला स्वास्थ्य विभाग मस्तिष्क ज्वर से संबंधित मामलों से निपटने की तैयारियों में जुट चुका है। इसी कड़ी में बुधवार को मस्तिष्क ज्वर नियंत्रण विषय पर स्वास्थ्य अधिकारियों को जरूरी प्रशिक्षण दिया गया। डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत चिकित्सा पदाधिकारियों ने भाग लिया। एक दिवसीय प्रशिक्षण में मुख्य प्रशिक्षक के रूप में चिकित्सा पदाधिकारी फारबिसगंज डॉ दीपक कुमार व डब्ल्यूएचओ के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार ने भाग लिया।

गर्मी के मौसम में रोग के फैलने का खतरा अधिक :

प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा मस्तिष्क ज्वर जापानी इंसेफलाइटिस, दिमागी बुखार सहित अन्य नामों से जाना जाता है। गर्मी के मौसम में पूरे बिहार में इसके मामले काफी बढ़ जाते हैं। हालांकि अररिया में अभी इससे संबंधित बहुत कम मामले सामने आये हैं। बावजूद इसके सावधानी जरूरी है। मस्तिष्क ज्वर को जानलेवा बताते हुए उन्होंने कहा कि रोग के बेहतर प्रबंधन से रोगी की जान बचायी जा सकती है। स्वास्थ्य अधिकारियों को रोग के कारण व निदान की उन्होंने विस्तृत जानकारी दी। स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्धारित गाइडलाइन, प्रोटॉकोल से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि उपयोगी दवाओं की सूची सभी स्वास्थ्य संस्थानों को उपलब्ध करायी गयी है। ताकि इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करायी जा सके। सदर अस्पताल व अनुमंडल अस्पताल में इसके लिये विशेष वार्ड संचालित किये जाने की बात उन्होंने कही। किसी कारण अगर मरीज को रेफर भी करना पड़े तो इससे पूर्व समुचित इलाज सुनिश्चित कराने की बात उन्होंने कही। इतना ही नहीं रोगी से संबंधित डाक्यूमेंटेशन, सैंपल कलैक्शन की प्रक्रिया को उन्होंने महत्वपूर्ण बताया।

लक्षण दिखते ही नजदीकी अस्पताल में करायें इलाज :

प्रशिक्षण देते हुए डब्ल्यूएचओ के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि तेज बुखार आना, चमकी व किसी खास अंग में ऐंठन, दांत पर दांत लगना, बच्चे का सुस्त होना, शारीरिक हरकत में कमी रोग से जुड़े कुछ लक्षण हैं। इस तरह का कोई लक्षण दिखने पर नजदीकी अस्पताल में बच्चों का इलाज सुनिश्चित कराने की बात उन्होंने कही। बच्चों को मस्तिष्क ज्वर से बचाव से संबंधित जानकारी देते हुए डॉ दीपक कुमार ने कहा कि बच्चों को तेज धूप के संपर्क में आने से बचायें, अधिक गर्मी होने पर बच्चों को दो बार नहलायें, साथ ही बच्चों को ओआरएस व नींबू पानी व चीनी का घोल थोड़े थोड़े अंतराल पर पिलायें। रात में बच्चों को पेट भर खाना खिलाकर सुलाएं। इससे कुछ हद तक रोग के संकट को टाला जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ राजेश कुमार, वीबीडीसीओ ललन कुमार, वीवीडी कंस्लटेंट सुरेंद्र बाबू, केयर इंडिया की डीपीओ मोनिका लांबा, प्रभात रंजन सहित विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों से आये चिकित्सा पदाधिकारी मौजूद थे।

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