फिरोजपुर 03 सितंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से सिटी गार्डन फाजिल्का में भज गोविन्दम भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी वैष्णवी भारती जी ने बताया कि युवाओं में ऊर्जा का स्रोत है परंतु आज उस शक्ति का प्रयोग वे ग़लत दिशा की ओर कर रहें है । वे ऐसी वेगवान नदी है जो किनारों की मर्यादा को समाप्त कर रही है । यदि इस सरिता का बांध ना बांधा गया तो ये भयावह रूप धारण कर लेगी । भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव इत्यादि महान देशभक्तों ने अपने भीतर की शक्ति का सही दिशा में प्रयोग किया । दिशाभ्रम में कोई भी कार्य संभावित नहीं किया जा सकता। किसी देश की पहचान वहाँ के युवाओं से की जाती है परंतु यदि नौजवान ही भ्रमित हो जाये तो देश को आतंकवाद, नशा, चरित्रहीनता इत्यादि भयंकर रोगों से कौन बचाएगा? इसलिए अपने भीतर की शक्ति को जागना होगा उस ईश्वर के परम प्रकाश स्वरूप को देख कर छुपी हुई चेतना जागेगी। देश को आज उन नौजवानों की आवश्यकता है जो त्याग, प्रेम, धैर्य की भावना से ओतप्रोत हों। जो फिर से भारत को पुनः अपनी पुरातन गरिमा व प्रतिष्ठा लौटाने मे सहायक बन सकें । युवाओं को जगाने के लिए मेरा रंग दे बसंती चोला देशभक्ति गीत गाया गया।
आज संस्कार विहिनता के वातावरण में पल रहीं युवा पीढ़ी की यही दशा है । जिस प्रकार मिठाई में मिठास , दुग्ध से घी निकाल लेने से ये निःसार, तेज हीन हो जाते हैं । वैसे ही मानव के जीवन से संस्कार नहीं हो तो वो तेज हीन हो जाता है । इन संस्कारों के अभाव में युवा वर्ग पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण कर रहा है । भारतीय परंपराओं का उपहास करना और उन्नति के नाम पर नैतिकता का परित्याग करना उनके जीवन की उपलब्धि बन गई है फ़िल्मी सितारों मॉडल आदि को उन्होंने जीवन का आदर्श बनाया है । इन में से किसी का परिधान इनको भाता है तो किसी की चाल ढाल । स्मरण रहें युवाओं द्वारा चुने इन आदर्शों ने व्यक्तिगत कितनी भी प्राप्तियाँ कर ली हों पर उनके त्याग सेवा व परोपकार के कोई बड़े आदर्श स्थापित नहीं किए। उनकी नक़ल करने से हमारे परिधान, चाल ढाल , में परिवर्तन अवश्य हो सकता है किन्तु बाहरी चमक दमक से बात नहीं बनती इससे चिंतन बदल सकता है चरित्र नहीं । संस्कारों की आवश्यकता है जो विश्व रूपी बगिया को सरस , सुंदर, सुरभिमय बना सकें । क्योंकि जहां संस्कार है वहाँ उच्च , श्रेष्ठ समाज की परिकल्पना साकार होती हैं ।
कबीर जी की रचना साधो सो सत्गुरु मोहे भावे से बताया कि गुरु एक कैटलिटिक एजेंट का कार्य करता है । केटलिटिक एजेंट वह तत्व होता है जो स्वयं नहीं बदलता पर उसके सानिध्य में आये अन्य तत्वों में परिवर्तन उत्पन्न कर देता है । जैसे लोहे में जंग तब लगता है जब लोहा ऑक्सीजन के संपर्क में आता है लोहे में जंग लगने में पानी कैटालिटिक एजेंट का कार्य करता है । परमात्मा की शक्ति भीतर है और गुरु जीव में शक्ति का प्राकट्य कर देता है। कार्यक्रम के दौरान जतिंदर कौर, जिला एवं सत्र न्यायाधीश फाजिल्का ,डॉ सेनू दुग्गल, डिप्टी कमिश्नर फाजिल्का,नरिंदर पाल सिंह सवना, विधायक फाजिल्का,श्रीमती किरण जीत कौर अरोड़ा, अध्यक्ष जिला उपभोक्ता न्यायालय फिरोजपुर,दविंदर घुबाया, पूर्व विधायक फाजिल्का,करुणानिधि त्रिपाठी सीओ 55 बटालियन,नरेश कुमार अग्रवाल, द्वितीय कमान अधिकारी 55 बटालियन,प्रिन्स खेड़ा, प्रधान ट्रक यूनियन फाजिल्का
परमजीत सिंह नूरशाह, चेयरमैन मार्किट कमेटी फाजिल्का
हरीश नड्डा लाधुका,रमन सचदेवा, प्रधान आड़ती एसोसिएशन फाजिल्का,पार्षद अशोक जैरथ,पार्षद पूरन चन्द,अनिल सेठी ,
बाबू लाल अरोड़ा ,अश्वनी बब्बर,एडवोकेट मोहिंदर लूना ,
एडवोकेट उमेश कक्कड़ ,एडवोकेट परदीप कटारिया ,एडवोकेट गुलशन महरोक,एडवोकेट कामेश्वर गुम्बर,एडवोकेट ऋषि अरोड़ा,एडवोकेट सुभाष चंदर कटारिया,सुरिंदर ठकुराल भी उपस्थित थे।