18 वर्ष के सोनू समाज उत्थान के लिए बच्चों को मुफ्त में दे रहे हैं शिक्षा।
नरपतगंज (अररिया) से मो माजिद
भरगामा प्रखंड के कुसमौल गांव के निवासी मात्र 18 वर्ष का युवा ,शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा केंद्र चला रहे हैं और इस महान कार्य को सफल बनाने के लिए युवा सोनू नंदा यादव बेहद कम उम्र में ही समाज का बीड़ा उठाया है ।सोनू का कहना है कि समाज में कोई ऐसा बच्चा नहीं बचे जो संसाधन की कमी से पढ़ नहीं पाए आगे वह बताते हैं कि उनका गांव शिक्षा के क्षेत्र में काफी पीछे है इसी को देखते हुए सोनू आज इस महान कार्य को अपने सहयोगी नवनीत सिन्हा ,देवेश कुमार गुप्ता ,पप्पू भगत और युवा सुधांशु यादव के सहयोग से पूरा कर पा रहे हैं। इस निशुल्क शिक्षा केंद्र में बच्चे को मुफ्त में न्यूनतम आवश्यक पुस्तकें भी प्रदान की जाती है।नवनीत सिन्हा बताते हैं कि समाज के हर बच्चों के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है क्योंकि अभी के समय में अधिकांश नौकरियां उसे ही दी जाती है जो शिक्षा से योग्य होते हैं ।देवेश कुमार गुप्ता जी का कहना है कि हमारा यह सकारात्मक प्रयास रंग लाएगी और इससे बाल श्रम पर भी रोक लगेगी।शिक्षा, समाज एक पीढ़ी द्वारा अपने से निचली पीढ़ी को अपने ज्ञान के हस्तांतरण का प्रयास है। इस विचार से शिक्षा एक संस्था के रूप में काम करती है, जो व्यक्ति विशेष को समाज से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा समाज की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखती है। बच्चा शिक्षा द्वारा समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है। बच्चा समाज से तभी जुड़ पाता है जब वह उस समाज विशेष के इतिहास से अभिमुख होता है। इसलिए युवा सोनू नंदा यादव का कहना है कि शिक्षा सभी के जीवन में महत्वपूर्ण होता है और आगे यह बताते हैं कि हम संसाधन की कमी वाले बच्चे को अनपढ़ नहीं रहने देंगे खासकर ग्रामीण परिवार परिवेश के बच्चे कम उम्र में ही खेत में काम या किसी और जगह काम करने लगते हैं ताकि वह अपने घर की स्थिति को सुधार सकें। हमारा यह प्रयास रहेगा कि वैसे बच्चे जो संसाधन की कमी से जूझ रहे हैं वहां तक भी शिक्षा पहुंचे।
युवाओं को सोनू से सीख लेना चाहिए क्योंकि वह अपने पढ़ाई के साथ- साथ समाज में शिक्षा को लेकर महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।