बिहार:भगवान कृष्ण के साथ-साथ नानू बाबा का भी मनाया जाएगा जन्मोत्सव, मां काली को आज लगेगा महाभोग

भगवान कृष्ण के साथ-साथ नानू बाबा का भी मनाया जाएगा जन्मोत्सव, मां काली को आज लगेगा महाभोग

  • भगवान कृष्ण के जन्म के दिन ही नानू बाबा का भी हुआ था जन्म, नानू बाबा के दीर्घायु जीवन के लिए भक्तगण करते हैं कामना
  • सभी धर्मों के लिए मिसाल बन गए हैं नानू बाबा, मंदिर, मस्जिद व अन्य को अपना जमीन दिये हैं।

अररिया संवाददाता

अररिया।हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को मां ही मां खड्गेश्वरी महाकाली के साधक श्री स्वामी सरोजानंद जी महाराज उर्फ नानु बाबा का जन्म हुआ था।जन्माष्टमी पर घरों व मंदिरों में विशेष रूप से सजावट की जाती है. सभी प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर व धाम में विशेष तरह के आयोजन होते हैं। कृष्ण भक्त इस दिन उपवास रखकर कान्हा की भक्ति में डूबे रहते हैं। इस कारण भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के साथ-साथ नानू बाबा का भी जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। जन्मोत्सव के मौके पर नानू बाबा के द्वारा मां काली को महाभोग लगाया जाता है. साथी ही हजारों भक्तगण मां काली के दरबार पहुंचकर नानू बाबा के दीर्घायु जीवन के लिए कामना की जाती है. नानू बाबा के बारे में बताया जाता है कि जब बाबा को सपना आया। सपना में उन्हें भगवान की सेवा करने का आदेश मिला तो पढ़ाई लिखाई को छोड़ कर मां काली के साधक बन गये। वह भी ऐसे साधक बन गये जिसे सभी धर्म के लोग बड़े ही सम्मान के साथ के साथ उनका नाम लेने है। इतना ही नहीं नानू बाबा अपने प्रेतिक जमिन बेच कर मंदिर निर्माण में लगा दिये। इसके साथ ही बाबा ने अपने जमिन मंदिर, मसजिद व विधवा मोसोमाम महिला को दान में भी दिये। जबकि विश्व शांति के लिए 32 वर्षां से सावन माह में जिला मुख्यालय के सभी मंदिरों व जामा मस्जिद में भी महादंड प्रणाम यात्रा किये है। जबकि अररिया के बाहर अन्य राज्य व अन्य जिला में महा दंड प्रणाम यात्रा कर चुके है। सभी को मिलाकर बाबा ने 42 वां महादंड प्रणाम अपने जीवन में अब तक पुरा कर चुके है।

सभी धर्म के लोग नानू बाबा के दीर्घायु जीवन के लिए करते हैं कामना

मां काली साधक नानू बाबा को सभी धर्म के लोग आदर करते हैं. साथ ही नानू बाबा के जन्मोत्सव पर सभी धर्म के लोग एकजुट होकर उनके दीर्घायु जीवन के लिए कामना भी ईश्वर से करते हैं। 2017 तक सावन माह में जिला मुख्याल के सभी मंदिरों में नानू बाबा दंड प्रणाम यात्रा कर चुके है. दंड प्रणाम के दौरान प्रसिद्ध जामा मस्जिद में महा दंड प्रणाम यात्रा करते थे. जहां मस्जिद के इमाम से गला मिल कर आपसी सौहार्द का परिचय भी देते है. इस छन को देखने के लिए लौगों में काफी उत्साह भी रहती है. साथ भी मुसलिम भाईयो द्वारा बाबा के आगमान पर चांदनी चौक से मस्जिद तक सड़क को दुल्हन की तहर सजा कर रखते थे।

फुटबोल खेलकूद त्याग कर नानू बाबा बन गए साधक

जानकार बताते हैं कि नानू बाबा का पढ़ाई अररिया उच्य विद्यायल में किये. इसके बाद इंटर पास करने के बाद उनके परिजनों ने फारबिसगंज कॉलेज में नामांकण कराये। नानू बाबा पढ़ाई के साथ-साथ अच्छे फुटबोल खिलाड़ी उनका परिचय होता था. इस बीच जो समय मिलता वह अपना काली मंदिर में दिया करता था. इस दौरान नानू बाबा को अचानक रात में सपना आया व अपना पुरा जीवन काली मां के सेवा में लगाने का आदेश मिला. इसके बाद नानू बाबा ने अपना पढ़ाई लिखाई छोड़ मां काली के सेवा में लग गये. हालांकि नानू बाबा को काली मंदिर 1970 में पुरी तहर बाग डोर मिला. उस समय हालांकि मंदिर एक झोपड़ी में हुआ करता था. इसके बाद नानू बाबा ने अपने प्रेतिक जमिन बेच व भक्तों के सहयोग से विश्व प्रसिद्ध काली का निर्माण कराया।

मां काली मां भक्तों की सेवा किये नानू बाबा ने नही किये शादी

अररिया शहर में एक जमिदार परिवार में जनमें नानू बाबा के बारे में बताया जाता है कि जब बाबा कॉलेज में पढ़ाई करते थे उसी समय उनके परिजनों ने शादी तय कर दी. हालांकि शादी तय होने से पूर्व नानू बाबा को सपना आ चुका था कि भगवान की पूजा-पाठ करते-करते भक्तों का सेवा करना है. और सभी धर्मो के लोगों एक सूत्र में जोड़ कर रखना है. बाबा को जब यह पता चला कि हमारा शादी तय हो चुका है तो उन्होंने अपने मां निहारीका देवी पुछा कि बहु के देने के लिए कितना जेवर रखी हो. यह पुछने के बाद मां उन्हें सारा जेवर लाकर दिखाने लगा. जेवर दिखाने के बाद बाबा ने सारा जेवर लेकर घर के बगल में स्थिति काली मंदिर में जाकर काली मां को पहना दिया व बाबा ने अपने मां से कहा कि आज से हमारा मां काली को समर्पित है।

काली मंदिर में पूजा के लिए विदेश समेत अन्य राज्यों से आते हैं भक्तगण

नानू बाबा ने अपने प्रेतिक जमिन 12 एकड़ बेचकर व भक्तों के सहयोग से एक झोपड़ी काली मंदिर का 157 फिट ऊंचा काली मंदिर बनाये. जिसे आज देखने के विदेश समेत कई राज्य से लोग पहुंचते है. बताया जाता है ज्ञात कालिन में यह काली मंदिर विश्व के सब से ऊंचा काली मंदिर है. मंदिर का गुम्मद भक्तों काफी आकर्षित करता है. जिसे हर कोई भी अपने-अपने मोबाईल व कैमरे में कैद कर रखते है. नानू बाबा ने यह आज जो अररिया में भव्य काली मंदिर बन पाया है इसका सारा सहयोग भक्तों को जाता है. इस मंदिर निर्माण में अररिया के सभी भक्त कर सेवा देकर काफी सहयोग किये है।

विश्व शांति के लिए नानू बाबा 665 किमी तक दे चुके है दंडप्रणाम

विश्व शांति के लिए नानू बाबा दंड प्रणाम यात्रा देते है. नानू बाबा जिला मुख्याल में 2017 तक 32 वर्षों से महादंड प्रणाम यात्रा दे चुके है. जबकि भारत के राजधानी नई दिल्ली, पटना, कटिहार, पूर्णिया, सुंदरीमंड, पटेगना, मदनपुर,अररिया आरएस, फारबिसगंज, कुर्साकंटा आदि जगहों जगहों पर विश्व शांति के लिए महां दंड प्रणाम यात्रा कर चुके है. सभी का मिला कर नानू बाबा 42 वां महादंड प्रणाम यात्रा पुरा कर चुके है। जिसे लगभग 665 किमी महां दंड प्रणाम यात्रा कर चुके है।

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