बिहार: सुरक्षित प्रसव के लिये सरकारी चिकित्सा संस्थानों पर बढ़ा है लोगों का भरोसा

सुरक्षित प्रसव के लिये सरकारी चिकित्सा संस्थानों पर बढ़ा है लोगों का भरोसा
-प्रसव संबंधी किसी जटिलता से बचाव का महत्वपूर्ण जरिया है संस्थागत प्रसव
-सदर अस्पताल में जनवरी से मई माह के बीच प्रसव संबंधी 3000 मामलों का हुआ सफल निष्पादन

अररिया

संस्थागत प्रसव यानि विश्वस्त चिकित्सा संस्थानों में प्रशिक्षित व सक्षम स्वास्थ्य कर्मियों के पर्यवेक्षण में एक बच्चे को जन्म देना। जहां प्रसव से जुड़ी तमाम जटिलताओं से निपटने व माता व शिशु के जीवन को बचाने के लिये बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हों। संस्थागत प्रसव मातृ-शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने का महत्वपूर्ण जरिया है। घरेलू प्रसव की तुलना में संस्थागत प्रसव जच्चा-बच्चा के बेहतर देखभाल संभव है। बीते कुछ सालों में जिले के सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के विकास के कारण संस्थागत प्रसव के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।एनएफएचएस-05 की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में प्रसव संबंधी 66.2 फीसदी मामलों का निष्पादन संस्थागत रूप से हो रहा है। इसमें सरकारी चिकित्सा संस्थानों की भागीदारी 51.5 फीसदी के करीब है।

संस्थागत प्रसव पर बढ़ा है लोगों का भरोसा :

जिले के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में कोरोना काल में भी प्रसव सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रही। बीते जनवरी माह में जब संक्रमण का तीव्र प्रसार जारी था। बावजूद इसके सदर अस्पताल में ही प्रसव संबंधी कुल 1299 मामलों का सफल निष्पादन संभव हो सका। जनवरी से मई के के अंत तक सदर अस्पताल में 3000 हजार सुरक्षित प्रसव संभव हो सका। जानकारी देते हुए अस्पताल प्रबंधक विकास आनंद ने बताया कि बीते फरवरी माह में 1477, मार्च में 1266, अप्रैल में 977 व मई माह के अंत तक अस्पताल में 851 प्रसव संबंधी मामलों निपटाये गये। इसमें 166 मामलों के निष्पादन में ऑपरेशन की मदद लेनी पड़ी। उन्होंने कहा कि लक्ष्य प्रमाणीकरण हासिल होने के बाद प्रसव संबंधी सेवाओं के लिये सदर अस्पताल के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा है।

प्रसव सेवाओं में हुआ है गुणात्मक सुधार :
जिले के सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल फारबिसगंज, रेफरल अस्पताल जोकीहाट, रानीगंज सहित जिले के सभी पीएचसी में प्रसव सेवा संचालित है। इसके अलावा विभिन्न प्रखंडों के लगभग 22 हेल्थ वैलनेस सेंटरों पर भी प्रसव सेवा संचालित किये जा रहे हैं। डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने बताया कि स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रसूति गृह व ऑपरेशन कक्ष में देखभाल में गुणात्मक सुधार के उद्देश्य से लक्ष्य कार्यक्रम का संचालित किया जा रहा है। इसके तहत प्रसूति कक्ष, ऑपरेशन थियेटर, प्रसुति संबंधी गहन देखभाल इकाईयों आईसीयू में गर्भवती महिला व नवजात के विशेष देखभाल संबंधी तमाम इंतजाम सुनिश्चित कराया जाना है। सदर अस्पताल को लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त हो चुका है। इधर नये सिरे से फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल, सिकटी व भरगामा सीएचसी, पलासी व रानीगंज पीएचसी को भी लक्ष्य प्रमाणीकरण के अनुरूप तैयार करने की कवायद जारी है।

संस्थागत प्रसव के हैं कई लाभ :

सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि संस्थागत प्रसव के कई लाभ हैं। अस्पताल में आने के बाद माताएं खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। विशेष परिस्थितियों में जच्चा व बच्चा की सेहत का समुचित ध्यान रखना आसान होता है। साथ ही अस्पताल में प्रसव के बाद शहरी इलाके की प्रसूति को 1000 रुपये व ग्रामीण इलाके की प्रसूति को 1400 रुपये आर्थिक सहायता प्रदान किया जाता है। परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाने पर प्रसूति को 2000 व प्रसव के सात दिन बाद नियोजन कराने पर आर्थिक सहायता के रूप में 3000 रुपये देने का प्रावधान है। संस्थागत प्रसव से बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनाने संबंधी जटिलता भी खत्म हो जाती हैं। इतना ही नहीं अस्पताल में सामान्य व सिजेरियन ही जरूरी दवा भी नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है। प्रसव के अस्पताल आने व पुन: घर जाने के लिये नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करायी जाती है। समय पर जरूरी प्रतिरक्षण की सुविधा उपलब्ध होती है।

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