बिहार:काली पूजा आज: मां खड्गेश्वरी काली मंदिर में सभी धर्मों के लोगों का जुड़ा है आस्था

काली पूजा आज: मां खड्गेश्वरी काली मंदिर में सभी धर्मों के लोगों का जुड़ा है आस्था
मां खड्गेश्वरी मां काली से मांगी गई हरेक मुरादे होती है पूरी
-मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में दरवार से आज तक नहीं लौटा कोई भी भक्त खाली हाथ

  • मंडल कारा के विचाराधीन बंदियों के द्वारा निर्माण माला से होती है मां खड्गेश्वरी की होती है पूजा
  • मां खड्गेश्वरी पर भक्तों में दिखती है अनोखी अस्था
    -आस्था का केंद्र है अररिया का प्रसिद्ध मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर
    -परोशी देश नेपाल समेत अन्य राज्यों से दर्शन के लिए आते हैं भक्त
    -मंदिर का गुंबद व मां का श्रृंगार होता है आकर्षण का केंद्रविंदु
    -प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को लगता है महाभोग

अररिया संवाददाता

कहते हैं अपराध और अध्यात्म में कोई संबंध नहीं होता, लेकिन बिहार के अररिया में यह भ्रांति टूट रही है. दरअसल अररिया के मां खड्गेश्वरी काली मंदिर में रोजाना पिछले लगभग 40 वर्षों से मंडल कारा में बंद विचाराधीन बंदियों द्वारा फूल का माला बनाया जाता है, और मां खड्गेश्वरी की पूजा उसी माला से की जाती है. इस अनोखी परंपरा का निर्वहन जिले में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में चर्चा का विषय चर्चा का विषय बना हुआ रहता है. कहा जाता है कि किसी त्याग और बलिदान को नहीं करेंगें तब तक कोई धरोहर तैयार नहीं किया जा सकता है. इसका प्रमाण एशिया के सबसे ऊंचा काली मंदिर मां खड्गेश्वरी के साधक नानू बाबा ने कर दिखाया है. अररिया जिला से छोटे शहर में मंदिर का आज मां खड्गेश्वरी काली मंदिर में देश नहीं विदेशों में भी इस मंदिर की चर्चा है. जहां विदेशों सभी भक्तगण मां की पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. इस कारण अपनी कुछ इच्छाएं भगवान के सामने जाहिर करते हैं और उम्मीद रखते हैं.भगवान उन्हें पूरा करेंगे. वह पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं. इस तहर इन दिनों जिला ही नहीं बल्कि देश दुनिया में भी मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर विख्यात है. इस मंदिर में हजारों भक्त रोजना मां खड्गेश्वरी महाकाली का दर्शन करने के लिए आते है. सभी भक्तों का मां खड्गेश्वरी मांगी गयी मुरादे भी पुरा भी करते है. जिस कारण मां के दरवार से आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा. काली पूजा के मौके पर जिला व राज्य के विभिन्न हिस्सों के अलावा नेपाल सहित अन्य देशों से मां काली के भक्त काली पूजा के दौरान अररिया पहुंचते हैं. मां काली के साधक श्री स्वामी सरोजानंद जी महाराज उर्फ नानू बाबा ने अपनी पूरी संपत्ति इस मंदिर में लगा दिया. पूरी सांसारिकता को त्याग नानू बाबा आज भी मां काली की अराधना में लगे रहते हैं. जानकारों के अनुसार मां खड्गेश्वरी मंदिर का गुंबद विश्व में सबसे ऊंचा है. मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को महाभोग लगता है. इस महाभोग का प्रसाद ग्रहण करने के लिए हजारों भक्त मंदिर पहुंचते है. प्रत्येक शनिवार व मंलगवार को मां काली का विशेष श्रृंगार किया जाता है. जिसे देखने के लिए नेपाल सहित अन्य राज्यों से भक्त गण पहुंचते हैं. बाबा बताते हैं कि इस मंदिर में लगभग दो सौ वर्षों से काली पूजा की जाती है. मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में काली पूजा के अलावा अन्य दिन भी नेपाल समेत अन्य राज्य से भक्त पहुंच कर मां काली का दर्शन करते हैं.
क्या है मंदिर का इतिहास
जानकारी के अनुसार मां खड्गेश्वरी काली मंदिर की स्थापना सन् 1884 में हुई थी. लेकिन परम पूज्य साधक नानू बाबा ने 1970 में इस मंदिर का बागडोर अपने हाथों में लिया था. इसके बाद से काली मंदिर में विशेष पूजा अर्चना होने लगी. पहले एक टीन के मकान में मां काली की पूजा हुआ करती थी. नानू बाबा द्वारा लगातार साधना व पूजा किये जाने के बाद मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती चली गयी. 1970 से पूर्व पंडित द्वारा पूजा की जाती थी. नानू बाबा बताते हैं कि काली मंदिर में जब विशेष पूजा अर्चना होने लगी तो भक्तों की भीड़ बढ़ती चली गयी. 1978 में नानू बाबा के सानिध्य में मंदिर का कार्य शुरू हुआ. 1982 में मंदिर का नया गुंबद बनाया गया. जिसकी ऊचाई 152 फीट है. आज इस मंदिर को लोग उदाहरण के रूप में लेते हैं. अररिया के भक्तों के माने तो अररिया में इस छोटी शहर में नानू बाबा ऐसे साधक भव्य मंदिर का निर्माण अररिया शहर को दिया है. यह हम लोगों के लिए काफी गर्व की विषय है.
खड् से पड़ा मां काली का नाम खड्गेश्वरी
मां खड्गेश्वरी के साधक नानू बाबा बताते है कि मां काली के हाथ में खड् रहने के कारण मां काली का नाम मां खड्गेश्वरी रखा गया. बाबा बताते है कि मां काली का रूप सभी देवियों में से सबसे कट्टर माना जाता है. मां के चार हाथ है ,एक हाथ में तलवार और एक एक हाथ में राक्षस का सिर ,यह सिर एक बहुत बड़े युद्ध का प्रतिनिधित्व है. जिसमें मां ने रक्तबीजा नाम के दानव का वध किया था. बाकी के दो हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने के लिए है. मां अपने भक्तो की हमेशा रक्षा करती है. मां काली ने अपने रक्तबीजा नाम के दानव का अपने खड् से वध किया था. इस कारण मां काली का नाम मां खड्गेश्वरी महाकाली रखें है.
आकर्षण का केंद्र है मां का गुबंद
मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर के गुंबद की ऊंचाई 152 फिट है. मंदिर के सभी दीवारों में लगे टाइल्स व पत्थर चांद की दूधिया रोशनी में और छंटा बिखेरता है. इस मंदिर का गुबंद का नक्शा अन्य मंदिर से भिन्न है. नानू बाबा बताते है कि मां खड्गेश्वरी काली मंदिर का गुंबद का नक्शा उनके चाचा विमल चंद्र रक्षित उर्फ गौर दा द्वारा बनाया गया था. जिनका निधन मंदिर निर्माण के क्रम में ऊपर से गिरने से हो गया था. उस समय मंदिर का काम पूरा भी नहीं हुआ था. लेकिर मां काली के आशीर्वाद व भक्तों के सहयोग से पूरा कर लिया गया.
प्रत्येक दिन मंडल कारा के बंदी भेजते हैं फूलों की माला
मां खड्गेश्वरी महा काली के पूजा के लिए हर दिन मंडल कारा के बंदियों द्वारा फूल का आकर्षक माला बना कर भेजा जाता है. जिसे मां खड्गेश्वरी की पूजा के बाद बाबा खड्गेश्वर नाथ को चढ़ाया जाता है. बाबा बताते है यह परंपरा लगभग 40 वर्षों से चलता आ रहा है. बाबा यह भी बताते है एक मां खड्गेश्वरी के भक्त मंदिर में पूजा करने के लिए रोज आया करते थे. लेकिर एक दिन किसी कारण वश उसे जेल जाना पड़ा. बताया जाता है कि मां काली की भक्ति ने उसे इतना प्रेरित किया कि वह जेल से हर दिन फूलों की माला बना कर भेजने लगा. जो बाद में परंपर बन गया. जेल अधीक्षक सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि मां खड्गेश्वरी महाकाली को बहुत पुराना परंपरा है जहां बंदी द्वारा माला का निर्माण कर मां काली को चढ़ाया जाता है. जिसका निर्वाह आज भी किया जा रहा है.
शनिवार व मंगलवार को काली मंदिर में लगता है महाभोग व होता है मां का विशेष श्रृंगार
मां खड्गेश्वरी महां काली मंदिर में प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को महाभोग लगता है. इसके साथ ही दोनों दिन मां का श्रृंगार भी किया जाता है. मां की प्रतिमा को रंग विरंगे चुनरी व कई प्रकार के हार से सजाया जाता है. श्रृंगार के बाद रात में मां को महाभोग लगाया जाता है. महाभोग का खर्च किसी ना किसी भक्त द्वारा उठाया जाता है. इस दिन मां की विशेष पूजा देखने लायक होती है. महाभोग में खीर,खिचड़ी व प्लॉव प्रसाद बनता है.
काली मंदिर में सभी धर्मों का लोगों का है आस्था
बताया जाता है कि मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर में हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि सभी धर्म के लोग आस्था इस मंदिर से जुड़ा है. बताया जाता है की मां कखड्गेश्वरी के साधक नानू बाबा अपने निजी जमीन मंदिर, मस्जिद, स्कूल, मसोमात महादलित महिला को भी दान में दिए हैं. इतना ही नहीं नानू बाबा दंड प्रणाम के दौरान अररिया के प्रसिद्ध जामा मस्जिद जाते हैं. जहां मस्जिद के इमाम द्वारा नानू बाबा का भव्य स्वागत किया जाता है .साथ ही मां खड्गेश्वरी काली मंदिर में भारी संख्या में मुस्लिम भक्तगण भी मां काली की पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं. जिस कारण मां खड्गेश्वरी काली मंदिर का नाम देश ही नहीं बल्कि विदेशों में मां का नाम लिया जाता है. जोकि मां खड्गेश्वरी के साधन नानू बाबा में कर दिखाया है.
नानू बाबा का त्याग ही है परिचय
जानकार बताते हैं कि नानू बाबा का त्याग और बलिदान ही उनका हम परिचय है. नानू बाबा के पास करोड़ों की संपत्ति रहने के बावजूद भी उन्होंने सब कुछ हो त्याग कर मां काली के सेवा में लग गये. उनकी सेवा आज इस तरह से परचम लहरा रही है कि अररिया के नाम मां खड्गेश्वरी काली मंदिर से भी हो रही है. जानकार यह भी बताते हैं कि नानू बाबा कभी भी अपने धन पर लोभ नहीं किये. ना ही मां खड्गेश्वरी के सेवा के लिए शादी किये.

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