बिहार: माहे रमजान का पहला जुमा आज, रोजा रखने के साथ इबादत व बंदगी में डूबे अकीदतमंद

माहे रमजान का पहला जुमा आज, रोजा रखने के साथ इबादत व बंदगी में डूबे अकीदतमंद,

फोटो, मौलाना मुसव्विर आलम नदवी,

अररिया

पैगम्बर हजरत मोहम्मद ( स ) साहब के मक्का से मदीना प्लायन के दूसरे वर्ष ही मुसलमानों पर माहे रमजा़न का रोजा़ रखने का आदेश हुआ । इससे पहले मुसलमान यौमे आशूरा यानी दस मुहर्रम का रोजा़ रखते थे।
02 हिजरी में जब रमजा़न के रोजे़ फर्ज़ हो गये । सभी महीनों में रमजा़न का महीना सबसे अफजल व बरकत वाला है । इस्लामी कैलेण्डर में रमजा़न का महीना सभी महीनों में श्रेष्ठ इसलिए है की अल्लाह की आखिरी किताब अंतिम ईशग्रंथ कुरआन मजीद” इसी महीने में उतरी थी और इस महीने में एक ऐसी रात भी है, जो हजा़र महीनों से बेहतर है। उस रात को अरबी में लैलतुल कद्र और फार्सी में “शबे कद्र” कहते हैं। यह जानकारी मौलाना मुसव्विर आलम नदवी ने कही उन्होंने हदीस शरीफ का हवाला देते हुए कहा जिसने ईमान व यकीन और सवाब की उम्मीद के साथ शबे कद्र का (इबादत) कर लिया, उसके पिछले सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। ठीक यही बात
पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रमजान के संबंध में फरमाया भी है और जिसने ईमान व यकीन के साथ सवाब की उम्मीद से रमजा़न का रोजा़ रखा, उसके पिछले सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। उन्होंने रमजा़न का महत्व बताते हुए कहा हमारे आखरी नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया माहे रमजान के दौरान किये गए हर एक नेकी का बदला अल्लाह तबारक व तआला सत्तर गुना अधिक सवाब देता है ।उन्होंने कहा कि इस पाक महीने के दौरान सभी के साथ प्यार मोहब्बत के साथ रहने और एक दूसरे के दु:ख दर्द को समझने की सीख देने वाला महीना है ।
पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने माहे रमज़ान से एक दिन पहले माहे शाबान की आखिरी तारीख को अपने उपदेश में कहा कि ऐ लोगो तुमपर एक बड़ा और बरकत- बृद्धि वाला महीना आने वाला है। इसमें एक रात है जो एक हजा़र महीनों से बेहतर है। अल्लाह तआला ने तुमपर इसके रोज़े को फर्ज़ किया है और रात में तरावीह की नमाज़ को अतिरिक्त सवाब का माध्यम बनाया है। जो कोई भी इसमें नफ्ल (फर्ज़ नमाज़ के अतिरिक्त) नमाज़ द्वारा अल्लाह से नज़्दीकी हासिल करे । यह सहनशीलता और सब्र वाला महीना है और सब्र का बदला जन्नत है । यह सहिष्णुता और हमदर्दी का महीना है। इसमें ईमान वालों की रोज़ी बढ़ा दी जाती है और जिसने किसी भी रोजे़दार को इफ्तार कराया तो वह उसके लिए उसके गुनाहों की बख्शिश और जहन्नम से आजादी का साधन है और जिसने किसी रोजे़दार को पेट भर खाना खिलाया उसको अल्लाह तबारक व तआला हौजे़ कौसर (विशेष कुंड) से पानी पिलाऐंगे, यह महीना रहमतों व बरकतों वाला महीना है इस महीने के दौरान अल्लाह के तरफ से खास रहमतों की बारिश होती किये गए एक एक नेकी का बदला अल्लाह सत्तर गुना अधिक देता है । इसलिए इस महीने को सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ, बरकत-बृद्धि वाला कल्याणकारी महीना कहा गया है।

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