बिहार:राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम: स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया गया जरूरी प्रशिक्षण

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम: स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया गया जरूरी प्रशिक्षण

-एक दिवसीय माडूलर प्रशिक्षण में दी गयी टीबी मरीजों की जांच व उपचार संबंधी जानकारी
-समय-समय पर मरीजों की काउंसिलिंग जरूरी, नियमित दवा का सेवन उपचार का बेहतर जरिया

अररिया संवाददाता

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चिकित्सा पदाधिकारियों का एक दिवसीय मोडूलर प्रशिक्षण बुधवार को संपन्न हुआ। इस क्रम में चिकित्सा पदाधिकारियों को टीबी मरीजों की जांच व उनके उपचार से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी। कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता, सीडीओ डॉ वाईपी सिंह, डब्ल्यूएचओ के कंस्लटेंट डॉ राजीव एनएस, जिला टीबी व एड्स कॉर्डिनेटर दामोदर प्रसाद शर्मा द्वारा सामूहिक रूप से किया गया।

टीबी की जांच व उपचार का है मुफ्त इंतजाम :

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता ने कहा कि समय पर टीबी रोग की पहचान बेहतर इलाज के लिये जरूरी है। ज्यादा से ज्यादा संभावित मरीजों की खोज जरूरी है। ताकि उनका इलाज सुनिश्चित कराया जा सके। राष्ट्रीय स्तर पर 2025 तक टीबी रोग को पूर्णत: खत्म करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अस्पताल के ओपीडी में आने वाले मरीजों में थोड़ा बहुत भी रोग संबंधी लक्षण दिखने पर तत्काल उनकी जांच करानी जरूरी है। इससे उपचार जल्द शुरू करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिले के सभी प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में जांच की सुविधा उपलब्ध है। सरकार मुफ्त में रोग के इलाज की सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। संक्रमण की पुष्टि होने पर 06 महीने की दवा मरीजों को नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है। निक्षय पोषण योजना के तहत रोगी के एकाउंट में सीधे 500 रुपये उपलब्ध कराये जाते हैं। ताकि रोगी पोषण संबंधी आवश्यकता को पूरा कर सके।

सामूहिक प्रयास से ही पूरी तरह खत्क होगा टीबी :

सीडीओ डॉ वाईपी सिंह ने कहा कि टीबी के साधारण मामलों में 06 से 09 माह नियमित दवा सेवन से रोग पूरी तरह खत्म हो जाता है। वहीं एमडीआर टीबी के मामले में 09 महीने से डेढ़ साल तक दवा का सेवन करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ट्रूनेट मशीन उपलब्ध होने से टीबी के गंभीर मामलों का पता लगाना आसान हो चुका है। जांच नतीजे भी जल्द प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि टीबी को जड़ से खत्म करने के लिये सामूहिक प्रयास की जरूरत है। इसमें आम लोगों का सहयोग भी अपेक्षित है।

दवा सेवन बीच में बंद करने से बढ़ जाता है एमडीआर टीबी का खतरा :

जिला टीबी व एड्स कोर्डिनेटर दामोदर प्रसाद ने बताया कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि निर्धारित समयसीमा के भीतर देश से टीबी का उन्मूलन संभव हो। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों को नियमित कांउसिलिंग की जरूरत होती है। ताकि रोगी बीच में दवा का सेवन बंद न कर दे। दवा का सेवन बंद किये जाने से एडीआर टीबी का खतरा बढ़ जाता है। जो सामान्य टीबी से ज्यादा खतरनाक होता है। कार्यक्रम में डीपीएम एड्सी अखिलेश कुमार सिंह, डॉ रमेश कुमार सिंह, डॉ सदफ तनवीर, डॉ सावन कुमार, डॉ शहनवाज आलम, डॉ नीरज कुमार निराला, डॉ कुमार मार्तंड जिला यक्ष्मा कार्यलय के मनोज गोस्वामी, मो आरिफ सहित अन्य मौजूद थे।

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