नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम: स्वास्थ्य कर्मियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
-जन्म के उपरांत नवजात में होने वाली जटिलताओं के निदान को लेकर कर्मियों को दी गयी जरूरी जानकारी
-हाइपोथर्मिया सहित शिशुओं को अन्य कई जटिलताओं से निजात दिलाता है कंगारू मदर केयर तकनीक
अररिया
नवजात शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जिले के सभी पीएचसी के प्रसव वार्ड के प्रभारी, कार्यरत एएनएम व जीएनएम का दो दिवसीय प्रशिक्षण बुधवार को संपन्न हुआ। सदर अस्पताल में संचालित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कर्मियों को प्रसव के उपरांत नवजात में होने वाली जटिलताओं का बेहतर प्रबंधन व सामान्य बच्चों के बेहतर देखभाल संबंधी तकनीक को लेकर कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया। इसमें सभी प्रखंड के चिह्नित दो एएनएम व जीएनएम को जरूरी प्रशिक्षण के लिये आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका डीआईओ डॉ मो मोईज, एसएनसीयू की प्रभारी वर्षा रानी, केयर इंडिया के एफपी कार्डिनेटर अय्याज अशरफी ने निभाया।
कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण देते हुए केयर इंडिया के एफपी कॉर्डिनेटर अय्याज अशरफी ने बताया कि नवजात अगर मां का दूध नहीं पी रहा हो, शरीर का रंग नीला व पीला होना, बार-बार उलटी करना, अच्छी तरह से ढके होने के बाद भी बच्चे का हाथ व पांव का ठंडा होना नवजात के जटिल स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ निशानी है। उन्होंने कहा कि जन्म के शुरुआती एक घंटे के भीतर शिशुओं के लिये स्तनपान अमृत के समान है। जन्म के शुरुआती दो घंटे तक शिशु सर्वाधिक सक्रिय अवस्था में होते हैं। इस दौरान शिशु आसानी से स्तनपान की शुरुआत कर सकता है। इससे शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। सामान्य व सिजेरियन दोनों ही तरह के प्रसव संबंधी मामलों में यह जरूरी है। इससे बच्चे के निमोनिया, डायरिया सहित कई अन्य गंभीर रोगों से बचाया जा सकता है।