बिहार:उत्तर भारत के पेरियार महान समाज सुधारक पिछड़ों दलितों के मसीहा मान्यवर ललई सिंह यादव का 110 वीं जयंती मनाई गई

उत्तर भारत के पेरियार महान समाज सुधारक पिछड़ों दलितों के मसीहा मान्यवर ललई सिंह यादव का 110 वीं जयंती मनाई गई

पूर्णिया संवाददाता

अंबेडकर सेवा सदन में बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के जिला अध्यक्ष शंभू प्रसाद दास के अध्यक्षता में मनाई गई। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों के समाजसेवी गन पेरियार ललई सिंह यादव के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। सर्वप्रथम भारत मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष उमेश प्रसाद यादव ने कार्यक्रम में शामिल आगंतुकों का बहुजन महापुरुषों के विचार धारा के प्रचार प्रसार के लिए आयोजित कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए स्वागत किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता बहुजन क्रांति मोर्चा के प्रमंडलीय प्रभारी प्रोफेसर आलोक कुमार ने कहा कि ललई सिंह यादव उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के कठारा गांव के एक कृषक परिवार में पैदा होकर तथा फॉरेस्ट गार्ड की नौकरी कर पुनः सेना में भर्ती होकर राष्ट्र सेवा में अपना योगदान दिया। एक सैनिक के रूप में अपने विद्रोही स्वभाव के चलते सैनिकों के शोषण के विरुद्ध लड़ाई के दरमियान त्यागपत्र देकर समाज में फैले अंधविश्वास, जाति- वर्ण भेद, पितृसत्ता , शोषण एवं अन्याय के विरुद्ध संघर्ष आरंभ कर दिया । हिंदू धर्म में व्याप्त ऊंच-नीच पाखंड को नकारते हुए बौद्ध धर्म स्वीकार कर मानवतावादी विचारों को समाज में फैलाने के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे । महान समाज सुधारक पेरियार ई० वी० रामास्वामी नायकर के संपर्क में आने के बाद उनके विचारों को उत्तर भारत में पेरियार के ‘सच्ची रामायण’ रचना का हिंदी अनुवाद कर लोगों के बीच बांटने एवं सरकार के द्वारा पुस्तक के प्रकाशन के रोक को सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़कर प्रकाशित कराने मैं ललई सिंह यादव का अहम योगदान रहा। डॉक्टर अंबेडकर के कुछ किताबों के प्रतिबंधित होने की लड़ाई भी ललई सिंह यादव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से प्रकाशन की स्वीकृति दिलाने में अपनी संपत्ति बेचकर तथा अशोक प्रेस स्थापित कर एक प्रकाशक के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया। समाजसेवी नीलू सिंह पटेल ने ललई सिंह यादव के मानवतावादी विचारों को जन जन तक ले जाने के लिए पिछड़ों एवं दलितों को उनके द्वारा किए गए संघर्ष एवं उनकी प्रकाशित रचनाओं को समाज में ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया । रामस्वरूप वर्मा एवं अमर शहीद जगदेव प्रसाद के साथ मिलकर ललई सिंह यादव ने उत्तर भारत में सामाजिक क्रांति एवं राजनीतिक हिस्सेदारी की लड़ाई की अगुवाई किया । समाजसेवी बमभोला साहनी ने ललई सिंह यादव द्वारा प्रकाशित अंगुलिमाल, शंबूक बध , एकलव्य, नागयग्य एवं शोषितों पर धार्मिक डकैती जैसी रचना को पढ़कर उनके विचारों को आत्मसात करने पर बल दिया। अन्य वक्ता विपिनबिहारी दास कुशवाहा , वीरेंद्र कुमार दास, इंजीनियर रघुनंदन कामती, इंजीनियर सुरेश शर्मा, भारत मुक्ति मोर्चा के प्रधान महासचिव बबलू गुप्ता, श्री लाल दास, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी अशोक कुमार मंडल, मजदूर नेता दिनेश दास, किसान नेता अनिरुद्ध मेहता, अनुसूचित जाति जनजाति विचार मंच के अध्यक्ष हरी लाल पासवान, गोपाल ठाकुर, मुरली मनोहर यादव, प्रदीप पासवान, सुमित कमल, उपेंद्र दास, रामा शंकर शर्मा, मिथिलेश यादव, शंकर सुमन , अखिलेश आलोक, योगेंद्र राम, ध्रुव नारायण साहनी, मुकेश कुमार मेहता, किसान नेता कुमार साहेब, नंद किशोर ठाकुर, सत्यनारायण शाह किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष उपेंद्र यादव आदि प्रमुख लोगों ने ललई सिंह यादव के जीवन पर अपने अपने विचार रखे कार्यक्रम का संचालन किसान सलाहकार संघ के प्रमंडलीय अध्यक्ष संजीव शुभम ने किया अंबेडकर सेवा सदन के अध्यक्ष जिन्नत लाल राम ने धन्यवाद ज्ञापन किया ‌।

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