एचआईवी एड्स परएक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन
अररिया संवाददाता
डीआरडीए सभागार में शुक्रवार को एचआईवी एड्स एवं सामाजिक सुरक्षा विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला एड्स बचाव एवं नियंत्रण इकाई के सौजन्य से बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सहित आईसीडीएस की महिला पर्यवेक्षिकाओं के लिये आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन उप विकास आयुक्त श्री मनोज कुमार द्वारा किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेते हुए बीएसएसीएस के अधिकारियों ने एचआईवी एड्स के कारण, इसकी रोकथाम के उपाय, संक्रमित मरीजों के नागरिक अधिकारों के संरक्षण संबंधी उपाय सहित अन्य पहलुओं को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी आईसीडीएस कर्मियों के साथ साझा किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त ने कहा कि एचआईवी व एड्स का नाम सुनते ही लोगों के हाव-भाव बदल जाते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लोगों में इसे लेकर जानकारी का अभाव है। लिहाजा लोगों के बीच इसे लेकर बेहतर समझ का होना जरूरी है। आमतौर पर इसे लेकर सामाजिक कलंक के तौर पर देखा जाता है। लोगों की इस मानसिकता में बदलाव के लिये सघन प्रचार-प्रसार के साथ ऐसी रणनीति बनानी होगी जिससे समाज में इस बीमारी को लेकर स्वस्थ वातावरण का निर्माण किया जा सके। सिविल सर्जन डॉ एपपी गुप्ता ने कहा कि जागरूकता ही एचआईवी संक्रमण से बचाव का एक मात्र जरिया है। लिहाजा हर स्तर पर इसे लेकर लोगों को जागरूक करने के लिये सामूहिक प्रयास की जरूरत है। कार्यक्रम में बीएसएसीएस की उपनिदेशक सरिता कुमारी ने कहा कि किसी व्यक्ति को देखकर एचआईवी संक्रमण का पता नहीं लगाया जा सकता है। निर्धारित जांच प्रक्रिया से ही इसका पता लगाया जा सकता है। अमूमन सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर इसके जांच सहित अन्य सुविधाओं के लिये आईसीटीसी का संचालन किया जा रहा है। जहां जांच पूर्व व पश्चात जरूरी सलाह, जांच के नतीजे व इलाज संबंधी सेवाएं उपलब्ध हैं । किसी व्यक्ति को एचआईवी जांच के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है। वहीं जांच के नतीजे पूरी तरह गोपनीय रखने का प्रावधान है। मरीज के अलावा रिपोर्ट उनके किसी अन्य परिजन से साझा नहीं किया जा सकता है। मुख्य प्रशिक्षक के रूप में भाग ले रहे राज्यस्तरीय टीसीयू के प्रतिनिधि अरिंदम चटर्जी ने कहा संक्रमित व्यक्ति से गले मिलने, हाथ मिलाने, खांसने, एक साथ यात्रा करने, एक थाली में खाने से संक्रमण नहीं फैलता। संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संपर्क, संक्रमित मरीज के लिये प्रयुक्त सीरिंज के दोबारा प्रयोग, संक्रमित व्यक्ति का खून किसी दूसरे व्यक्ति को चढ़ाने व संक्रमित माताओं से उनके बच्चों में संक्रमण के फैलने की संभावना होती है। जिला एड्स नियंत्रण व बचाव इकाई के डीपीएम अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि एचआईवी का पूर्णत: इलाज अभी तक संभव नहीं हो सका है। लेकिन ब्लड प्रेशर व डायबिटीज जैसी बीमारियों की तरह यह भी एक मैनेजिबल डिजीज है। संक्रमितों के उपचार के लिये एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी उपयोग में लाया जाता है। एआरटी उपचार चिकित्सक की जांच सहित विभिन्न परीक्षणों के बाद शुरू किया जाता है। इसके तहत रोगियों को जरूरी परामर्श सेवाओं के साथ आवश्यक औषधियां नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ एमपी गुप्ता, बीएसएसीएस की उपनिदेशक सरिता कुमारी, स्टेट टीसीयू के अरिंदम चटर्जी, डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ, डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह, डीआईएस शाहिद फरमान, डीए एसी मुरलीधर साह सहित जिले की सभी सीडीपीओ व महिला पर्यवेक्षिका शामिल थी।