बिहार: टीबी मुक्त अभियान- केएचपीटी ग्रामीण क्षेत्रों में चला रहा है जागरूकता अभियान

टीबी मुक्त अभियान- केएचपीटी ग्रामीण क्षेत्रों में चला रहा है जागरूकता अभियान:

कुपोषण के शिकार व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना अधिक: सीडीओ

टीबी संक्रमित व्यक्ति नियमित रूप से दवा का करें सेवन: जिला प्रमुख

टीबी मुक्त अभियान में पंचायत जनप्रतिनिधियों सहित ग्रामीणों का अहम योगदान: केएचपीटी

अगर आप पिछले कई वर्षों से विभिन्न प्रकार की संक्रमण जैसी बीमारियों को नज़रअंदाज़ करते आ रहे हैं तो सावधान हो जाइये। क्योंकि टीबी भी एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है। इसका संक्रमण व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। लेकिन दिमाग़ को मज़बूत रखकर यानी दृढ़ इच्छाशक्ति से टीबी क्या दूसरी जानलेवा बीमारियों को भी हरा सकते हैं। वैसे तो टीबी मुक्त अभियान में स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से लगातार प्रयास करते आ रहा है। लेकिन अन्य सहयोगी संस्थाओं के द्वारा भी ग्रामीण स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। जिसमें कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट के द्वारा ग्रामीण स्तर पर जनप्रतिनिधियों, आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ताओं सहित जीविका समूह से जुड़ी दीदियों के साथ बैठक कर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ताकि आगामी 2025 तक टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाया जा सके।

कुपोषण के शिकार व्यक्तियों में टीबी होने की संभावना अधिक: सीडीओ
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा का कहना है कि उन व्यस्कों में टीबी जल्द फैलता है जो कुपोषण के शिकार होते हैं। दरअसल इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उपचार के दौरान बेहतर खानपान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, विटामिन डी और आयरन के सप्लीमेंट्स, साबुत अनाज और असंतृप्त वसा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। अनुपयुक्त भोजन से उपचार असफल हो सकता और द्वितीय संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। अपनी सेहत का ख्याल रखें और नियमित रूप से अपनी शारीरिक जांच कराते रहें।

टीबी संक्रमित व्यक्ति नियमित रूप से दवा का करें सेवन: जिला प्रमुख
कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) के जिला समन्वयक अरुणेंदु कुमार झा ने कहा कि टीबी का इलाज शुरू होने के बाद उसे बीच में किसी भी परिस्थिति में नहीं छोड़ना चाहिए। कई बार ऐसा देखने या सुनने को मिलता है कि टीबी संक्रमित व्यक्ति अपने बलग़म या एक्सरे की जांच कराने में संकोच करते लेकिन ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए। समय रहते बीमारी की जांच करा ली जाए तो टीबी जैसी बीमारी को गांव-देहात ही नहीं बल्कि राज्य और देश से आसानी से मिटाया जा सकता है। अगर किसी भी व्यक्ति का वजन धीरे-धीरे कम हो रहा और दो सप्ताह से अधिक दिनों तक खांसी नहीं रुक रही, तो समय रहते टीबी की जांच कराएं और बीमारी होने पर तुरंत दवा लेना शुरू कर दें।

टीबी मुक्त अभियान में पंचायत जनप्रतिनिधियों सहित ग्रामीणों का अहम योगदान: केएचपीटी
कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) की प्रखंड समन्वयक उषा कुमारी ने बताया कि श्री नगर प्रखंड के खोखा उत्तर पंचायत के मुखिया प्राण मोहन मिश्रा के नेतृत्व में टीबी बीमारी से संबंधित जागरूकता अभियान चलाया गया। जिसमें बीमारी के लक्षण, जांच, दवा, पोषण, बचाव के साथ ही उचित परामर्श को लेकर स्थानीय पंचायत के लगभग दो दर्जन से अधिक ग्रामीणों के बीच बताया गया। वहीं दूसरी तरफ प्रखंड मुख्यालय स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में पोषक क्षेत्र की महिलाओं के साथ बैठक कर जागरूक किया गया। जिसमें मुख्य रूप से उप मुखिया देवेंद्र सिंह, एसटीएस ममता कुमारी, वार्ड सदस्य मुस्तकीम, शमसुल हक सहित कई अन्य ग्रामीण उपस्थित थे।

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