आज ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति एंव संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर भारत बंद किया गया जिसे बिहार मे राजद, कांग्रेस, वाम दलों, आम आदमी पार्टी समेत सभी विपक्षी दलों एवं सभी किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया।
पूर्णियाँ मे बंद प्रभावी दिखा शहर के मुख्य चौराहा आर.एन.शाह चौक पर चारों तरफ से बैरिकेडिंग कर बंद को समर्थन कर रहे दलों के नेताओं ने किसान आंदोलन के समर्थन एवं तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाए।
उपस्थित किसान संघर्ष समन्वय समिति के पूर्णियां जिला अध्यक्ष आलोक यादव ने कहा कि आज सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. कृषि सुधार के नाम पर किसानों को निजी बाजार के हवाले कर रही है. हाल ही में देश के बड़े पूंजीपतियों ने रीटेल ट्रेड में आने के लिए कंपनियों का अधिग्रहण किया है. सबको पता है कि पूंजी से भरे ये लोग एक समानांतर मजबूत बाजार खड़ा कर देंगे. बची हुई मंडियां इनके प्रभाव के आगे खत्म होने लगेंगी. ठीक वैसे ही जैसे मजबूत निजी टेलीकॉम कंपनियों के आगे बीएसएनल समाप्त हो गई. इसके साथ ही एमएसपी की पूरी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी. कारण है कि मंडियां ही एमएसपी को सुनिश्चित करती हैं. फिर किसान औने-पौने दाम पर फसल बेचेगा. सरकार बंधन से मुक्त हो जाएगी.
वहीं किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक नियाज अहमद ने कहा कि केंद्र सरकार देश के चंद उधोगपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है इसलिए देश में जमाखोरी और कालाबाजारी को इन कानूनों के द्वारा संवैधानिक अधिकार प्रदान कर रही है और इन कानूनों के जरिए ये उधोगपति भुख के आधार पर खाध वस्तुओं का दाम तय करेगी मगर हम उनके मंशे को कभी कामयाब नहीं होने देंगे हम अपनी आखिरी सांस तक लड़ेंगे आंदोलन करते रहेंगे जब तक तीनों काला कानून वापस नहीं हो जाता।
किसान महा सभा के जिला अध्यक्ष ईस्लामुद्दीन ने इस कानून के कानूनी दांव पेंच को बताते हुए कहा कि इन कानूनों के अनुसार पहले विवाद कॉन्ट्रैक्ट कंपनी के साथ 30 दिन के अंदर किसान निपटाए और अगर नहीं हुआ तो देश की ब्यूरोक्रेसी में न्याय के लिए जाए. नहीं हुआ तो फिर 30 दिन के लिए एक ट्रिब्यूनल के सामने पेश हो. हर जगह एसडीएम अधिकारी मौजूद रहेंगे. धारा 19 में किसान को सिविल कोर्ट के अधिकार से भी वंचित रखा गया है. कौन किसान चाहेगा कि वह महीनों लग कर सही दाम हासिल करे? वह तहसील जाने से ही घबराते हैं
राष्ट्रीय जनता दल के जिला अध्यक्ष मिथलेश दास ने मंडी व्यवस्था के बारे मे बताते हुए कहा कि मंडी व्यवस्था में कमियां थीं. बिल्कुल ठीक तर्क है. किसान भी कह रहे हैं कि कमियां हैं तो ठीक कीजिए. मंडियों में किसान इंतजार इसलिए भी करता है क्योंकि पर्याप्त संख्या में मंडियां नहीं हैं. आप नई मंडियां बनाएं. नियम के अनुसार, हर 5 किमी के रेडियस में एक मंडी. अभी वर्तमान में देश में कुल 7000 मंडियां हैं, लेकिन जरूरत 42000 मंडियों की है. आप इनका निर्माण करें. कम से कम हर किसान की पहुंच तक एक मंडी तो बना दें. संसद में भी तो लाखों कमियां हैं. क्या सुधार के नाम पर वहां भी एक समानांतर निजी संसद बनाई जा सकती है? फिर किसानों के साथ क्यों?
उपस्थित कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष एजाज अहमद ने देश के किसानों के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत की जनसंख्या का 52% परिवार कृषि पर निर्भर हैं,देश में कृषि कार्यों से जुड़े 14.65 करोड़ परिवारों में से 54.60% परिवार भूमिहीन हैं, और हमारे देश में हर 12 मिनट 37 सेकंड में एक किसान आत्महत्या का रास्ता अपनाने पर मजबूर होता है और उसी देश में लाखों करोड़ रुपये कारपोरेटों के ऋण माफी, टैक्स-माफी, बिजली बिल माफी होती हैं, लगभग तीन दर्जन पूंजीपतियों को हजारों करोड़ कर्ज बिना चुकाये विदेश भागने की छूट मिल जाती है, सोचिए उसी देश में कुल 80 हजार करोड़ का किसानों की कर्जमाफी नहीं करने से 3 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
इनके अलावा राष्ट्रीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र यादव भारत मुक्ति मोर्चा के जिला अध्यक्ष उमेश यादव प्रधान महासचिव बबलू गुप्ता बणेश उरांव,मुरली मनोहर यादव, अमरनाथ सिंह, हरिलाल पासवान, तबारक हुसैन, अभिषेक यादव समेत अन्य नेताओं ने बंद को लेकर आर.एन.शाह चौक पर अपने अपने विचार रखें।
वहीं गुलाबबाग के मुख्य चौराहे , हरदा बाजार, रूपौली, धमदाहा ,श्री नगर समेत अन्य जगहों पर भी सड़क जाम कर बंद को सफल बनाया गया