बिहार:ऐसे साहित्यकार कवि नाटककार कहानीकार पर वैश्य समाज को काफी गर्व है -दिलीप कुमार

पूर्णिया हिंदी साहित्य के महान कवि नाटककार कहानीकार जयशंकर प्रसाद की जयंती आज कानू हलवाई विकास मंच की ओर से आयोजित की गई कार्यक्रम के प्रारंभ में उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया मुख्य वक्ता के रूप में अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने कहा इनका जन्म वाराणसी म 18 89 ईसवी में हुआ था तथा इनकी मृत्यु 1937 ईस्वी में हुई थी इनकी काव्य कृतियों में कामायनी कानन कुसुम झरना आंसू लहर प्रमुख प्रमुख है इन्हें मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मानित किया गया था नाटक में अजातशत्रु चंद्रगुप्त स्कंद गुप्त ध्रुव स्वामीनी काफी लोकप्रिय हुआ उन्होंने उपन्यास भी लिखा इनके उपन्यास में कंकाल टिप्पणी इरावती शामिल है इनकी कहानियां भी काफी प्रसिद्धि प्राप्त की जिसमें आकाश दीप आंधी और इंद्रजाल शामिल है ऐसे साहित्यकार कवि नाटककार कहानीकार पर वैश्य समाज को काफी गर्व हैके निर्मल कुमार साह के निवास स्थान पर अध्यक्षता में मनाया गया अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने कहा इनका जन्म वाराणसी म 18 89 ईसवी में हुआ था तथा इनकी मृत्यु 1937 ईस्वी में हुई थीइनकी काव्य कृतियों में कामायनी कानन कुसुम झरना आंसू लहर प्रमुख प्रमुख है मंगला प्रसाद पारितोषिक से जी सम्मानित किया गया था नाटक में अजातशत्रु चंद्रगुप्त स्कंद गुप्त ध्रुव स्वामिनी काफी लोकप्रिय हुआ उन्होंने कई एक उपन्यास तथा नाटक भी लिखा उनकी रचनाओं में छायावाद की झलक मिलती है
रंजीत गुप्ता ने कहा किक जयशंकर प्रसाद की कामायनी एक महान ग्रंथ के रूप में जानी जातीपूर्णिया हिंदी साहित्य के महान कवि नाटककार कहानीकार जयशंकर प्रसाद की जयंती आज कानू हलवाई विकास मंच की ओर से आयोजित की गई कार्यक्रम के प्रारंभ में उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया मुख्य वक्ता के रूप में अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने कहा इनका जन्म वाराणसी म 18 89 ईसवी में हुआ था तथा इनकी मृत्यु 1937 ईस्वी में हुई थी इनकी काव्य कृतियों में कामायनी कानन कुसुम झरना आंसू लहर प्रमुख प्रमुख है इन्हें मंगला प्रसाद पारितोषिक से सम्मानित किया गया था नाटक में अजातशत्रु चंद्रगुप्त स्कंद गुप्त ध्रुव स्वामीनी काफी लोकप्रिय हुआ उन्होंने उपन्यास भी लिखा इनके उपन्यास में कंकाल टिप्पणी इरावती शामिल है इनकी कहानियां भी काफी प्रसिद्धि प्राप्त की जिसमें आकाश दीप आंधी और इंद्रजाल शामिल है ऐसे साहित्यकार कवि नाटककार कहानीकार पर वैश्य समाज को काफी गर्व हैके निर्मल कुमार साह के निवास स्थान पर अध्यक्षता में मनाया गया अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने कहा इनका जन्म वाराणसी म 18 89 ईसवी में हुआ था तथा इनकी मृत्यु 1937 ईस्वी में हुई थीइनकी काव्य कृतियों में कामायनी कानन कुसुम झरना आंसू लहर प्रमुख प्रमुख है मंगला प्रसाद पारितोषिक से जी सम्मानित किया गया था नाटक में अजातशत्रु चंद्रगुप्त स्कंद गुप्त ध्रुव स्वामिनी काफी लोकप्रिय हुआ उन्होंने कई एक उपन्यास तथा नाटक भी लिखा उनकी रचनाओं में छायावाद की झलक मिलती है
रंजीत गुप्ता ने कहा किक जयशंकर प्रसाद की कामायनी एक महान ग्रंथ के रूप में जानी जाती है सृष्टि के प्रथम प्रलय को जिसे अकेले मनु ने देखा था उसका चित्रण उन्होंने अपनी कविता में बड़े ही सुंदर आकर्षक एवं मार्मिक रूप से व्यक्त किया है इस अवसर पर वीरेंद्र कुमार साह अशोक कुमार सा हो पंकज कुमार साह भानु प्रसाद शंभू प्रसाद इत्यादि शामिल थे

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