53 वर्षो से हो रही है हाई स्कूल रोड दुर्गा पूजा समिति में माँ की पूजा
अमित ठाकुर
फारबिसगंज (अररिया) संवाददाता
शहर के वार्ड संख्या 20 स्थित हाईस्कूल रोड दुर्गा मंदिर में पिछले 52 वर्षो से शारदीय नवरात्र के अवसर पर दुर्गा पूजा होती आ रही है।यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत 1969 ई. में स्व. वानेश्वर प्रसाद वर्मा, विरेंन्द्र नाथ मुखर्जी, अशर्फी झा और द्विजेंद्र नाथ बोस उर्फ माल बाबू ने की थी। उस समय यह दुर्गा मंदिर आज की तरह पक्के भवन का नही था।दुर्गा पूजा के लिए बांस, बल्लों और तिरपाल आदि से पंडाल बनाया जाता था। हर साल पंडाल बनाने की परेशानी को देखते हुए पूजा समिति ने स्थानीय लोगों के सहयोग और चंदा से पक्का मंदिर का निर्माण कराया था। खास बात यह है कि इस साल पूजा के पहले ही इस मंदिर के जमीन दाता अमरेंद्र कुमार सिन्हा के द्वारा अपने खर्चे पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। इस मंदिर की ऊँचाई करीब दो फीट बढ़ाई गई है और मंदिर की मजबूती के लिए चारों ओर पिलर भी ढाल दिया गया है जो मंदिर को भव्यता प्रदान करता है। रायगंज, बंगाल के मूर्तिकार हेमंत पाल ने सबसे पहले यहां माता दुर्गा की प्रतिमा बनाई थी। तब से हेमंत पाल ही यहां की मूर्ति बनाते आ रहे थे, किंतु पिछले दिनों उनकी मृत्यु हो गई। इस साल उनके पुत्र के द्वारा मूर्ति बनाई गई है। इनके द्वारा बनाई गई माँ दुर्गा की मूर्ति बहुत ही सुंदर और कलात्मक है, जिसकी सब लोग खूब तारीफ करते हैं। पहले पंडाल बनाने के लिए बंगाल के कलाकारों को बुलाया जाता था। उन दिनों कलाकार कपड़ों और पर्दों पर सुंदर चित्रकारी करके सजावट करते थे। आजकल स्थानीय पंडाल निर्माताओं से पंडाल बनवाया जाता है। कपड़े और थार्मोकोल से भव्य पंडाल बनाया जाता है। इसके लिए महीने भर पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है। पूजा में ढाकी वाला बंगाल के मालदा से ढाकी बजाने के लिए बुलाया जाता है। यहां पूजा करने के लिए हर वर्ष एक कमेटी बनाई जाती है, जिसमें अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष आदि का चुनाव किया जाता है। इसके अलावा दर्जनों सक्रिय सदस्य भी कमेटी में रहते है। मुहल्ले के निवासी पूजा में बहुत सहयोग करते हैं और अच्छा चंदा भी देते है। पहले बाजार से चंदा वसूला जाता था, किंतु आजकल चंदा कम मिलता है। यहाँ मूर्ति, सजावट और प्रसाद आदि पर खूब खर्च किया जाता है।आज पूजा कमेटी के बीच अच्छी प्रतिमा, सजावट आदि को लेकर बड़ी प्रतिस्पर्धा भी रहती है। यहाँ प्रतिमा, सजावट, प्रसाद आदि में 03 से 04 लाख रुपए का खर्च आता है। षष्ठी पूजा से मंदिर में माँ की पूजा अर्चना शुरू हो जाती है। बहुत से दाता अपने नाम से हर रोज का पूजन खर्च प्रदान करते है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। रोज विधि विधान से माँ के विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना और पुष्पांजलि की जाती है। जिसमें भारी संख्या में महिला और पुरुष शामिल होते हैं।
नवमी पूजा के दिन माँ को प्रसाद में खीचडी का महाभोग लगाया जाता है। दुर्गा पूजा मे खिचडी प्रसाद पहली बार इसी पूजा समिति द्वारा शुरू की गई थी। प्रसाद मे आज तक कोई बदलाव नही किया गया है। जबकि सजावट आदि समय और काल के अनुसार बदलता रहता है। शांति व्यवस्था के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा बल दिया जाता है। क्योंकि अष्टमी और नवमी के दिन मूर्ति के दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुटती है। कमेटी के सदस्य भी पूरी सक्रियता से जुटे रहते हैं। शहर में हाई स्कूल रोड दुर्गा पूजा समिति का एक अलग ही दर्शन करने वालों के लिए आकर्षण रहता है।
शारदीय नवरात्र के साथ साथ चैत्र नवरात्र में भी इस मंदिर में माँ की पूजा होती है।
पूजा कमिटी के पूर्व सचिव हेमंत यादव ने बताया कि यहाँ बंगाली विधि से पूजा अर्चना की जाती है।
हाईस्कूल दुर्गा पूजा समिति में स्थायी रूप से कोई पंडित व पुजारी नहीं है। नवरात्रा के दौरान कोलकाता से स्पेशल तौर पर पुजारी को बुलाया जाता है। पुजारी श्री स्वप्न गांगुली द्वारा दस दिनों तक बंगाली पद्धति के अनुसार पूजा करायी जाती है। जो शहरवासियो के बीच आकर्षण का केंद्र रहती है। दशमी का मूर्ति विशर्जन भी बड़े ही शालीनता के साथ किया जाता है। इस साल पूजा कमेटी में प्रशांत प्रवीण, विपुल विश्वास, पप्पू पाठक, जुगनू कुमार, नितेश आनंद, मनीष पांडेय, दीपक जायसवाल, अमितेश सिन्हा, प्रहलाद कुमार, गोलु कुमार आदि सक्रिय हैं।
फोटो कैप्शन – फारबिसगंज के हाईस्कूल रोड दुर्गा पूजा समिति द्वारा स्थापित माँ दूर्गा की प्रतिमा।