बिहार:कियूं मार दिए साहब हम तो अभी जिन्दा हैं

कियूं मार दिए साहब हम तो अभी जिन्दा हैं

4 समिति सदस्य एवं 4 वार्ड सदस्य भावी प्रत्याशियों का नाम ही मतदाता सूची से गायब

सिमराहा ( अररिया )से मो माजिद

लोकतंत्र की सफलता, लोकतंत्र की मजबूती, लोकतंत्र पर विश्वास निर्भर करता है हम सभों के कीमती एक मात्र वोट पर। आम लोगों को संविधान द्वारा प्राप्त सैकड़ों मौलिक अधिकारों में जो सबसे अहम है वह है मताधिकार। देश का कोई भी नागरिक अपने इस विशेष अधिकार से वंचित न रह जाए इसके लिए निर्वाचन आयोग मतदाताओं के जागरूकता एवं सुविधाओं और संसाधनों पर विशेष ध्यान देती रही है। समाज का अंतिम व्यक्ति भी मताधिकार का प्रयोग आसानी से कर सकें इसके लिए पंचायत स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के हर अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करते हुए दिन रात एक कर देते हैं। फिर भी राजीनीतिक षड्यंत्रों के तहत अपने विरोधियों को चुनाव मैदान से एवं मताधिकार से दूर करने की गलत मनसा रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के साजिश का हिस्सा बनकर चुनाव कार्यों में शामिल अधिकारियों द्वारा जीवित लोगों को ही मृत घोषित कर देने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। इतनी गंभीर और दण्डनी आरोप डोरिया सोनापुर पंचायत की जनता द्वरा निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों पर लगाया जा रहा है। मतदाता सूची को तैयार करने वाले कर्मियों की भूल न मानकर ग्रामीण इसे सोची-समझी साजिश बता रहे हैं। भूल हुई है या किसी बिचौलिए द्वरा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए साजिश रची गई है यह तो जांच का विषय है। बताते चलें कि
फारबिसगंज प्रखंड के डोरिया सोनापुर पंचायत निवासी आधा दर्जन से अधिक नेताओं को तब पता चला कि अब वह इस दुनियां में मौजूद नहीं हैं जब पंचायत चुनाव से पूर्व निर्वाचन पदाधिकारी द्वरा निर्गत मतदाता सूची पर उनकी नज़र पड़ी। सरकारी दस्तावेजों द्वारा मृत घोषित लोगों ने मतदाता सूची के हर पृष्ठ व भाग पर पैनी नज़र और तेज रफ्तार अंगुलियों की गर्दिश के बाद जब अपने क्रम संख्या पर पहुंचा तो देखा कि उन्हें तो सरकारें जीवित स्वीकार ही नहीं कर रही है। यह सभी लोग कुछ समय के लिए असमंजस में पड़ गए। किया वह सचमुच मर गए हैं। कुछ देर तक जोर-जोर से लंबी सांसे लेने के बाद उन्हें यह एहसास हुआ कि अभी तो वह जिंदा हैं। इस संसार में होकर भी आधिकारिक रूप से न होने का दुर्भाग्यशाली लोग सच में प्रशासनिक अधिकारियों के लिए कुछ भी न हो मगर अपने समाज के लिए तो प्रतिष्ठित एवं गणमान्य व्यक्तियों की श्रेणी में शामिल हैं। वार्ड संख्या 11 निवासी गयास पिता इसराइल वर्तमान समय में हुए पैक्स अध्यक्ष का चुनाव कुछ वोटों से हार गए हैं तथा पंचायत चुनाव में भी उम्मीदवारी दे रहे हैं। वार्ड संख्या 10 निवासी सरवर आलम पिता इसराइल कई बार पंचायत समिति सदस्य के रूप में अपना भाग्य आजमा चुके हैं इस बार भी डटे हुए हैं। वार्ड संख्या 10 निवासी मो साहिल पिता जैनुल अपने गांव के चौकीदार हैं तथा उनका पुत्र विगत पंचायत चुनाव में पंचायत समिति सदस्य का उम्मीदवार था। वार्ड संख्या 10 निवासी रेहान पिता साहिल का भी नाम गायब जबकि पिछले चुनाव में उनका भाई उम्मीदवार था इस बार वह चुनाव की तैयारी में लगा है। वार्ड संख्या 11 निवासी मौज़म्मिल पिता मोजीबुर रहमान भी एक बार समिति सदस्य व वार्ड सदस्य का प्रत्याशी रह चुका है और इस बार भी चर्चा में हैं। वार्ड संख्या 9 निवासी पूर्व वार्ड सदस्य के रूप में पांच वर्ष जनता की सेवा कर चुके मुज़म्मिल पिता जाबुल का भी यही हाल है। वार्ड संख्या 10 निवासी वर्तमान वार्ड सदस्य मो इरशाद पिता हाशिम भी साजिश कर्ता का शिकार हुआ है। वार्ड संख्या 12 निवासी रागिबुल खैर पिता मास्टर तौहीद विगत चुनाव में पंचायत समिति सदस्य पद के लिए मैदान में था। बिचौलिए की नज़र से यह भी नहीं बच पाया। यह सभी लोग जीवित हैं और राजनीति से जुड़े लोग हैं। अपने पद और कुर्सी पाने के लिए लगातर कड़ी मेहनत भी कर रहे हैं। जीवित लोगों का नाम मतदाता सूची से विलोपित करने वाले बीएलओ हैं या कोई और अधिकारी। इतनी बड़ी लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार है अबतक स्पष्ट नहीं हो पाया है जबकि यह सभी लोग तीन दिनों से फारबिसगंज निर्वाचन कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। जहाँ उन्हें शीघ्र ही सुधार का आश्वासन दिया जा रहा है

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