संवाददाता-विक्रम कुमार
विकलांगता अभिशाप नहीं है। विकलांगों की समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करने से संभव है। उसी विकलांग संस्थान गढ़बनैली पूरे कोशी क्षेत्र के मूक, बधिर एवं विकलांगों के लिए एकमात्र वरदान साबित हो रहा है। लेकिन आज खुद विकलांग होकर यह संस्थान प्रशासन एवं सरकार से सहायता के लिए हाथ उठा रहा है। कोसी विकलांग संस्थान विकलांगों के लिए क्रूर मजाक बनकर रह गया है। इस संस्था का उद्देश्य समाज सेवा तथा विकलांगों के पुनर्वास, सामाजिक अभियोजन एवं कल्याण से संबंधित है।
बिहार का पूर्वोत्तर दिशा जो कोसी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, विकलांगों की शिक्षा दिशा में लगभग उपेक्षित है। केवल पूर्णिया जिला में कई हजार विकलांग है जो आजादी के बाद भी आज तक आधुनिकता से दूर रहकर जीवन जी रहे हैं। कोसी विकलांग संस्थान गढ़बनैली की स्थापना 10 अगस्त 1986 को करके विकलांगों के जीवन में नई शुरुआत की लहर पैदा कर दिया था। इसके लिए सरकारी पदाधिकारियों को संस्था के संयोजक सदस्य के रूप में विभागीय अनुमति प्रदान भी किया गया था ।पूर्णिया के जिला पदाधिकारी को मुख्य संरक्षक, उप विकास आयुक्त को अध्यक्ष, जिला कल्याण पदाधिकारी को उपाध्यक्ष, अनुमंडल पदाधिकारी सदर को उपाध्यक्ष, प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अंचल पदाधिकारी कसबा को सदस्य बनाया गया था। समिति का कार्य काफी जोर-शोर से चला लेकिन समय एवं राजनीतिक उथल-पुथल से कमेटी के सदस्यों का ध्यान इस ओर से हट गया और आज यह संस्थान बंद हो गया है ।और पदाधिकारी भी संस्थान को भूल चुके हैं। इसके अलावा सरकार की उदासीनता का परिणाम है कि नेत्रहीन एवं मूकबधिर छात्र अपने भाग्य कोस रहे हैं। विभागीय अकर्मण्यता एवं लापरवाही जिम्मेदार है।
कोसी विकलांग संस्थान को 4 एकड़ जमीन दान में देने वाले दाता मरहूम मोहम्मद नसीम फानी है ।