बिहार: नौ दिवसीय”माटी के रंग”कार्यक्रम का महुआ में हुआ समापन

नौ दिवसीय”माटी के रंग”कार्यक्रम का महुआ में हुआ समापन

छह राज्यों के की परंपराओ को देख भावविभोर हुए लोग

हाजीपुर(वैशाली)उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र,प्रयागराज,संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कला, संस्कृति एवं युवा विभाग,बिहार सरकार एवं जिला प्रशासन के सहयोग से तीन दिवसीय ‘माटी के रंग’ कार्यक्रम का समापन जिले के महुआ ओ सी पैलेस हुआ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधायक डॉक्टर मुकेश कुमार रौशन,विशिष्ट अतिथि अनुमंडल पदाधिकारी महुआ,अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी,लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी,महुआ उप समाहर्ता भूमि सुधार,अपर अनुमंडल पदाधिकारी, महुआ एवं माटी के रंग कार्यक्रम के प्रभारी अजय गुप्ता व समन्वयक मनोज कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम उद्घाटन किया।ज्ञात हो कि बिहार में चल रहे नौ दिवसीय “माटी के रंग कार्यक्रम” का आगाज़ भोजपुर जिले के आरा से हुआ था।जिसका समापन महुआ में हुआ।रंग-बिरंगे,पारंपरिक परिधानों से सज-धजकर तैयार कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुतियों ने विविधता में एकता की भारतीय संस्कृति का साकार रूप प्रस्तुत किया।मनमोहक लोक गीत एवं आकर्षक नृत्य के माध्यम से छ: राज्यों की परंपराओ का जीवंत रूप देख दर्शक भाव विभोर हो गए।केंद्र के निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा द्वारा परिकल्पित माटी के रंग कार्यक्रम का मंच संचालन करते हुए अजय गुप्ता ने बताया कि अनेकता में एकता का प्रतीक है यह “माटी का रंग”।जिसके अंतर्गत छ: राज्यों की मिट्टी की खुश्बू हम आज आपके बीच लेकर आये हैं।इस समारोह की शुरुआत मध्य प्रदेश से आए प्रहलाद कुर्मी एवं दल द्वारा राई नृत्य की प्रस्तुति के साथ किया गया।राई नृत्य जो कि पुत्र जन्म, विवाह एवं मनौती पूर्ण के अवसर पर किया जाता है।मृदंग, नगरिया,झूला रखकर मंजीरा,बांसुरी एवं ढपला वाद्य यंत्र उसमें बजाए गए।दूसरी प्रस्तुति हीरा राम एवं दल अभय सिन्हा एवं दल,राजस्थान द्वारा घूमर नृत्य की हुई।इस नृत्य के माध्यम से महिलाएं अपने श्रृंगार व खुशी को अभिव्यक्त करती हैं।तीसरी प्रस्तुति अभय सिन्हा एवं दल,बिहार द्वारा छ: मासा झूमर नृत्य की हुई जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।चौथी प्रस्तुति उत्तर प्रदेश से आये धर्मेंद्र कुमार एवं दल द्वारा राई नृत्य प्रस्तुत किया गया।पांचवी मनोहारी लोक नृत्यदेवभूमि उत्तराखंड से आए प्रकाश बिष्ट एवं दल की छपेली नृत्य की रही।जिसका मधुर पहाड़ी संगीत और आकर्षक सुंदर वेशभूषा ने सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।छठी प्रस्तुति राजस्थान से आये कलाकारों द्वारा विश्व प्रसिद्ध नृत्य चरी की गई। जिसमें घड़े में आग जलाकर,माथे पर रखकर यह नृत्य प्रस्तुत किया गया।सातवीं प्रस्तुति पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा से आए कलाकारों द्वारा होजागिरी की हुई। एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत एन. सी. जेड. सी. सी.,प्रयागराज के प्रतिभागी राज्य बिहार का जोड़ी राज्य त्रिपुरा से मिनंदा एवं दल द्वारा होजागिरी की बहुत ही मनोरम प्रस्तुति दी गई।इसमें घड़े पर खड़े होकर सिर पर बोतल रखकर नृत्य करते देख दर्शकों ने तालियों के साथ भरपूर साथ दिया।उसके बाद उत्तराखंड का घसियारी नृत्य जिसमें दिखाया गया कि पहाड़ों पर रहने वाले लोगों का जनजीवन कैसा होता है।महिलाएं घास काट कर लाती हैं उस समय मनोरंजन करते हुए गीत गाती हैं। बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश से आए धर्मेंद्र कुमार एवं दल द्वारा सैरा नृत्य की प्रस्तुति हुई।इस कार्यक्रम के समापन की अंतिम प्रस्तुति राजस्थान के भंवई नृत्य से हुई।सिर पर घड़ा रखकर भंवई कलाकार द्वारा अत्यंत सुंदर नृत्य किया गया।चरी नृत्य में सिर पर घड़े रखकर मनमोहन नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसका दर्शकों ने तालियों के साथ भरपूर साथ दिया।इस श्रृंखला कार्यक्रम की रूपरेखा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा द्वारा तैयार की गई है।जिसका कुशल समन्वयन कार्यक्रम के समन्व्यक मनोज कुमार ने किया।नौ दिवसीय माटी के रंग कार्यक्रम के सफल आयोजन में आरा के रंगकर्मी मनोज कुमार सिंह,पंकज कुमार राय,लोक संगीतकार श्याम बाबू कुमार,रंगकर्मी तिरुपति नाथ, छपरा के रंगकर्मी प्रित्यांशु कुमार, वैशाली के प्रसिद्ध रंगकर्मी क्षितिज कुमार आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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