बिहार:सर सैयद अहमद आधुनिक शिक्षा के जनक थे – हिफजुर्रहमान

सर सैयद अहमद आधुनिक शिक्षा के जनक थे – हिफजुर्रहमान

अररिया संवाददाता

आधुनिक शिक्षा के जनक और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 204 वाँ जयंती 17 अक्टूबर रविवार को नेशनल पब्लिक स्कूल सीसौना,अररिया परिसर में धूमधाम से बच्चों के बीच मनाया गया। इस बीच शिक्षक व छात्र छात्राओं ने सर सैयद अहमद खान के जीवनी व उनके योगदान पर गोष्ठी आयोजित कर विस्तृत चर्चा की गई। साथ ही स्कूली छात्र व छात्रों के बीच विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। इस मौके पर नेशनल पब्लिक स्कूल अररिया के प्रधान शिक्षक ने कहा कि सर सैयद अहमद खान का आज 204 वाँ जयंती समारोह है। सर सैयद अहमद खान हिंदुस्तानी शिक्षक और नेता थे। जिन्होंने भारत लोगों के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की। सर सैयद अहमद खान का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में हुआ था । उन्होंने कुरान के साथ,फारसी अरबी गणित और चिकित्सा शिक्षा का भी अध्ययन किया। उन्होंने अपनी पारंपरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को छोड़ दिया लेकिन व्यक्तिगत रूप से उसका अध्ययन करना जारी रखा। साहित्य के अध्ययन में उनकी बहुत रूचि थी। उन्होंने कई स्कूलों की स्थापना की और उनमें से मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से विकसित हुआ। उस समय के सबसे प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं में से एक थे। उन्होंने सभी भारतीय मुसलमानों के लिए समान रूप से उर्दू भाषा की वकालत की। 1878 में उन्हें विधान परिषद में वायसराय के रूप में नामित किया गया था। सर सैयद अहमद खान का जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य शिक्षा का प्रचार प्रसार था। मुस्लिम समाज के सुधार के लिए प्रयासरत सर सैयद ने 1858 में मुरादाबाद में आधुनिक मदरसे की स्थापना की। मुस्लिम शिक्षक विधिवेत्ता और लेखक एंग्लो मोहम्मडन ओरिएंटल कॉलेज अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के संस्थापक थे। सर सैयद अहमद खान ऐसे महान मुस्लिम समाज सुधारक और भविष्यदृष्टि थे, जिन्होंने शिक्षा के लिए जीवन भर प्रयास किया। सर सैयद अहमद खान ने लोगों को पारंपरिक शिक्षा के स्थान पर आधुनिक ज्ञान हासिल करने के लिए प्रेरित किया। क्योंकि वह जानते थे कि आधुनिक शिक्षा के बिना, प्रगति संभव नहीं है। सर सैयद अहमद खान मुसलमानों और हिंदुओं के विरोधत्मक स्वर को चुपचाप सहन करते रहे। इसी सहनशीलता का परिणाम है कि आज सर सैयद अहमद खान को एक युगपुरुष के रूप में याद किया जाता है और हिंदू तथा मुसलमान दोनों ही उनका आदर करते हैं। सर सैयद अहमद खान हमेशा ही यह बात अपने भाषणों में कहते थे कि हिंदू और मुसलमान भारत की दो आंखें हैं। उन्होंने बच्चों से अपील किया कि वे सर सैयद अहमद खान के जयंती की जीवनी पर जीवनी को आत्मसात कर आगे बढ़े। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत तिलावते कलाम पाक से हुआ। मंच संचालन का काम शिक्षक हिफजुर्रहमान ने किया। इस मौके पर निबंध प्रतियोगिता, नात प्रतियोगिता, क्विज प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, जो इंग्लिश, उर्दू, हिंदी के भाषा में भी हुआ। इस मौके पर स्कूल के चेयरमैन कमरुज्जमा साहब, शिक्षक में हिफजुर्रहमान, आमिर अनवर ,शमा कमर ,नाज कमर, नाजनीन इत्यादि वह छात्र छात्राओं में रहमत अली, शिब्गतुल्लह, मुशाहिद, अलानूर, नौशाद, मलिक, गुलफंसा, आयशा, शाहीना, सबिस्ता, मिमबरी, सदफ आदि शामिल थे।

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