तेल की महंगाई पर पीएम और वित्त मंत्री दोनों एक दूसरे को झूठा साबित कर रहे हैं! जानिए कैसे!
February 20, 2021
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ताजा बयान सामने आया है। वित्त मंत्री ने कहा है कि “तेल के दामों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।” निर्मला सीतारमण ने कहा है कि “यह पूरी तरह ऑयल कंपनियों के हाथ में है। जो को कच्चा तेल लाते हैं। उसे रिफाइन करते हैं। उसके बाद बेचते हैं।”
सीधे शब्दों में कहें तो निर्मला सीतारमण का कहना है कि तेल के दाम को सरकार ना बढ़ा सकती है, ना ही घटा सकती है। माने कि सरकार चाहकर भी इस मामले में कुछ नहीं कर सकती। लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बेहद आसानी से इस बयान में लोगों को गुमराह कर दिया। उन्होंने यह नहीं बताया कि इन तेलों पर जो कई तरह के टैक्स लगाए जाते हैं, वो कौन लगाता है!
निर्मला सीतारमण के बयान पर राजनीतिक रूप से सवाल भी उठ सकते हैं। 2014 से पहले कांग्रेस पार्टी की सरकार थी। उस समय जब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते थे तो भाजपा के बड़े नेता सड़कों पर उतर आते थे। लेकिन आज जब भाजपा सरकार में आई है तब उनके मंत्री का कहना है कि इस पर सरकार का कोई काबू नहीं है। सवाल है कि क्या इतनी आसानी से महंगाई के सवाल को बहकाया जा सकता है? क्या सरकार इस तरह से अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ सकती है?
क्या था पीएम मोदी का बयान:
गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पिछले दिनों एक अटपटा बयान दिया था। पेट्रोल-डीजल के बेतहाशा महंगाई पर उन्होंने कहा था कि “पिछली सरकारों की वजह से आज तेल के दाम बढ़ रहे हैं।” अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयानों को एक साथ देखिए। एक का कहना है कि तेल की कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। ये पूरी तरह तेल की कंपनियों पर आश्रित है। तो वहीं पीएम का कहना है कि तेल पिछली सरकारों की वजह से महंगा हुआ है।
वित्त मंत्री की बात मानें तो पीएम झूठे लगते हैं। अगर पीएम मोदी की बात पर जाएं तो निर्मला सीतारमण गुमराह करती हुई नजर आती हैं। लेकिन देखा जाए तो दोनों ने ही अपना जिम्मा छुड़ाया है