गीता जयंती महोत्सव कार्यक्रमों की ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने ली जानकारी

गीता जयंती महोत्सव कार्यक्रमों की ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने ली जानकारी।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा से ही होता है तीर्थ का महत्व : ब्रह्मचारी।

कुरुक्षेत्र, 19 नवम्बर : हरिद्वार रवाना होने से पूर्व श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने गीता जयंती आयोजन कमेटी से गीता जयंती महोत्सव पर जयराम विद्यापीठ में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों बारे विस्तार से जानकारी ली।
ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र को पूरे विश्व में इस बात का गौरव हासिल है कि इसी धरती पर भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुखारविंद से पावन गीता का संदेश दिया। इसी धरती को केवल गीता की जन्मस्थली ही नहीं बल्कि तीर्थों की संगम स्थली के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी तीर्थ का महत्व श्रद्धालुओं की आस्था तथा श्रद्धा से ही होता है। आज चाहे पूरे भारत वर्ष के विभिन्न तीर्थों जैसे हरिद्वार, वृन्दावन, वैष्णों देवी, चारो धाम, त्रिवेणी इत्यादि कहीं भी श्रद्धालुओं की भीड़ को देखें तो तीर्थों के प्रति सच्चे श्रद्धालुओं का समर्पण होता है। ब्रह्मचारी ने कहाकि कुरुक्षेत्र वह भूमि है जहां प्रत्येक वर्ष गीता जयंती महोत्सव का आयोजन होता है। गीता जयंती के इलावा यहीं सूर्यग्रहण का भी बड़ा मेला लगता है। कुरुक्षेत्र में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं में आस्था और भक्ति भाव तो होता ही है, साथ ही श्रद्धालुओं के मन में कुरुक्षेत्र के इतिहास तथा घटनाक्रमों को लेकर अनेकों सवाल तथा जिज्ञासाएं होती हैं। ब्रह्मचारी ने कहा कि अगर कुरुक्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं और यात्रियों के संशय और सवालों का निवारण सही ढंग से हो तो यहां के महत्व तथा सम्मान में अधिक वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र में तो भगवान श्री कृष्ण ने ही सही मार्ग दिखाने और उस पर चलने की बात कही है। ब्रह्मचारी ने कहाकि कितना बड़ा सत्य है कि श्रीमद्भागवत गीता में बताया है कि जो व्यक्ति भगवान को समर्पित हो गया वह सब कष्टों से दूर हो गया। प्राणी भागवत में आकर मोक्ष को प्राप्त हो होता है। ब्रह्मचारी ने कहाकि कुरुक्षेत्र के लिए गौरव है कि यहां उस गीता का जन्म हुआ जिसे सुनने मात्र से ही कष्ट दूर हो जाते हैं। जीवन सत्य की राह पर चलता है, हमें अपने जीवन को एक आदर्श के रूप में समाज को समर्पित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र जैसी भूमि पूरी सृष्टि में कहीं और नहीं है और इसी भूमि पर भगवान श्री कृष्ण द्वारा निर्मित कृति का हरवर्ष महोत्सव होता है।
श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी।

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