तनाव मुक्त जीवन के लिए भाईचारा जरूरी : कौशिक।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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भगवान के सच्चे भक्तों का त्यौहार है होली।
कुरुक्षेत्र 27 मार्च :- होली एक राष्ट्रीय व सामाजिक पर्व है। यह रंगों का त्यौहार है। इस बार यह त्यौहार फाल्गुन पूर्णिमा रविवार , 28 मार्च को मनाया जाएगा। श्री गोविन्दानंद आश्रम के सह संरक्षक व राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद संत प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने होली के पावन पर्व पर देशवासियों को बधाई शुभकामनाएं देते हुए बताया कि किस प्रकार भगवान विकट परिस्थितियों में भी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान के सच्चे भक्तों का त्यौहार है होली। इस पर्व पर आपसी वैर त्याग कर दुश्मन को भी गले लगा लेना चाहिए और जीवन को तनावमुक्त होकर जीना चाहिए। कौशिक जी ने बताया कि विशेष तौर पर यह त्यौहार भी भगवान के परम भक्त प्रह्लाद से संबंधित है। प्रह्लाद हृण्यकश्यप का पुत्र तथा भगवान विष्णु का भक्त था। हृण्यकश्यप प्रह्लाद को विष्णु पूजन से मना करता था। उसके विष्णु भक्ति न छोडऩे पर राक्षसराज हृण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। हृण्यकश्यप ने उस वरदान का लाभ उठाकर लकडिय़ों के ढेर में आग लगाई और प्रह्लाद को बहन की गोद में देकर अग्नि में प्रवेश की आज्ञा दी। होलिका ने वैसा ही किया। कौशिक जी के अनुसार देव योग विष्णु कृपा से प्रह्लाद तो बच गया, लेकिन होलिका जलकर भस्म हो गई और इस प्रकार भगवान ने अपने भक्त की रक्षा की।
उन्होंने बताया कि भक्त प्रह्लाद की स्मृति और असुरों के नष्ट होने की खुशी में इस पर्व को मनाया जाता है। इसी दिन मनु का जन्म भी हुआ था, इसलिए इसे मनुवादितिथि भी कहते हैं। इस पर्व को नव सम्वत् का आरंभ तथा वसंतागमन के उपलक्ष्य में भी मनाया जाता है। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताया कि यही एक त्यौहार ऐसा है जिसमें सभी समुदाय के लोग हर प्रकार के गिले-शिकवे दूर कर उत्साहपूर्वक बच्चे, बुजुर्ग व सभी आपस में मिलकर होलिका पर्व मनाते हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार नारद जी ने महाराज युधिष्ठिर से कहा कि राजन् फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सब लोगों को अभय दान देना चाहिए, जिससे सारी प्रजा उल्लास पूर्वक रहे। इस दिन सभी बच्चे, बड़े गांव व शहरों में लकडिय़ां इकठ्ठी कर और गोबर से बने उपले इकठ्ठे कर होलिका का पूर्ण सामग्री सहित विधिवत् पूजन करते हैं। माताएं अपने बच्चों की मंगलकामना के लिए कंडी बनाती हैं, जिसे धागे से विभिन्न प्रकार के मेवे व बेर-पताशे इत्यादि से पिरोया जाता है और होलिका पर भी अर्पण किया जाता है। होलिका दहन के समय होलिका के सम्मुख बैठकर पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताया कि ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति लोक कल्याण के लिए इस पर्व की रात्रि में अनुष्ठान करते हैं। रोग निवारण व नवग्रह शांति के लिए रात्रि में अपने इष्ट के मंत्राजाप से शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अकस्मात धन की प्राप्ति होती है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त संध्या काल 6 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
नारद पुराण के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि को भद्रारहित प्रदोष काल में होलिका दहन करना चाहिए। होलिका दहन के लिये विशेष मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। रविवार को होली का पर्व आने से भक्तों में भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहेगी।
होलिका दहन तथा उसके दर्शन से शनि,राहु,केतू के दोषों से शांति मिलती है होलिका की भस्म का टीका मस्तक पर लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।
होलिका की भस्म चांदी की डिब्बी में रखने से कई बाधाएं स्वतः ही दूर हो जाती है।
राशिनुसार होली में आहुति दें और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
- मेष और वृश्चिक राशि के लोग गुड़ की आहुति दें
- वृष राशि वाले चीनी की आहुति दें
- मिथुन और कन्या राशि के लोग कपूर की आहुति दें
- कर्क राशि के लोग लोहबान , पतासे की आहुति दें
- सिंह राशि के लोग गुड़ की आहुति दें
- तुला राशि वाले कपूर की आहुति दें
- धनु और मीन के लोग जौ और चना की आहुति दें
- मकर और कुम्भ राशि के लोग तिल को होलिका दहन में डालें
- होली की 3 प्रदक्षिणा होलिकायै नम: बोल कर करने से रोगों का निवारण ओर मानसिक शांति मिलती है धन के द्वार खुल जाते है सोया हुआ भाग्य भी जागृत हो जाता है। होलिका दहन के बाद रात्रि 8 बजे से रात्रि 11 बजे के समय कभी भी बजरंग पाठ का उच्चारण 40 दिन लगातार करने से परिवार में सुख शांति और जन्मकुण्डली के कई प्रकार के आने वाले संकटों से निजात मिलना संभव है।