बुद्ध पूर्णमासी पुण्य अर्जित और साधना हेतु मुख्य दिन है : डॉ. सुरेश मिश्रा

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : कॉस्मिक एस्ट्रो के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के अध्यक्ष ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ.सुरेश मिश्रा ने बताया कि गुरुवार ,23 मई 2024 , विशाखा नक्षत्र, और वृश्चिक राशि के चन्द्रमा सहित दान पुण्य हेतु बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी I इस पूर्णिमा का विशेष महत्व है क्योंकि भगवान श्री कूर्म की जयंती भी है। इस कारण ये दिन बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बहुत विशेष महत्त्वपूर्ण है। भगवान श्री सत्यनारायण जी का व्रत गुरुवार को किया जायेगा।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व :
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और मृत्यु (परिनिर्वाण) का स्मरण करती है I यह दिन विश्व भर के बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए चिंतन, ध्यान और दयालुता के कार्यों के दिन के रूप में विशेष महत्त्व रखता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है। इस दिन लोग व्रत-उपवास करते हैं। बौद्ध धर्म के लोग इस दिन को उत्‍सव के रूप में मनाते हैं। उनके धार्मिक स्‍थलों पर सभी लोग एकत्र होकर सामूहिक उपासना करते हैं और दान देते हैं। बौद्ध और हिंदू धर्म के लोग बुद्ध पूर्णिमा को बहुत श्रद्धा के साथ मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध के आदर्शों और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह पर्व सभी को शांति का संदेश देता है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इस दिन बोधगया जाकर पूजा पाठ करते हैं। लोग बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं। बोधि वृक्ष पीपल का पेड़ होता है और इस दिन उनकी पूजा करने का विशेष धार्मिक महत्व माना गया है। वृक्ष पर दूध और इत्र मिला हुआ जल चढ़ाया जाता है। सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ पर जलाया जाता है।पूर्णिमा पर पवित्र तीर्थ , गंगा स्नान, दीपदान, पूजा, आरती, यज्ञ और दान करने का विशेष महत्व है।
इस पूर्णिमा श्रद्धा विश्वास अनुसार यह शुभ कार्य करने चाहिए।
भगवान विष्णु के लिए सत्यनारायण भगवान की कथा करनी चाहिए। यज्ञ के उपरान्त ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं। वस्त्र,फल आदि के साथ दक्षिणा अवश्य दे।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद दीपदान, पूजा, आरती और दान किया जाता है।
गरीबों को फल, अनाज, दाल, चावल, गर्म वस्त्र आदि चीजों का दान करना चाहिए।
पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठना चाहिए। पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का ध्यान करना चाहिए। स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
इस पूर्णिमा पर आत्म कल्याण हेतु आप परिवार सहित ध्यान,साधना,मंत्र,यज्ञ,जाप आदि अवश्य करें।

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