अपने ही जन्मदाता का अपमान करने से गृहस्थ जीवन में कई दोष उत्पन्न हो जाते है

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

अपने जन्मदाता को अपने साथ रखे वृद्धाश्रम में नही, यही आपके प्रथम पूज्य देवता है।
जन्मकुंडली में पित्र दोष का सबसे बड़ा कारण।

कुरुक्षेत्र : जो व्यक्ति जीते जी अपने माता पिता और घर के बुजुर्गों का अपमान करते हैं उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं और जब ये बुजुर्ग लोग शरीर छोड़ते हैं तो दुख के कारण उनके मन से उनकी आत्मा को कष्ट पहुंचता है। यही पितृदोष का कारण बनता है।
आज के समय में कुछ लोग इसे अंधविश्वास तक बता देते हैं। लेकिन पित्रों के असंतुष्ट होने के कारण ही उनकी संतानों की कुंडली में पित्र दोष बनता है।
पितृदोष व्यक्ति की प्रगति का एक बड़ा कारण भी बनता है। पितृदोष के कारण व्यक्ति के सांसारिक जीवन में तथा आध्यात्मिक साधना में बाधाएं उत्पन्न होती है।
कुछ परिवारों में ऐसा दिखाई देता है मानो संपूर्ण परिवार पर कोई प्रेत साया परिवार के कुछ सदस्यों को विविध प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
जैसे हमेशा नकारात्मक सोच पितृदोष के लक्षण- विवाह न हो पाना, वैवाहिक जीवन में अशांति का होना, गर्भधारण में समस्या, गर्भपात, मानसिक दृष्टि से विकलांग बच्चे अथवा विशिष्ट समस्याओं से ग्रस्त बच्चे पैदा होना, घर में बीमारी, हो जाना , घर में कोई मंगल कार्य न होना, व्यापार में दिक्कत आना आदि।
प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
प्रतिदिन पूजा-पाठ : यदि आप अपने घर में प्रतिदिन पूजा-पाठ करते हैं, ज्योत जलाते हैं तो निश्‍चित ही आपके पितृ आप पर प्रसन्न होंगे।
घर में स्त्रियों का सम्मान : यदि आप अपने घर की बहन, बेटी, बहू या पत्नी का सम्मान करते हैं जिस घर में स्त्री के आंसू गिरते हैं, वहां सबकुछ नष्ट हो जाता है।
यदि आपकी संतान आपका सम्मान करती है, आपकी आज्ञा मानती है और आप भी उसकी भावनाओं का ध्यान रखते हैं तो यह माना जाता है कि पितृ आप पर प्रसन्न हैं।
यदि सपने में आपके पूर्वज आकर आपको आशीर्वाद दे तो माना जाता है कि आपके पितृ आप पर प्रसन्न हैं।
हमारे पितृ या पूर्वज कई प्रकार के होते हैं। उनमें से बहुतों ने तो दूसरा जन्म ले लिया और बहुतों ने पितृलोक में स्थान प्राप्त कर लिया है।
पितृलोक में स्थान प्राप्त करने वाले हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में अपने वंशजों को देखने आते हैं और उस वक्त वे उन्हें आशीर्वाद देते हैं
जो अपने पितरों को श्राद्ध पक्ष में उनका तर्पण या उनके नाम से कुछ दान नहीं करते हैं तो उनके पित्र श्राप देकर चले जाते हैं।
कहते हैं हमारे पित्र भी 15 दिन श्राद्ध पक्ष में इन्तजार करते हैं अपने घर में आने की अगर पितरों को प्रसन्न किया गया उनको जो पसंद था उसी तरह उनके तिथि को उनको किया जाये तो जीवन में बहुत खुशहाली आती है।
जैसे हम लोग अपने घरों में कोई भी मांगलिक कार्य करते हैं कोशिश करते हैं कि बहुत अच्छे तरीके से हो सारे रिश्तेदारों और मित्रों को आमंत्रित करते हैं और उसके बाद लोग उस कार्य ( पार्टी ) की चर्चा करते हैं।
वैसे ही हमारे पित्र अपने उस लोक में अपने परिवार की चर्चा करते हैं और हमको आशीर्वाद देते हैं।
पितृ-दोष निवारण प्रतिदिन के लिए इस मंत्र का जाप करें “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जप हर रोज 108 बार करना चाहिए। घर की दक्षिण दिशा वाली दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर माला चढ़ाना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में “पितृ दोष” हो तो उसका समाधान कुलपुरोहित के माध्यम से कराएं और अपने बच्चो को अच्छे संस्कार देवे ताकि आपकी आने वाली पीढ़ियों की जन्मकुंडली में ऐसे दोष ही उत्पन्न ना हो ।

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