बाल श्रम निषेध दिवस बस्ती सनुआ, गोल बाग स्लम एरिया में जाकर विद्यार्थी, अध्यापक और उनके माता-पिता को बुलाकर मनाया:पीसी कुमार वरिष्ठ समाज सेवक

बाल मजदूरी एक कलंक है कोई बच्चा यह नहीं चाहता कि वह स्कूल ना जाकर अपने परिवार की मजबूरियों की खातिर जब उसका पढ़ने लिखने का खेलने कूदने का समय है तब वह मजदूरी करने के लिए मजबूरी में घर से निकल पड़ता है जब के बुद्धिजीवी, समाज कल्याण, एनजीओ को चाहिए कि ऐसे बच्चों की पहचान करके उन्हें मजदूरी से हटाकर विद्यालय की ओर उनकी मदद करके भेजा जाए ताजो पढ़ लिख कर वह अपनी रोटी रोजी के लायक बन सके अन्यथा ऐसे लोग चोरी चकारी, छीना झपटी ,नशे की ओर बढ़ चलते हैं हमें चाहिए के यह बच्चे जो हमारे देश का भविष्य है उनको सुधार के उनकी मदद करके अच्छे विद्यार्थी बनाकर और अच्छे समाज की सिर्जना की जा सके

उन्होंने बच्चों के माता-पिता, अध्यापक, विद्यार्थियों, एनजीओ,समाज कल्याण में लगे लोगों को अपील की कि ऐसे बाल मजदूरी करने वाले बच्चों की शिनाख्त करें और उन्हें पढ़ाई लिखाई के लिए प्रेरित करें उनकी हर तरह की मदद करें मैंने देखा है कई बच्चे घर से पढ़ने के लिए निकलते हैं लेकिन कोई पार्क में बैठा है कोई श्मशान घाट, सुनसान जगह देकर बैठे रहते हैं और उनको धीरे धीरे नशे की लत लग जाती है माता-पिता को अपने बच्चों की निगरानी करनी चाहिए मैंने कई बच्चों को प्रेरित करके स्कूलों में भेजा है और आज वह पढ़ लिख कर खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं

श्री कुमार ने बाल मजदूरी (श्रम) निषेध दिवस का महत्व बताते हुए कहा कि इसकी शुरुआत 2002 में अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ ने की थी प्रत्येक वर्ष 12 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल मजदूरी (श्रम) निषेध दिवस मनाया जाता है इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी ना करा कर उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए जागृत करना है कई गुंडा तत्व बाल मजदूरी के लिए बच्चों की तस्करी भी कराते हैं इस संदर्भ में केंद्र और राज्य सरकारें सराहनीय कदम उठा रहे 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी (श्रम) कराना गैरकानूनी कर दिया गया है फिर भी जब तक समाज जागरूक नहीं होगा ऐसे कानून किताबों में ही रह जाते हैं

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