*पलक त्रिवेदी, गिरजा बाग उन्नाव।
देश को सुदृढ़ स्थिती में देखना प्रत्येक नागरिक की आन्तरिक अभिलाषा होनी चाहिए। अतः देश की सामाजिक , राजनीतिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें अपनी विचारधारा को शनै: शनै बदलना होगा। हमें जागरुक, आत्मनिर्भर, चरित्र वान और कर्तव्य निष्ठ होना पड़ेगा। देश की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय व सोचनीय होती जा रही है। समाज की विदुपता को देखकर हम आहत तो होते है परंतु निवारण वा उन्मूलन के लिए तत्पर नहीं होते। यही कारण है कि देश पतन के गर्व में गिरता जा रहा है। आज अगर हम दृष्टिपात करे तो हम कहीं भी सुरक्षित नहीं है। लड़कियों के लिए सुरक्षा का अहम समस्या है। महिलाएं पुरुषों से कन्धे से कन्धा मिलाकर आगे बढ़ती जा रही है परन्तु असुरक्षा की भावना से प्रतिक्षण भयभीत रहती है। अपने ही देश में वे अपने अधिकारों से वंचित है। अपनी संस्कृति के लिए विश्वविख्यात हमारा देश भ्रष्टाचार की चरम सीमा तक पहुंच गया है।