सही पोषण न मिलने पर बच्चों का विकास होता प्रभावित:बाल रोग विशेषज्ञ

सही पोषण न मिलने पर बच्चों का विकास होता प्रभावित:बाल रोग विशेषज्ञ

✍️ दिव्या बाजपेई

कन्नौज। उमर्दा ब्लाक के ग्राम अगौस के रहने वाले सुमित कुमार के पहले बच्चे आयुष की उम्र 6 माह की है। लेकिन वज़न और ऊंचाई के अनुसार उसका वजन सामान्य से कम था। आयुष 26 सितंबर 2022 को एनआरसी में भर्ती करवाया गया। जहां उसका इलाज चला।भर्ती होने के समय उसका वजन 2.450 किलोग्राम था, लेकिन 7 अक्टूबर 2022 को जब उसे डिस्चार्ज किया गया।तब उसका वजन 2.900 किलोग्राम हो गया।
नितेश की मां प्रिया बताती है कि मेरे बच्चे का जन्म समय से पहले यानि 8 माह में हुआ। वह जन्म से ही बहुत कमजोर था। आशा कार्यकर्ता ने छ: माह तक केवल स्तनपान के बारे में बताया पर कोई सुधार नहीं दिख रहा था,उसकी तबीयत भी बिगड़ने लगी। इलाज के लिए उसको लेकर जिला अस्पताल पहुंचकर बाल रोग विशेषज्ञ ने उसे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करने की सलाह दी। प्रिया ने पोषण पुनर्वास केंद्र पर मिलने वाली सुविधाओं के प्रति संतुष्टि जाहिर करते हुए कहा कि एनआरसी में भर्ती कराने के बाद से नितेश के स्वास्थ्य में बहुत बदलाव आया है उसका वजन भी बढ़ा और सही से खा-पी भी रहा है और लगातार उसकी सेहत में सुधार हो रहा है। नितेश तो सिर्फ उदाहरण हैं। ऐसे कई मामले हैं जो एनआरसी के जरिए नया जीवन पा रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेश यादव ने बताया कि कुपोषित बच्चा न तो शारीरिक न ही मानसिक विकास सही से कर पाता है। साथ ही न ही किसी भी तरह के संक्रमण से खुद को सुरक्षित कर पाता है। इस दौरान स्तनपान करने वाले 6 माह से 2 साल तक के बच्चों को मां के दूध के अतिरिक्त पूरक आहार की भी अति आवश्यकता होती है। इससे बच्चों का विकास अधिक तेजी से होता है और साथ ही साथ कुपोषण जैसी स्थिति से भी बचा जा सकता है।
पोषण पुनर्वास केंद्र में तैनात जिला आहार परामर्शदाता स्वप्निल मिश्रा ने बताया कि अप्रैल 2022 से अब तक 133 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में  भर्ती किया गया। जिसमें से 8 बच्चों को उच्च स्तरीय चिकित्सालयों में रेफर किया गया व 121 बच्चों को सुपोषित कर घर भेजा गया। उन्होंने बताया कि बच्चे के जन्म के दो साल यानि गर्भावस्था के 9 माह (270)दिन और जन्म लेने के बाद 2 साल (730 दिन) बच्चे के सही पोषण के लिए अति महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में बच्चे को सही पोषण मिले तो बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। जो बच्चे को कई रोगों व संक्रमणों से बचाती है। इस तरह रखें बच्चे के आहार का ध्यान जिला आहार परामर्श दाता बताती है कि 6-8 माह के बच्चे को दिन में 6 बार स्तनपान के साथ 2-3 बार नरम दलिया, दाल, खीर, मसली हुई सब्जी, फल, मक्खन, तेल व घी (250 ग्राम की कटोरी से आधी कटोरी) बच्चे को खिलाना चाहिए। 9-11 माह के बच्चे को दिन में 6 बार स्तनपान के साथ 3 बार घर का बना हुआ खाना व 1 बार नाश्ते में नरम दलिया, फल, उबला हुआ अंडा, मक्खन, तेल व घी (250 ग्राम की कटोरी से पौन कटोरी) खिलाना चाहिए। 12-24 माह के बच्चे को दिन में 4-6 बार स्तनपान के साथ 3 बार खाना व 2 बार नाश्ते में नरम दलिया, फल, उबला हुआ अंडा, मक्खन, तेल व घी, यदि घर में मांसाहारी भोजन खाते है तो मांस, मछली 250 ग्राम की कटोरी से पूरी कटोरी खिलानी चाहिए।

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