लेखिका संघ की काव्य संगोष्ठी में रचनाकारों ने समां बांधा

  • लेखिका संघ की काव्य संगोष्ठी में रचनाकारों ने समां बांधा
  • केवल श्वासों के चलने का नाम नहीं होता जीवन – डॉ मीरा प्रियदर्शिनी

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : साहित्यिक संस्था लेखिका संघ के तत्वावधान में डॉ मीरा प्रियदार्शनी के आवास पर काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इसकी अध्यक्षता आकाशवाणी के पूर्व कार्यक्रम अधिशासी राजेश गौड़ ने की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाज सेविका और इनरव्हील क्लब की पदाधिकारी श्रीमती पुष्पा सक्सेना रहीं।
काव्य संगोष्ठी का प्रारंभ सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और मां शारदे की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया गया। कवि इंद्रदेव त्रिवेदी ने मां शारदे की वंदना ” मां शारदे मां भारती – तेरी उतारें आरती ” प्रस्तुत कर वातावरण काव्यमय कर दिया।
लेखिका संघ की अध्यक्ष श्रीमती निर्मला सिंह ने नयी कार्यकारिणी की घोषणा की। इसमें अध्यक्ष पद पर डॉ मीरा प्रियदर्शिनी, उपाध्यक्ष चित्रा जौहरी व सचिव दीप्ति पांडे के बनने पर उपस्थित सभी साहित्यकारों ने बधाइयां दीं और माल्यार्पण करके तीनों पदाधिकारियों का स्वागत किया।
इसके पश्चात काव्य संगोष्ठी प्रारंभ हुई। अपना नवगीत पढ़ते हुए नवगीतकार रमेश गौतम ने कहा-
” अंजुरी भर नेह का उपहार दे दो
आयु कट जाती हमारी। “
डॉ मीरा प्रियदर्शिनी का गीत बड़ा ही भावपूर्ण रहा-
” केवल श्वासों के चलने का नाम नहीं होता जीवन “
कवि इंद्रदेव त्रिवेदी की रचना जीवन की वास्तविकता के नजदीक रही –
” कोई सबके विचारों से अब सहमत नहीं मिलता
किसी का मन नहीं मिलता, किसी का मत नहीं मिलता। “
कवियित्री दीप्ति पांडे ने मन की व्यथा यूं व्यक्त की-
” गैरों से क्या बात करें, यहां अपनों ने भी भुला दिया
हर सुंदर सपना मेरा वो बस रद्दी समझा जला दिया। “गीतकार कमल सक्सेना ने ज़माने की विसंगतियों का सटीक चित्रण करते हुए कहा-
” हमको तुमसे यही गिला है भूल गये पतवारों को।
मंझधारों से हाथ मिलाया धोखा दिया किनारों को।”
अध्यक्षता कर रहे राजेश गौड़ ने बड़ी ही सार्थक बात कविता में कही –
” ऐ गुलाब तू बड़ा भाग्यशाली है जो काँटों से छूट गया। “
गोष्ठी में डॉ विनीता सिंह ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय की एक प्रसिद्ध कविता पढ़ी। कवियित्री दीपा संजय ने आत्मकथ्य का चित्रण, कवियित्री चित्रा जौहरी ने जीवन की सार्थकता और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पुष्पा सक्सेना ने सावन का लोकगीत सुनाकर समां बांध दिया। काव्य संगोष्ठी का सफल और मधुर संचालन गीतकार कमल सक्सेना ने किया और सभी का आभार उपाध्यक्ष चित्रा जौहरी ने किया। काव्य संगोष्ठी में विशेष सहयोग समाजसेवी विशाल शर्मा का रहा।

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