लदघाशाह के सालाना उर्स में उमडी जायरीनों की भीड़।
हजारों जायरीनो ने बाबा की मजार पर टेका मत्था, मांगी दुआ।
मजार परिसर में लगी दुकानों को पुलिस ने हटवाया।
कोविड 19 के चलते नहीं लग पाया मेला।
सगड़ी (आजमगढ़): मोहर्रम की 21 और 22 वीं तारीख को जीयनपुर स्थित लदघाशाह की मजार पर प्रतिवर्ष सालाना उर्स लगता है। जिसमें जनपद के ही नहीं आसपास के दर्जनों जिलों के बाबा में आस्था रखने वाले हर धर्म और मजहब के लोग बड़ी संख्या में शिरकत करते हैं।
बाबा के चौखट पर मत्था टेकते हैं।उनसे दुआएं मांगते हैं।
भूत, पिशाच जादू, टोना, किया, कराया, लिया, दिया, हटी, चौहठि जैसी बाधाओं से निजात दिलाने के लिए दूर-दूर तक मशहूर इस उर्स में पीड़ित लोग आते हैं और बाबा की चौखट के समीप पहुंचते खेलने लगते हैं।
लोगों का ऐसा विश्वास है बाबा की रहमत से उन्हें इन प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। मंगलवार को लदघा शाह सालाना उर्स लगना था। आयोजकों ने बाबा में आस्था रखने वाले लोगों से उर्स में ना आने की अपील की थी। बावजूद इसके हजारों की संख्या में महिला पुरुष बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच गए। सैकड़ों दुकानें भी सज गई। इसकी भनक लगते ही प्रभारी निरीक्षक कोतवाली जीयनपुर जितेंद्र कुमार सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और मेले आयोजक से परमिशन मांगा। परमिशन ना होने पर कोतवाल ने आयोजकों से तुरंत दुकाने हटा लेने और भीड़भाड़ न लगाने की सख्त हिदायत दी।
सुबह से ही लदघा शाह की मजार और उनकी बगल में स्थित मुनमुन दाई की मजार पर जायरीनों का जमघट लग गया था। लोग पूरी अकीदत के साथ मन्नते और दुआ मांग रहे थे। आयोजक मंडल द्वारा बार-बार लोगों से भीड़ न लगाने और केवल फातिहा पढ़ने की अपील की जाती रही। लगभग साढ़े चार सौ साल से सालाना लगने वाले इस उर्स में हर धर्म, जाति और मजहब के लोग पूरी अकीदत के साथ शिरकत करते हैं। लेकिन इस बार बाबा के चाहने वालों को काफी निराशा हुई।