उत्तराखंड:अल्मोड़ा में स्वामी विवेकानंद की ध्यान योगा वाटिका को संवारेगा संस्कृति विभाग

अल्मोड़ा में स्वामी विवेकानंद की ध्यान योगा वाटिका को संवारेगा संस्कृति विभाग!
प्रभारी संपादक उत्तराखंड
साग़र मलिक

अल्मोड़ा। बहुत कम लोगों को पता होगा कि हिमालय पदयात्रा के दौरान अल्मोड़ा पहुंचे युगनायक स्वामी विवेकानंद मौजूदा सैन्य क्षेत्र से लगे अंबा वाटिका में ध्यान लगाते थे। माना जाता है कि सुरम्य बगीचे की सकारात्मक तरेंगे व हिम दर्शन के लिए माकूल स्थल युग पुरुष को इस ओर खींच लाया। अब तक गुमनाम इस अद्भुत स्थल को धरोहर की भांति सहेजने को संस्कृति विभाग ने कवायद शुरू कर दी है। मुख्य गेट पर आम जनमानस खासतौर पर युवा पीढ़ी को युगनायक की मौजूदगी से रूबरू कराने के लिए बोर्ड लगाया गया है। 
1890 में स्वामी विवेकानंद ने हिमालय पदयात्रा के दौरान अध्यात्म से लबरेज सिरौता व कोसी नदी के संगम पर काकड़ीघाट मेें ध्यान लगाया था। सूक्ष्म ब्रह्मïांड का ज्ञान प्राप्त करने के बाद उन्हें उच्च पहाड़ पर चढ़ते यहां की सकारात्मक तरंगें चंदराजवंश की राजधानी तक खींच लाई। खजांची मोहल्ले में लाला बद्रीशाह ठुलघरिया उनके मित्र बने। इसी अवधि में ब्रितानी दौर में न्याय विभाग में जज रहे एडवोकेट अंबादत्त जोशी से उनकी मुलाकात हुई।

ध्यान योग के लिए उपयुक्त स्थल की तलाश का जिक्र छिडऩे पर न्यायिक अधिकारी अंबादत्त ने स्वामी विवेकानंद को अपने बगीचे का हवाला दिया। संयाग से 30 अगस्त 1890 को युगनायक पल्टन बाजार व मुरलीमनोहर बाजार के बीच बसे सुरम्य स्थल पर पहुंचे तो उन्हें अद्भुत अनुभूति हुई। न्यायिक अधिकारी अंबादत्त की परपोती शिक्षाविद् एवं अधिवक्ता मनोरमा जोशी संस्मरण सुनाते हुए कहती हैं कि भोर में ही स्वामी विवेकानंद बगीचे में ध्यान योग के लिए पहुंच जाते थे। दो तीन यात्राओं में युगनायक जब जब अल्मोड़ा पहुंचे, ध्यान लगाने के लिए इस वाटिका में जरूर आते थे। 
ब्रिटिशर्स से खरीदा था यह भूभाग 

शिक्षाविद् मनोरमा जोशी कहती हैं कि यह स्थल ब्रिटिशकाल में प्रार्थना मैदान हुआ करता था। न्यायिक अधिकारी अंबादत्त के भाई सेशन जज पीतांबर जोशी ने ब्रिटिशर्स से यह भूभाग खरीदा था। चूंकि दोनों भाई अध्यात्मिक प्रवृत्ति के रहे और कृषि बागवानी के शौकीन रहे तो अधिवक्ता अंबादत्त ने बगीचा तैयार किया। चूंकि बुजुर्गों का नेपाल राजघराने से पारिवारिक ताल्लुकात रहे लिहाजा वहां से कुछ वनस्पतियां बगीचे में लगाई गई थीं। देवदार के पेड़ थे। बादाम, पान की बेल, पुलम, सेब आदि के साथ ही सब्जियां भी खूब होती थी। पूर्वजों से पीढ़ी दर पीढ़ी जानकारी का हवाला दे बताती हैं कि स्वामी विवेकानंद को बगीचे से खासा लगाव थ। बगीचे के बीच में पुरानी शैली में बना भवन डिग्गी बंगला तो पास ही अंबा आश्रम भी है। 

पहले खगमराकोट फिर अंबा वाटिका में हुए शिफ्ट 

स्वामी विवेकानंद चंदराजवंश के खगमराकोट (किले) में भी ध्यान लगाते थे। वहां अनुयायियों की संख्या बढऩे लगी तो उन्होंने ध्यान योग के लिए अंबा वाटिका का रुख किया। शिक्षाविद् मनोरमा कहती हैं कि परदादा न्यायिक अधिकारी अंबादत्त जोशी युगपुरुष के मददगार भी रहे। युगपुरुष बगीचे के जिस भाग में ध्यान लगाते थे, वह परिवार के अन्य सदस्यों के पास है।

पुरातत्वविद चंद्र सिंह चौहान ने बताया अल्मोड़ा प्रवास पर स्वामी विवेकानंद अंबादत्त के बगीचे में ध्यान लगाते थे। युवाओं के प्रेरणास्रोत होने के कारण युवा पीढ़ी को उनके बारे में जानकारी हो सके, इसके लिए हम अंबा वाटिका को संवारने व सुंदरीकरण के लिए संबंधित स्वजनों को प्रस्ताव भेजेंगे। वह राजी हो गए तो इस स्थल को विवेकानंद सर्किट से जोडऩे का प्रस्ताव बनाएंगे। 

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