सत्संग, गंगा स्नान व भगवाद प्राप्ति मनुष्य का जन्म सिद्ध मौलिक अधिकार : दण्डी स्वामी।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161 91877

कुरुक्षेत्र : महाभारतकालीन पावन तीर्थ काम्यकेश्वर तीर्थ एवं महादेव मन्दिर गांव कमौदा में 4 अगस्त से 11 अगस्त तक श्री मद्भगवत कथा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें दूर दराज से आए श्रद्धालु स्नान, दान आदि कर भाग ले रहे हैं। कृष्णाश्रम दण्डी स्वामी के अनुसार पावन तीर्थ, सत्संग, गंगा स्नान व भगवाद प्राप्ति मनुष्य का जन्म सिद्ध मौलिक अधिकार है, जो सहज रूप से स्वत: प्राप्त है। इसमें कर्म-प्रारम्भ समय की अपेक्षा नहीं है। यद भगवद प्राप्ति यज्ञार्थ कर्म (निष्काम कर्म) से स्वत: प्रकट हो जाती है । यही ब्रह्म विद्या का नित्य योग है। योगी भारत का आदर्श है, जो मनुष्य मात्र के सुखी जीवन का अविनाशी विकास करने वाला है। इसी के श्रद्धापूर्वक पालन करने से भारत विश्व गुरु रहा है। आज भी यह पद भारत के लिए यों का यों सुरक्षित है क्योंकि योग व भगवान दोनों नित्य हैं। असल में सारी भारतीय गृहस्थी प्रजा शुरू में अमृतमय दिखने वाले क्षण-भंगुर-नाशवान भोगों की विशाल तृष्णा के लालच में आकर खुद ही उपरोक्त भारतीय आदर्श की पालना के फलस्वरूप स्वत: प्राप्त आत्मनिर्भरता-दाता माननीय पद से वंचित होकर सरकार आश्रमधारी ब्रह्मचारी, आश्रमधारी सन्यासी व आश्रमधारी वैभव सम्पन्न धर्म गुरु आदि के ही किसी ने न किसी रूप में अधीन हो गई है। सब कुछ पाकर भी अशान्त तनावग्रस्त व मानसिक रूप से अभावग्रस्त है। सर्वगुह्यतम सच्ची पक्की बात सच्ची-पक्की बात यह है कि अन भी प्रजा जनार्दन है अब भी प्रजा जनार्धन है। अब भी सब कुछ प्रजा के हाथ में है। संसार व सारा दृश्य जगत प्रजा के अधीन है, प्रजा इनके अधीन नहीं है। प्रर्जा (जीव) तो केवल भगवान के अधीन है। इस कथा में हरियाणा सरकार में पूर्व चेयरमैन रहे पंडित रामस्वरूप जांबाज भी उपस्थित रहे।

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