दरगाह आला हज़रत/ताजुश्शरिय उर्से ताजुश्शरिया का आगाज़ 15 मई से

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)

बरेली : ताजुश्शरिया रेहमतुल्लाह अलैह का 6 वॉ दो रोज़ा उर्स 15 मई बरोज़ बुध से शुरू होने जा रहा है।* उर्स की तैयारियां जामिआतुर्रज़ा पूरी हो चुकी हैं | 15 मई को क़ाज़ी ए हिंदुस्तान मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा खान कादरी की सरपरस्ती व सदारत में परचम किशायी के साथ उर्स का आगाज़ होगा | हुज़ूर ताजुश्शरिया आशिक ए रसूल और गुलाम ए अहलेबैत व साहिबा किराम हैं। आप का हर काम शरीयत ए इस्लाम के हिसाब से होता है आप का ऐसा कोई अमल नहीं था जो शरीयत के खिलाफ हो इसलिए आपको ताजुश्शरिया (शरीयत का ताज ) कहा जाता है। आप मुफ़स्सिर-ए-आज़म हिंद हज़रत अल्लामा मुफ्ती मुहम्मद इब्राहीम रज़ा खान क़ादरी के लख्त-ए-जिगर सरकार मुफ़्ती-ए-आज़म हिन्द अल्लामा मुफ़्ती मुस्तफ़ा रज़ा खान क़ादरी नूरी के सच्चे जा-नशीन हुज्जत-उल-इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद हामिद रज़ा खान कादरी रज़वी के मज़हर और सय्यदी आलाहज़रत इमाम-ए-अहले सुन्नत मुजद्दिद ए दीन ओ मिल्लत अश-शाह इमाम अहमद रज़ा खान कादरी बरकाती बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह की बरकात ओ फुयुज़ात का सर चश्मा और उनके उलूम वा रिवायतों के वारिस व अमीन हैं | हुज़ूर ताजुश्शरिया की विलादत बा सादात 24-जिल कायदा 1362 हिजरी / 23-नवंबर 1943 इसवी हिंदुस्तान के शहर बरेली शरीफ के मुहल्ला सौदागरान में हुई | आपका इस्मे गिरामी “मुहम्मद इस्माइल रज़ा” जबके उर्फ़ियत “अख़्तर रज़ा” है। आपके अलकाबत में ताजुश्शरिया, जानशीन मुफ्ती ए आजम, मज़हरे हुज्जतुल इस्लाम, वारिस उलूमे आला हज़रत शेखुल व इस्लाम वल-मुसलमीन हैं।

तालीम ओ तरबियत:
हुज़ूर ताजुश्शरिया की उमर शरीफ़ जब 4 साल 4 महीने और 4 दिन हुए तो आपके वालिद माजिद मुफ़स्सिर ए आज़म हिंद हज़रत इब्राहीम रज़ा खान जिलानी मिया ने हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिंद से बिस्मिल्लाह ख़्वानी करवाई | आपने “नजरा कुरान करीम” अपनी वालिदा माजिदा से घर पर पढ़ा। वालिद माजिद से इब्तेदाई उर्दू किताबें पढ़ी। इसके बाद वालिद बुज़ुर्गवार ने “दारुल उलूम मंज़र ए इस्लाम” में दाखिला करा दिया। दर्स निज़ामी की तकमील अपने मंज़र ए इस्लाम से की। उसके बाद 1963 इसवी में ताजुश्शरिया आलमे इस्लाम की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी जामिया -उल-अजहर काहिर मिस्र में दाखिला लिया और उसके कुलियात उसूल- उद-दीन के क़िस्म अल तफ़्सीर से इम्तियाज़ी नंबरों से 1966 में फरागत हासिल की |

बेअत-ओ-ख़िलाफ़त:
हुज़ूर ताजुश्शरिया को बैत ओ ख़िलाफ़त का शर्फ़ सरकार मुफ़्ती ए आज़म रज़ियल्लाहु अन्हु से हासिल है। वालिद माजिद मुफस्सिर आजम अल्लामा मुफ्ती इब्राहीम रजा खान क़ादरी रज़ियल्लाहु अन्हु से भी जमी सलासिल की इजाज़त ओ ख़िलाफ़त हासिल है और हुज़ूर मुफ़्ती ए हिन्द ने तहरीरन अपना क़ायम मुकाम ओ जानशीन मुक़र्रर फरमाया था

असातिज़ा
आपके उस्तादों में हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द, बहरूल उलूम हजरत मुफ्ती सैय्यद मुहम्मद अफजल हुसैन रजवी मोंगेरी, मुफस्सिर ए आजम हिंद, फजीलत उल शेख अल्लामा मुहम्मद समाही शेख उल हदीस वल-तफ़सीर जामिया अज़हर काहिरा, हज़रत अल्लामा मौलाना महमूद क़बदुल ग़फ़्फ़ार उस्ताज़ उल हदीस जामिया अज़हर काहिरा, उस्ताद उल असातेज़ा मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद अहमद उर्फ़ जहाँगीर खान रज़वी आज़मी के अस्मा ए गिरामी शामिल हैं |

दर्स व तदरीस:
हुज़ूर ताजुश्शरिया ने तदरीस की इब्तेदा दारुल उलूम मंज़र ए इस्लाम बरेली से 1967 इसवी में की। 1978 इसवी में आप दारुल उलूम के सदरुल असातिज़ा और रज़वी दारुल उलूम मन्ज़रे इस्लाम के सदर मुफ्ती के ओहदे पर फाईज़ हुए और आखरी उम्र तक मुख्तलिफ तरीकों से तदरीसी खिदमात अंजाम देते रहे |

दीनी ख़िदमात
हुज़ूर ताजुश्शरिया ने अरबी, उर्दू, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में किताबे लिखीं जिनकी तादाद 70 से ज़्यादा हैं और आपने लाखों फतवों सादिर फरमाए जिनका मजमुआ का नाम फतावा अल मवाहिब अल रज़विया फिल फतावा अल अज़हरिया (फतावा ताजुश्शरिया) है | आपने आला हज़रत की कई किताबों को अरबी में अनुवाद करके अरब देशों तक पहुंचाया, आपने अरबी, उर्दू भाषाओँ में नातों मनकबत लिखीं जिनका मजमुआ सफीना ए बख्शीश और नग़्माते अख्तर के नाम से मशहूर है | आप की चाँद किताबों के नाम अल्हक्कुल मोबीन (अरबी), मिरातुल नजदिया बिजवाबिल बरेलविया, हाशियतुल अज़हरी अला सहीहिल बुख़ारी, अज़हरुल फतावा (अंग्रेज़ी), अनवारुल मन्नान फ़ी तौहीदुल क़ुरआन, मिनहतुल बारी फ़ी सहीह अल बुख़ारी वग़ैरह | आपने बैत व इरशाद के ज़रिये लोगों की रहनुमाई फरमायी आपके मुरीदों की तादाद करोड़ों में है | आप जामिआतुर्रज़ा, महनामा सुन्नी दुनिया, शरई कांउसिल ऑफ इण्डिया, दारुल क़ज़ा व इफ्ता के बानी (संस्थापक) व सरपरस्त और जमात रज़ा-ए-मुस्तफा के सरपरस्ते आला और इसके साथ क़ाज़ी उल कुजात फील हिन्द थे | अब आपके जानशीन व शहज़ादे मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा खान क़ादरी क़ाज़ी उल कुजात फील हिन्द हैं और सारे इदारों के सदर व सरपरस्ते आला हैं |

जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उर्स प्रभारी सलमान हसन खान (सलमान मिया) ने बताया कि उर्स की सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं | उर्स के सारे प्रोग्राम क़ाज़ी ए हिंदुस्तान मुफ़्ती मुहम्मद असजद रज़ा खान कादरी की सरपरस्ती व सदारत में होंगे | उन्होंने बताया कि ज़ायरीनो ने दरगाह आला हज़रत पर सलामी पेश की और साथ ही खानकाहे ताजुश्शरिया में हाजिरी का सिलसिला जारी है l उर्स की तैयारी मे कोई कमी ना रह पाये इसलिए हर तरफ हमारे वॉलिंटियर्स मुस्तैद हैं और प्रशासन की तरफ से भी तैयारी पूरी कर ली गयी हैं l जिससे ज़ायरीन को कोई परेशानी न हो l

जमात रजा-ए-मुस्तफा के जनरल सेक्रेटरी फरमान हसन खान (फरमान मिया) ने बताया कि देश विदेश में हुज़ूर ताजुश्शरिया के करोड़ों मुरीद और चाहने वाले हैं जिनमे से बहुत से लोग उर्स में हाज़री के लिए बरेली शरीफ पहुंच चुके हैं और जामिआतुर्रज़ा के खूबसूरत मंजर देखने ज़ायरीन जामिआतुर्रज़ा भी पहुच रहे हैं और उन्होंने कहा कि हम आने वाले ज़ायरीन का बरेली शरीफ मे खैर मक़दम करते हैं | तथा मुख्य रूप से मेंहदी हसन, हाफिज इकराम, शमीम अहमद, मोईन खान, नावेद खान, साकिब अली, अब्दुल सलाम अली, रजा शरीफ उद्दीन रिजवी, रफी मोहम्द अवसर रजा आदि ।

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