हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र,1 नवम्बर : वृंदावन के विख्यात भागवताचार्य एवं गीता मर्मज्ञ पं. दीनदयालु पांडे महाराज ने रविवार सायं दुखभंजन कॉलोनी में गीता और कर्तव्य पर व्याख्यान दिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने गीता का ज्ञान अर्जित किया।कार्यक्रम आयोजक बृजभूषण गुप्ता ने गुरू पूजन करते हुए पं. दीनदयालु पांडे महाराज को तिलक लगाया।भजनोपदेशकों द्वारा सुनाए गए भजन नित्त खैर मंग्गा सौनया मैं तेरी, दुआं न कोई होर मंगदी… पर श्रद्धालु झूम उठे।प्रवचनों में पांडे ने कहा कि जैसे आकाश में सूर्यदेव पहले लालिमा के रूप में प्रकट होते हैं, वैसे ही भगवान पहले मनुष्य के भीतर भवात्मक रूप में प्रकट होते हैं। गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन को निमित बनाकर संसारिक लोगों से कहते हैं कि जो भोजन तुम खाते हो, वह पचाना भी मेरा कर्म है। प्रत्येक क्रिया में साधना की अवश्यकता पड़ती है, मैं अग्नि बनकर तुम्हारे शरीर में भोजन को पचाता हूं। उन्होंने कहा कि जैसे मनुष्य के मन में लगातार अंतरद्वंद्व चलता रहता है, वैसे ही समाज में हमें विकट परिस्थितियों का समाना करना पड़ता है। महाभारत युद्ध से पूर्व अर्जुन मोहग्रस्त था, एक तरफ अधर्म था, तो दूसरी तरफ कर्तव्य, ऐसे में वह क्या करता ? श्रीकृष्ण ने मोहग्रस्त अर्जुन को कर्म का संदेश देते हुए प्राणी मात्र को भी उसे उसके कर्तव्य की याद दिलाई है। पांडे ने गीता के श्लोकों का सरलार्थ बहुत ही सुंदर शब्दों में विस्तारपूर्वक सुनाया। गीता प्रवचन सुनते-सुनते श्रद्धालुओं ने अपने नोटबुक में महत्वपूर्ण बिंदु लिखे। गीता जी आरती में भावविभोर होकर श्रद्धालु झूम उठे। इस अवसर पर कुसुम गुप्ता,अखिलेश गुप्ता, ऋतु गुप्ता, आर्यन, आराध्या,हरि चंद वधवा,मुकेश वधवा,गीता वधवा, सोनम,आर पी पाहवा, नरेन्द्र वधवा, पुष्पा,वीरेंदर,मनीष किन्गर,किशन लाल तरावडी,रवि धीमान, सुरेश गोयल और संजय गुप्ता इत्यादि शामिल रहे।