डेरा बाबा खेतरपाल मुल्तानी गेट फिरोजपुर में बड़ी श्रद्धा पूर्वक भक्तों ने मनाया : होली का त्यौहार
28 मार्च फिरोजपुर {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता} :=
बाबा रूपनाथ डेरा संचालक बाबा खेतरपाल मुल्तानी गेट वालों ने बताया कि फिरोजपुर में चार बाबा खेत्रपाल के डेरे हैं लेकिन सबसे पुराना डेरा और बड़ा मुल्तानी गेट में है। इस त्यौहार को वर्ष में दो बार मनाया जाता है एक दीपावली पर दूसरा होली पर। जिन श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं घर में खुशियां आती हैं वह डेरे में कढ़ाई करते हैं ,कढ़ाई के 3 भाग होते हैं जिसमें एक भाग बाबा जी का एक दरवेश का और एक कौवे का हिस्सा होता है सिंदूर, मौली, सरसों का तेल व लड्डुओं का प्रसाद अर्पित किया जाता है। बाबा जी की खुशियां प्राप्त की जाती हैं। जिसके घर में पुत्र हो बच्चे की शादी हो या ऐसी कोई भी खुशी प्राप्त हो वह बाबा जी के डेरे पर ढोल धमाके से अपनी श्रद्धा मुताबिक पहुंचते हैं। बाबा जी की कढ़ाई करते हैं ऐसी मान्यता है कि जो प्रसाद खा लेता है उसको बाबा जी को मानना ही पड़ता है। जिस घर में बाबा जी को मान लिया जाए उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी को भी डेरा बाबा खेतरपाल को मानना पड़ता है।
बाबा रूपनाथ जी डेरा संचालक ने बताया कि यहां लाखों की गिनती से त्योहारों वाले दिन श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने आगे बताया कि फिरोजपुर में डेरा बाबा खेत्रपाल के चार डेरे हैं एक देवी द्वारा मंदिर में दूसरा डेरा मनजीत पैलेस के सामने है और तीसरा डेरा डीएवी कॉलेज फिरोजपुर कैंट के पास है और चौथा डेरा मुल्तानी गेट फिरोजपुर में है।
आज श्री पी सी कुमार समाज सेवक उनके साथ मंगतराम मानकुटाला प्रधान सियाराम वेलफेयर सोसाइटी डेरों पर गए। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को मास्क बांटे और करोना महामारी से बचने के लिए उपाय बताएं।
उन्होंने बताया कि डेरे के श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा भावना से त्यौहार को मनाते हैं लेकिन उन्होंने यह सुझाव दिया कि जो कढ़ाई का प्रसाद दरवेश और कौवे के लिए रख देते हैं वह कव्वे या दरवेश ना खाकर पैरों के नीचे कुचला जाता है। इसलिए उन्होंने सुझाव दिया के डेरों के संचालक उस प्रसाद को दरिया में ले जाकर डालें ताकि मेढक या मछलियां [जलचर] उसको खा सकें। वह प्रसाद पैरों में नीचे न आ कर सही जगह इस्तेमाल हो या कोई ऐसी जगह में डाल दिया जाए जिसे जानवर खा कर अपना पेट भर सके।