हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र,14 नवम्बर : दुखभंजन महादेव मंदिर में कार्तिक मास के उपलक्ष्य में जनकल्याणार्थ चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथाव्यास शुकदेव आचार्य ने कुरू वंश,भक्त धु्रव प्रसंग और भगवान कपिल अवतार का उल्लेख किया।कथा के यजमानों ने सर्वदेव एवं भागवत पूजन करके कथावाचक पंडित शुकदेव आचार्य को तिलक लगाया।भागवत प्रवचनों में शुकदेवाचार्य ने कहा कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है और समय आने पर उससे एक संतान की उत्पत्ति होती है। उसी समय कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक को जन्म देती है। पांच वर्ष बाद जब राजा अपने बेटे का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक धु्रव भी बच्चों संग खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर बड़ी रानी उसको लात मारकर उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर। बालक धु्रव यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि किसी में भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए।इस दौरान सुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे।भागवत आरती में आचार्य विनोद मिश्र, सुरेन्द्र कंसल धुरी (पंजाब), दीपक शर्मा,कंवरसैन वर्मा, जगन्नाथ शर्मा,कांति कौशिक,वीरभान शर्मा, सुरेश शर्मा,ज्ञानचंद सैनी चनारथल,प्रेम मदान,अशोक आश्रि,जय कुमार शर्मा, गोपाल शर्मा,सी.एल.बजाज,अजय ठाकुर,विजय ठाकुर, अनुराधा पाठक,कांता आश्रि, सुनीता वालिया, सुषमा शर्मा व कुसुम गान्धी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
भागवत कथा में शामिल श्रद्धालु व यजमान।