वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
पुण्य स्मृति दिवस पर विश्व शांति धाम कुरुक्षेत्र में दीदी मनमोहिनी को श्रद्धासुमन किए अर्पित।
कुरुक्षेत्र, 28 जुलाई : ब्रह्माकुमारीज मुख्यालय माउंट आबू की प्रथम अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका दीदी मनमोहिनी के पुण्य स्मृति दिवस पर विश्व शांति धाम कुरुक्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। कुरुक्षेत्र सेवा केंद्र की इंचार्ज राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सरोज दीदी ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि दीदी मनमोहिनी ने अनथक सेवा भाव से विश्व भर में आध्यात्मिकता की ज्योत जगाई। उन्होंने बताया कि प्रजापिता ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू की प्रथम अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका दीदी मनमोहिनी रुद्र ज्ञान यज्ञ के शुरुआती दिनों में 1936-37 में यज्ञ के कार्यों में शामिल हो गई थी। उस समय उनका लौकिक नाम गोपी था, परंतु ब्रह्मा बाबा के साथ फॉलो करते हुए हम उन्हें अपना पूर्वज
समझते हैं। सरोज बहन ने कहा कि दीदी ने अपना तन मन धन पूर्ण रूप से जन जागृति में लगा दिया। बाबा के कार्यों में जो भी सहयोग हम सब की तरफ से होता था, उसकी व्यवस्था को बनाए रखने में सहयोग देने का कार्य दीदी द्वारा किया जाता था। दीदी अपने कर्म से हर जगह के वातावरण को आध्यात्मिक बना देती थी। उनके व्यक्तित्व में चुंबकीय आकर्षण था। इसी कारण बाबा ने उनका नाम गोपी से मनमोहिनी रख दिया। जो उनके व्यक्तित्व से साफ दिखाई देता था। सरोज दीदी ने बताया कि माउंट आबू में देश-विदेश के हजारों बहन-भाईयों का आना जाना होता है। उन सब के रहने और भोजन की व्यवस्था को देखना आसान कार्य नहीं होता, परंतु दीदी छोटे से छोटे कार्यों पर विशेष ध्यान देती थी और प्रत्येक समस्या पर मंथन करके समाधान निकालने में विश्वास करती थी। सरोज बहन ने उनके व्यक्तित्व और गुणों का बखान करते हुए कहा कि वे कुशाग्र बुद्धि, परखने की शक्ति, दूर दृष्टि, ईश्वरीय नियम, मर्यादाओं में दृढ़ता, अदम्य साहस, स्नेह, आत्मविश्वास, सेवा भाव, स्नेह आदि न जाने कितनी विशेषताओं की धनी थी। बहन जी ने अंत में कहा कि आज के दिन हम भी बाबा के यज्ञ में तन मन धन कैसे अर्पित करें, यही उनके जीवन से प्रेरणा लेनी है, यही श्रद्धा सुमन अर्पित करने है। प्रातः मुरली क्लास में आए हुए सभी बहन भाईयों ने दीदी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपने श्रद्धासुमन भाव प्रकट किए।। इस अवसर पर बीके राधा, मधु, नेहा, आरती, लता, प्रियंका, विमला, डॉ. प्रवीण महाजन, सुदेश, राजमाता, ज्योति और बीके हरबंस सिंह, सतीश कत्याल, डॉ. आर डी शर्मा, मा. संत कुमार, राकेश, धर्मपाल, कृष्ण कुमार, शिव कुमार, बलवंत, प्रो. सुरेश, मुकेश आदि बहन भाई मौजूद रहे।