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हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : कलासाधको को एक मंच पर लाने के लिए संस्कार भारती की स्थापना कर देश की संस्कृति को नए आयाम देते हुए युवा जगत को भारतीय संस्कृति से जोड़ना पद्मश्री बाबा योगेंद्र के जीवन का ध्येय रहा है। जिसकी पूर्ति करते हुए बाबा ने अपना समस्त जीवन भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए व्यतीत किया है। बाबा योगेंद्र के निधन से कला जगत को भारी क्षति हुई है, जिसकी पूर्ति हो पाना सम्भव नहीं है। ये शब्द हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने बाबा योगेंद्र के निधन के पश्चात अपनी भावपूर्ण श्रद्धाजंलि देते समय कहे। संस्कार भारती के संस्थापक, असंख्य कला साधकों के प्रेरणास्रोत, कला ऋषि, पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी का निधन अत्यंत दुःखद है। उनके निधन से न केवल कलाकार वर्ग आहत हुआ है, अपितु समाज भी प्रभावित हुआ है। अपने जीवनकाल में बाबा योगेंद्र अपने भरसक प्रयासों से समाज को नई दिशा देने के लिए सदैव तत्पर रहे। भसीन ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बस्ती में जन्मे बाबा योगेन्द्र बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा में जाने लगे थे। संघ का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक भी रहे। बाबा 98 वर्ष की आयु में भी पूरे देश का भ्रमण करते थे और कलाकारों को संगठित और प्रोत्साहित करते रहे हैं। वर्ष 1981 से संस्कार भारती संस्था का गठन होने उपरांत देश के कलासाधकों में राष्ट्रभाव का जागरण करते हुए संस्कार भारती के पितृपुरुष बने। बाबा योगेन्द्र ऐसे व्यक्ति रहे, जिन्होंने असंख्य कलासाधकों को एक माला में पिरोने का कार्य करके दिखाया। संजय भसीन ने यह भी बताया कि बाबा योगेंद्र समय-समय पर हरियाणा कला परिषद के कार्यक्रमों में भी अपना आर्शीवाद देने पहुंचे। बाबा के साथ बिताये समय में समाज उत्थान और संस्कृति के विकास की ही चर्चा रहती थी। बाबा के निधन पर हरियाणा कला परिषद के कार्यालय प्रभारी धर्मपाल, मीडिया प्रभारी विकास शर्मा, रंगशाला प्रबंधक मनीष डोगरा, ललित कला समन्वयक सीमा काम्बोज, देवीदत्त, राजेश कुमार, जैकी शर्मा, तरुण जलोटा, सपना सहित अन्य कर्मचारी ने भी दुख व्यक्त किया।