बिहार: प्रेस क्लब पूर्णिया द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस पर परिचर्चा

प्रेस क्लब पूर्णिया द्वारा हिंदी पत्रकारिता दिवस पर परिचर्चा

हिंदी शैली व संस्कारों का रूप है जिसे पत्रकारिता में ढालना चाहिए-नंदकिशोर
पूर्णिया

हिंदी एक शैली है संस्कारों की जिसकी अपनी प्रतिष्ठित लय और ताल है।यह सुगमता से चलने वाली एक निरंतर प्रवाह है।इसे हमे पत्रकारिता के क्षेत्र में कायम रखना चाहिए जिससे पत्रकारिता की गरिमा की ऊंचाई बनी रहे।उक्त बातें प्रेस क्लब पूर्णिया के अध्यक्ष नंदकिशोर सिंह ने कही।उन्होंने कहा की आज हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हम सभी को प्रण लेना चाहिए की हिंदी की मर्यादाओं को देखते हुए कार्य करें।
मौका था प्रेस क्लब पूर्णिया द्वारा आयोजित ” हिंदी पत्रकारिता दिवस” पर परिचर्चा का।उक्त परिचर्चा का आयोजन जेल चौक स्थित श्रीनायक कैंपस में के प्रशाल में की गई थी।इस मौके पर प्रेस क्लब पूर्णिया के कई वरिष्ठ तथा युवा सदस्य मौजूद थे।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्णिया के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार तथा प्रेस क्लब पूर्णिया के कोर कमेटी के सदस्य अखिलेश चंद्रा कर रहे थे।उन्होंने इस मौके पर कहा की 1826 ईस्बी में पहली अखबार हिंदी की आई थी।इस अखबार का नाम उदंत मार्तण्ड था। इस अखबार के द्वारा आम लोगों तक सारी सूचनाएं जाने लगी। लोगों में जागरूकता आई। उस वक्त जब हिंदी अखबार का प्रचलन बढ़ा तब के पत्रकार आर्थिक पक्ष को नहीं बल्कि समाज की समस्याओं को उजागर करते थे। वर्तमान समय में पत्रकारों के कंधों पर यही जिम्मेवारी है ।हिंदी की गरिमा को अपनी लेखनी से मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।समाज को बदलने के लिए पत्रकारिता के आयाम को मजबूत रखना आवश्यक है।

प्रेस क्लब पूर्णिया के कोषाध्यक्ष पंकज नायक ने कहा की प्रेस क्लब पूर्णिया की यह परिचर्चा पत्रकारों के लिए एक दिशा तय करने वाली होनी चाहिए । हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हम सभी पत्रकारों को यह तय करना चाहिए की हमारे अपने मानदंड उच्च कोटि के हों। हमें अपने तटस्थ कार्यों तथा कलम की ताकत से अपने सामाजिक जागरूकता की नींव को मजबूत करनी चाहिए। हमारी ताकत हमारी कलम और समाज हित के लिए उठाए गए आवाज हैं।

युवा पत्रकार तथा प्रेस क्लब कार्यकारिणी के सदस्य तहसीन जी ने कहा की जिस वक्त हिंदी अखबारों का उद्गम हुआ था। उस वक्त अंग्रेजों का शासन था और अंग्रेज या उसे समय के वायसराय अपने हिसाब से अंग्रेजी अखबारों को जनता के सामने प्रस्तुत करते थे जिससे उनके राज काज में बाधा ना आए। एक समय था जब पुर्तगालों द्वारा अपने धर्म के प्रचार प्रसार के लिए भारत के गोवा से कुछ कार्य प्रेस के रूप में किए जाते थे। फिर बहुत बाद में चलकर बंगाल से हिंदी अखबार का छापना जो साप्ताहिक था ने आम जनमानस के बीच एक चेतना जगाई।
युवा पत्रकार तथा प्रेस क्लब पूर्णिया के कार्यालय प्रभारी आकाश कुमार ने कहा की उतन्द मार्तण्ड का अर्थ होता है उगता हुआ सूरज। और उगते हुए सूरज की भांति प्रतिदिन नई खबरों का प्रकाशन करने का एक उद्देश्य बनाया गया था। उसे वक्त के अखबार के संपादक जुगल किशोर शुक्ल थे। हमें अभी भी रोज उगते सूरज की भांति कम करना चाहिए ऐसा हम पत्रकारों का दायित्व भी है।
इस खास मौके पर प्रेस क्लब पूर्णिया के सचिव प्रशांत चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार,नागेश्वर कर्ण, तहजीब,राकेश कुमार लाल, विनय कुमार ,सोनू कुमार ,पारस चौधरी ,मुकेश कुमार, नीतीश सिंह इत्यादि मौजूद थे।

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