बिहार:जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा को लेकर जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक आयोजित

  • प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु को रोकने का एक मात्र उपाय परिवार नियोजन: सीएस
  • आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर किया जाएगा जागरूक: डीसीएम
  • केयर इंडिया के कार्यकर्ताओ द्वारा किया जा रहा है स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग: डीटीएल
  • बंध्याकरण के लिए योग्य दंपति व परिजनों को किया गया जागरूक: एमओआईसी

एम एन बादल

राज्य स्वास्थ्य समिति के दिशा-निर्देश के आलोक में जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में परिवार नियोजन पखवाड़ा की शत-प्रतिशत सफलता के लिए बैठक आयोजित कर विचार विमर्श किया जा रहा है। वहीं सदर अस्पताल परिसर स्थित डीआईओ सभागार में सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा की अध्यक्षता में मिशन परिवार अभियान के तहत जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा (11 जुलाई से 31 जुलाई) तक ज़िले के सभी प्रखंडों में मनाया जाने के लिए जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई। इस मौके पर सीएस डॉ एसके वर्मा, एसीएमओ डॉ वीपी अग्रवाल, डीआईओ डॉ विनय मोहन, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला, डीएमएनई दीपक कुमार विभाकर, केयर इंडिया के डीटीएल आलोक पटनायक, परिवार नियोजन समन्वयक सनत गुहा व उत्पल दत्ता, यूनिसेफ के सलाहकार शिव शेखर आनंद सहित जिले के सभी एमओआईसी, सीडीपीओं व अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।

प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु को रोकने का एक मात्र उपाय परिवार नियोजन: सीएस
सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने कहा गर्भधारण, प्रसव तथा असुरक्षित गर्भपात की समस्याओं के कारण महिलाएं मृत्यु की शिकार हो जाती है। प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु को परिवार नियोजन के द्वारा रोका जा सकता है। उदहारण के तौर पर, परिवार नियोजन गर्भ धारण के खतरों की रोकथाम कर सकता है। जैसे:- 18 वर्ष से कम आयु वाली नवविवाहित महिलाओं की प्रसव के दौरान मृत्यु की संभावना रहती है। क्योंकि उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ रहता है। इतना ही नही बल्कि प्रसूता महिलाओं के नवजात शिशुओं को भी जन्म से लेकर एक वर्ष तक किसी अनहोनी की आशंका प्रबल रहती हैं।

आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर किया जाएगा जागरूक: डीसीएम
डीसीएम संजय कुमार दिनकर ने बताया अत्यधिक 4 या उससे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं को प्रसव के दौरान ज़्यादा खून आना व अन्य कारणों से मृत्यु का भय ज्यादा रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका व सहायिकाओं द्वारा अपने-अपने पोषक क्षेत्रों में डोर टू डोर भ्रमण कर गर्भवती महिलाओं एवं परिजनों को परिवार नियोजन के संसाधनों जैसे-  कॉपर टी, कंडोम, गर्भ निरोधक गोलियां, सुई आदि की जानकारियों के साथ महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण  रोकने के लिए उचित सलाह देने की आवश्यकता है।

केयर इंडिया के कार्यकर्ताओ द्वारा किया जा रहा हैं स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग: डीटीएल
11 जुलाई से 31 जुलाई तक परिवार नियोजन पखवाड़ा का आयोजन किया गया है। स्वास्थ्य कर्मियों को सहयोग करने के लिए केयर इंडिया के कार्यकर्ता क्षेत्र भ्रमण कर आशा कार्यकर्ता एवं आईसीडीएस से जुड़े हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा डोर टू डोर गर्भवती महिलाओं व उनके परिजनों को अस्थायी व स्थायी तौर पर परिवार नियोजन अपनाने को लेकर प्रेरित किया जा रहा है। जनसंख्या नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन दंपति संपर्क पखवाड़ा शुरू किया गया है। बढ़ रही जनसंख्या का मुख्य कारण महिलाओं व परिवारों में अशिक्षा व परिवार नियोजन की जानकारी की कमी है। इस समस्या का एक मात्र निदान है जागरूकता।

बंध्याकरण के लिए योग्य दंपति व परिजनों को किया गया जागरूक: एमओआईसी
वही दूसरी तरफ़ बैसा पीएचसी के एमओआईसी डॉ रफ़ी ज़ुबैर ने बताया परिवार नियोजन को लेकर बीएचएम आलोक वर्मा, बीसीएम राजेश रजक व केयर इंडिया के बीएम रोहित सिंह के नेतृत्व में स्थानीय आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा पोषक क्षेत्रों में भ्रमण कर योग्य दंपति का सर्वे कार्य किया जा रहा है। प्रसव के बाद 24 घण्टे के अंदर अस्थायी उपाय एवं छः महीने बाद स्थायी बंध्याकरण के लिए दंपति व परिजनों को जागरूक किया जा रहा है।

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