दिव्यांग बनेंगे आत्मनिर्भर तो देश होगा आत्मनिर्भर : आश्री।

दिव्यांग बनेंगे आत्मनिर्भर तो देश होगा आत्मनिर्भर : आश्री।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161- 91877

दिव्यांग छात्रों के लिए 10 दिन के आवासीय करियर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू। समग्र शिक्षा के तहत 9 वीं से 12 वीं कक्षा के 140 बच्चे ले रहे है भाग।

कुरुक्षेत्र 14 फरवरी :- डीईओ अरुण आश्री ने कहा कि पूरा देश आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बढ़ रहा है और दिव्यांग जनों को आत्मनिर्भर बनाए बगैर यह उद्देश्य हासिल नहीं किया जा सकता। दिव्यांग आत्मनिर्भर होंगे तो भारत निश्चित तौर पर आत्मनिर्भर होगा। विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा देने के लिए जहां स्कूलों में वोकेशनल टीचर्स लगाए गए हैं वहीं उम्मीद पोर्टल के माध्यम से प्रशिक्षण व रोजगार की संभावना की जानकारी दी जा रही है। समय समय पर स्कूलों में कैरियर गाइडेंस कैम्प भी लगाए जा रहे है।
डीईओ अरुण आश्री रविवार को गुर्जर धर्मशाला में 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर के उदघाटन अवसर पर बोल रहे थे। इससे पहले डीईओ अरुण आश्री ने 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उदघाटन किया। इस शिविर में सुगन्ध एवं सुरस विकास केंद्र कन्नौज के विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दिया है। डीईओ अरुण आश्री ने कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश के दिव्यांग विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दिव्यांग लोगों के प्रति सरकार व विभाग विशेष ध्यान दे रहा है। उन्हें प्रगति के समान अवसर उपलब्ध कराए जा रहे है, सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने के ऋण तथा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, स्टार्ट अप कार्यक्रम के तहत लाखों युवा न केवल खुद का रोजगार कर रहे है बल्कि अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे है। हौसलों के आगे हर बाधा बौनी हो जाती है और अनेक दिव्यांगों ने ऐसी उपलब्धियां प्राप्त की है जो सामान्य व्यक्ति के लिए भी कठिन है। सभी छात्रों को ध्यानपूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए और स्वरोजगार की सम्भावनाओ पर ध्यान देना चाहिए।
समग्र शिक्षा के जिला परियोजना समन्वयक रामदिया गागट ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य ही छात्रों का बहुआयामी विकास करना है और समग्र शिक्षा के तहत इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे है। इन प्रयासों व योजनाओं के सुखद परिणाम हमारे सामने है। दिव्यांग विद्यार्थियों में अनूठी प्रतिभा है और इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम निश्चित तौर पर उनकी प्रतिभा को और निखारेंगे। कार्यक्रम प्रभारी एपीसी संजय कौशिक ने बताया कि कुरुक्षेत्र में आयोजित प्रशिक्षण में यमुनागर व अंबाला के 29-29, पंचकुला के 28, कुरुक्षेत्र के 24 और करनाल के 34 दिव्यांग छात्र भाग लेंगे। विद्यार्थियों के रहने-खाने व प्रशिक्षण की व्यवस्था गुर्जर धर्मशाला में की गई है। सभी सुविधाएं समग्र शिक्षा द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है। एफएफडीसी के सहायक निदेशक डा. एपी सिंह ने बताया कि इस प्रशिक्षण में समग्र शिक्षा के तहत फ्रेगनेन्स व फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर (एफएफडीसी), कन्नौज (यू.पी.) के विशेषज्ञों द्वारा ट्रेनिंग दी जाएगी। इस प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों को स्वरोजगार अपना कर आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। इस कार्यक्रम के मंच संचालन एपीसी सतबीर कौशिक ने किया। इस मौके पर जिला परियोजना समन्वयक रामदिया गागट, एपीसी संजय कौशिक, सतबीर कौशिक, सुनील कौशिक, डा. कृष्णा, करनैल सिंह, वैज्ञानिक ज्ञानेंद्र सिंह, कमलेश कुमार, तकनीकी सहायक अभिषेक द्विवेदी, राहुल कुमार, महेंद्र सिंह, डा. राम मेहर अत्रि, सुदर्शन, सोमदत्त सहित अनेक विभागीय अधिकारी मौजूद थे।
ऐसा होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुख्य अगरबत्ती, परफ्यूम और गुलाब जल के व्यवसाय में निर्माण, इस्तेमाल कच्चे माल की मूल बातें समझना है। कार्यक्रम में इन उत्पादों के विनिर्माण का व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया जाएगा। प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थी अगरबत्ती, धूप पट्टी, हवन सामग्री, शंकु और इत्र बनाने के साथ साथ गुलाब जल, गुलकंद, गुलाल, फेस पैक और परफ्यूम बनाना सीख सकेंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए एफएफडीसी कन्नौज के संसाधन व्यक्ति विशेष रूप से बुलाए गए है। छात्रों के चार अलग-अलग बैच बनाकर ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रशिक्षण सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा। इसके अलावा एफएफडीसी कन्नौज सभी को प्रशिक्षण किट भी प्रदान करेगा, जिसमें कुछ बुनियादी कच्चे माल भी होगा।
क्या है एफएफडीसी
एफएफडीसी के सहायक। निदेशक डा. एपी सिंह ने बताया कि वर्ष 1991 में भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की सहायता से सुगंध व सुरस विकास केंद्र की स्थापना की गई थी। एफएफडीसी का उद्देश्य कृषि प्रौद्योगिकी और रासायनिक प्रौद्योगिकी दोनों के क्षेत्र में आवश्यक तेल, सुगंध और स्वाद उद्योग और आर एंड डी संस्थानों के बीच एक इंटरफेस के रूप में सेवा करना है। केंद्र का मुख्य उद्देश्य सुगंधित खेती और इसके प्रसंस्करण में लगे किसानों और उद्योग की स्थिति की सेवा, रख रखाव और उन्नयन करना है। संस्थान द्वारा स्कूली विद्यार्थियों व किसानों आदि को प्रशिक्षण दिया जाता है।

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